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IG का दावा- बिहार के 50 प्रतिशत थाने हो चुके हैं डिजिटाइज्ड

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Published : Nov 25, 2020, 5:08 PM IST

आईजी के मुताबिक सभी थानों और पुलिस कार्यालयों में पुलिसकर्मियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जैसे ही सभी लोग प्रशिक्षित हो जाएंगे. इसके बाद पूरे राज्य की पुलिस डिजिटल मोड में ही काम करेगी.

पटना
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पटना:बिहार के थानों को डिजिटाइजेशन करने का प्रक्रिया शुरू हो गई है. एससीआरबी के आईजी कमल किशोर सिंह ने बताया कि 2012 में सीसीटीएनएस योजना पूरे भारत में शुरू हुई थी. बिहार में जिस कंपनी को यह काम सौंपा गया था, उसका कार्य संतोषजनक नहीं होने के कारण उच्चस्तरीय बैठक निर्णय के बाद उसके कॉन्ट्रैक्ट को कैंसिल कर दिया था. वहीं, 2015 में उस कंपनी की ओर से उसके अनुबंध को रद्द करने के खिलाफ उच्च न्यायालय में उस कंपनी की ओर से रिट दायर किया गया था. वहीं, इसका फैसला 2017 दिसंबर में आया. जिस वजह से इस पर आगे की कार्रवाई नहीं कर पाए. यही कारण है कि दूसरे राज्यों की तुलना में हम पिछड़ गए हैं और अब तक पूर्ण रूप से बिहार के सभी थानों को सीसीटीएनएस से नहीं जुड़ पाए हैं.

50 प्रतिशत थाने डिजिटल
एससीआरबी के आईजी कमल किशोर सिंह ने बताया कि नए सिरे से नए वेंडर का चयन कर सितंबर 2018 में टीसीएस के साथ कॉन्टेक्ट साइन हुआ. जिसके तहत पुलिस कार्यालय समेत बिहार के थानों को डिजिटलीकरण करने की ओर धीरे-धीरे हम लोग बढ़ रहे हैं. कोरोना काल ने भी इस पर काफी असर डाला है. एससीआरबी के आईजी ने बताया कि सीसीटीएनएस परियोजना में 894 थानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था. अब तक कुल 535 थानों को डिजिटाइज्ड किया गया है. जिन 525 थानों को डिजिटाइजेशन किया गया है. उन थानों में हुए एफआईआर अब आईसीजी के तहत ऑनलाइन माध्यम से न्यायालय तक पहुंच रहा है. हालांकि राज्य सरकार की ओर से बाद में लिए गए निर्णय के बाद बिहार के सभी कुल 1064 जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें से 525 थाने पूर्ण रूप से डिजिटाइज हो चुके हैं. उन सभी थानों के डाक्यूमेंट्स को ऑनलाइन के माध्यम से कोर्ट में पेश किया जा रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पुलिस कार्यालयों में दिया जा रहा प्रशिक्षण
आईजी के मुताबिक के सभी थानों और पुलिस कार्यालयों में पुलिसकर्मियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जैसे ही सभी लोग प्रशिक्षित हो जाएंगे, तब पूरे राज्य की पुलिस डिजिटल मोड में ही काम करेगी. राज्य पुलिस के लगभग 50 प्रतिशत थाने डिजिटल मोड में काम करने लगे हैं. सीसीटीएनएस योजना के तहत पिछले 10 सालों के केस रिकॉर्ड को भी डिजिटाइज किया जा रहा है. राज्य के 40 जिलों में 37 जिलों में यह कार्य तेजी से प्रारंभ किए गए हैं आने वाले कुछ महीनों में पिछले 10 सालों के केस रिकॉर्ड को हम डिजिटाइज कर देंगे. आईजी के मुताबिक आने वाले कुछ ही महीनों में राज्य के सभी थाने सीसीटीएनएस योजना के तहत जुड़ जाएंगे. सभी थाने स्टेट डाटा सेंटर से जुड़ेंगे और हम खुद स्टेट डाटा सेंटर से नेशनल डाटा सेंटर से जुड़े हुए हैं. हमारी डाटा सीधे राष्ट्रीय स्तर पर अब जा रही है. आईसीजीएस के माध्यम से ही हम अपने डाटा को न्यायालय तक पहुंचा रहे हैं.

डिजिटल की ओर बढ़ रही बिहार पुलिस की टीम
बिहार सरकार के सहयोग से बिहार पुलिस पूर्ण रूप से डिजिटल की ओर बढ़ रही है. आने वाले कुछ ही महीने में हम पूरी तरह से डिजिटललाइज हो जाएंगे. सिपाही से लेकर सीनियर आईपीएस अधिकारी तक को प्रशिक्षण की जरूरत पड़ रही है. सभी को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. गृह विभाग से मिले निर्देश के बाद सेवा निर्मित कार्मिक को प्रशिक्षण देकर आईटी कैडर बनाया जाएगा. बिहार के सभी थाने डिजिटलाइज हो जाएंगे तो सबसे आसान पुलिसकर्मियों के लिए होगा. अगर किसी अपराधी या किसी के बारे में कोई भी जानकारी लेनी होगी, तो वह सीधे एक क्लिक बटन से उस कांड या उस अपराधी के बारे में आसानी से जानकारी जुटा सकेंगे. सिर्फ बिहार ही नहीं देश के किसी कोने से यह जानकारी ली जा सकती है. एसपी रैंक से लेकर डीजी रैंक के अधिकारियों के लिए खुद सुपर विजन के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होगा. पुलिसकर्मी के साथ-साथ आम जनता को भी जब सभी थाने और सभी पुलिस कार्यालय डिजिटलाइज हो जाएंगे तो आम जनता को सबसे ज्यादा फायदा होगा. वह घर बैठे ही केस से रिलेटेड किसी तरह की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकेंगे. स्थानीय पुलिस स्टेशन और जिला पुलिस मुख्यालय राज्य पुलिस मुख्यालय से जुड़ेंगे यह सभी स्टेट क्राईम रिकॉर्ड्स ब्यूरो और राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल क्राईम रिकॉर्ड्स ब्यूरो से जुड़ेगा. इस सिस्टम पर 250 करोड़ खर्च होंगे 206 करोड और बिहार सरकार देगी बाकी केंद्र सरकार देगी.

चौक-चौराहों पर लगाये जाएंगे सीसीटीवी कैमरे
डीआईजी राजीव रंजन ने बताया कि सीसीटीवी परियोजना के तहत दो भागों में बांटा गया है. स्टेट सिटी सर्विलांस सिस्टम जिसके तहत राजधानी पटना समेत बिहार के कुछ बड़े शहरों के चौक-चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने थे और एक कंट्रोल रूम बनाया गया है. जहां से हर जगह का सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से नजर बनाई जा रही है और यह कार्यरत है यह नया स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इसे मर्ज किया गया है. इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद बिहार के सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने हैं. इसका उद्देश्य है कि थानों में कैदियों के मानवाधिकार की रक्षा करना मानवाधिकार का उल्लंघन ना हो. थाना और थाना परिसर की सुरक्षा कुछ भ्रष्टाचार के जो आरोप आते हैं, उसकी रोकथाम को लेकर थाने के कार्यालय कक्ष में थाने के हाजत में और परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. बिहार सरकार के बेल्ट्रॉन के तहत यह सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं. बिहार के कुल 10 56 थानों में से 927 थानों को चिह्नित किया गया है. जहां पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने हैं. 927 थानों में से अब तक कुल 900 थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा चुके हैं और यह पूरी तरह से कार्यरत है.

अपराधियों को पकड़ने में सहूलियत
थानों को निर्देश दिया गया है कि थानों में लगे कैमरे के सीसीटीवी फुटेज को 45 दिनों तक सुरक्षित रखना अनिवार्य है. अगर किसी थाने में घटना होती है, तो आवश्यकता पड़ने पर हम उस थाने से वीडियो मंगवा कर उसे देख कर अनुसंधान कर सकते हैं. डीआईजी राजीव रंजन की मानें तो बचे हुए 27 थाने, जहां पर अब तक सीसीटीवी कैमरे नहीं लग पाए हैं. उनमें समस्या नए भवन की आ रही है. कुछ भवन तैयार हो चुके हैं, लेकिन पुराने भवन में ही चल रहा है अब तक शिफ्ट नहीं हो पाया है. इस वजह से थोड़ी समस्या आ रही है, जल्दी ही बचे हुए 27 स्थानों में सीसीटीवी कैमरे से लैस रहेंगे. थानो में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज फील्ड के आलाधिकारी समय-समय पर देखते रहते हैं. साथ ही राजधानी पटना समेत कई बड़े शहरों में चौक-चौराहे पर लगे कैमरे से अपराधियों को पकड़ने में बड़ी सहूलियत मिलती है.

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