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बत्ती गुल, इलाज चालू! नवादा में मोबाइल टॉर्च की रोशनी में डॉक्टरों ने किया इलाज

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Published : May 2, 2022, 4:39 PM IST

नवादा में मोबाइल टॉर्च की रोशनी में इलाज
नवादा में मोबाइल टॉर्च की रोशनी में इलाज ()

नवादा का रजौली अनुमंडलीय अस्पताल प्रबंधन इन दिनों अपनी लापरवाही को लेकर सुर्खियों में है. जहां मोबाइल टॉर्च की रोशनी में दो घायलों का इलाज किया (Treatment in mobile flashlight in Nawada) गया. बेहाल चिकित्सा व्यवस्था पर सवालिया निशान लग रहे हैं. पढ़ें ये खबर..

नवादा:एक बार फिर बिहार में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था (Poor Health System in Bihar) पर सवाल खड़े हो रहे हैं. नवादा में मोबाइल टॉर्च की रोशनी में इलाज करने का मामला सामने आया है. दरअसल,नवादा का रजौली अनुमंडलीय अस्पताल (Nawada Rajauli Sub Divisional Hospital) कुप्रबंधन को लेकर सुर्खियों में है. जख्मी परिजनों ने चिकित्सा व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए हैं. रविवार की देर शाम अचानक पूरे रजौली अस्पताल में बिजली गुल हो गई थी, जिसके बाद अस्पताल में रहे मरीजों को 20 मिनट तक बिना बिजली के ही गुजारा करना पड़ा.

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मोबाइल टॉर्च की रोशनी में इलाज:नक्सल प्रभावित इलाका रजौली के अनुमंडल अस्पताल में बिजली गुल होने के बाद मोबाइल टॉर्च में एएनएम ने दुर्घटना में घायल हुए लोगों का इलाज किया. इससे समझ सकते हैं कि अनुमंडलीय अस्पताल में लचर व्यवस्था के बीच मरीजों का इलाज कैसे किया जाता है. वहीं 20 मिनट तक बिजली गुल होने की बातों पर अस्पताल के प्रभारी राजीव कुमार ने बताया कि जनरेटर में प्रॉब्लम आया था, जिससे समस्या आई थी.

सड़क हादसे में घायल हुए थे दो शख्स: बता दें कि गया पथ एसएच 70 दुलरपुरा गांव के समीप बाइक और साइकिल में आमने सामने की टक्कर हुई थी. जिसमें बाइक सवार और साइकिल सवार दोनों युवक बुरी तरह से घायल हो गए थे. दोनों घायल युवक को गश्ती में रहे एसआई उपेंद्र सिंह ने आनन-फानन में अनुमंडल अस्पताल पहुंचाया. जहां बिजली गुल थी, जिसके बाद मोबाइल की रोशनी में दोनों युवक का प्राथमिक उपचार किया गया. उसके बाद चिंताजनक हालत में दोनों को सदर अस्पताल नवादा भेज दिया गया.

लापरवाही को लेकर लोगों में आक्रोश:अनुमंडल अस्पताल की इस व्यवस्था को लेकर लोगों में काफी आक्रोश है. घायल के परिजन से लेकर स्थानीय लोग भी इसको लेकर कड़ी निंदा कर रहे हैं. आखिर इतने बड़े अस्पताल में बिजली कटने के बाद कोई अल्टरनेट व्यवस्था नहीं है. ऐसे में मोबाइल की रोशनी पर कितने दिन कितने मरीजों का इलाज किया जाएगा.

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