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दुर्गा विसर्जन, गोलीकांड और आगजनी, पढ़ें मुंगेर घटना की Inside Story

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Published : Oct 30, 2020, 10:14 PM IST

मुंगेर में हुए गोलीकांड के बाद यह मुद्दा बिहार के साथ-साथ राष्ट्रीय राजनीति में भी गरमाता जा रहा है. सीआईएसएफ के जवानों ने जो रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी है, उसमें बताया गया है कि भीड़ पर पहली गोली लोकल पुलिस की ओर से चलाई गई थी. विपक्षी दल अब इस वारदात के बाद नीतीश सरकार को आड़े हाथों ले रहे हैं.

मुंगेर घटना की Inside Story
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मुंगेरःबीते सोमवार को मुंगेर जिले में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुए पुलिस फायरिंग में एक नौजवान की मौत हो गई. सीआईएसएफ की ओर से दिए गए बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया कि गोली पहले लोकल पुलिस प्रशासन ने ही चलाई थी. इस गोलीकांड में 19 वर्षीय अनुराग पोद्दार की मौत हो गई. जिसके बाद जिले के लोगों में गुस्से की चिंगारी भड़क उठी और गुरुवार को पथराव और आगजनी की घटना को अंजाम दे दिया. इसके बाद डीआईजी मनु महाराज ने जिले की कमान संभालते हुए फ्लैग मार्च किया और स्थिति पर काबू पाने की कोशिश की.

विसर्जन देखने निकला था अनुराग

जानकारी के अनुसार, 26 अक्टूबर की रात मुंगेर के लोहापट्टी का रहनेवाला अनुराग कुमार पोद्दार अपने परिजनों के साथ घूमने निकला था. वह परिजनों को देर से आने की बात कह कर विसर्जन देखने के लिए निकल गया. उसी दौरान पुलिस और विसर्जन में शामिल लोगों के बीच झड़प हुई और पुलिस की गोलीबारी में एक गोली सीधे उसके सर में लगी जिससे मौका-ए-वारदात पर उसने दम तोड़ दिया.

लाठीचार्ज करती पुलिस

बड़ी दुर्गा प्रतिमा विसर्जन करने को लेकर हुआ विवाद

मुंगेर जिले में कई वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है कि जब तक बड़ी दुर्गा माता की प्रतिमा का विसर्जन नहीं होता तब तक वहां के किसी और मूर्ति को विसर्जित नहीं किया जाता है. साथ ही वहां एक और नियम का पालन होता है जिसमें माता की मूर्ति को 32 कहार ही ले जा सकते हैं और कोई नहीं. यह परंपरा है कि मां कहारों के कंधे के सहारे ही विसर्जन के लिए जाती हैं. 32 कहारों के सहारे विसर्जन शोभायात्रा निकलती है.

थाना में आगजनी

इसी बीच पुलिस प्रशासन ने लोगों को चुनाव का हवाला देते हुए मूर्ति छोड़कर जाने को कहा और खुद विसर्जन करने की बात कही. लेकिन परंपरा और रीति-रिवाज पर अडिग लोगों ने इससे इंकार कर दिया जिसके बाद पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हो गई, जिसमें पुलिस ने गोली चला दी.

लोकल पुलिस ने चलाई थी गोली

चुनाव ड्यूटी में तैनात सीआईएसएफ के जवानों ने जो रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी है, उसमें बताया गया है कि भीड़ पर पहली गोली लोकल पुलिस की ओर से चलाई गई थी. जिसके बाद वहां मौजूद सीआईएसएफ और सीआरपीएफ जवानों ने बचाव में फायरिंग की थी. मुंगेर कांड को लेकर सीआईएसएफ की गोपनीय रिपोर्ट ने सारे मामला को खोल कर रख दिया है. सीआईएसएफ की इस रिपोर्ट के बाद जिला पुलिस की मुश्किलें बढ़ गईं हैं.

लीपी सिंह ने नहीं मानी थी बात

जानकारी के अनुसार, क्षेत्र के बुद्धजिवियों ने तत्कालीन एसपी लीपी सिंह को विसर्जन को लेकर अपनी राय दी थी. लोगों ने एसपी को बताया था कि क्षेत्र में काफी मान्यताओं के साथ बड़ी दुर्गा माता की मूर्ती का विसर्जन किया जाता है, इसलिए जोर-जबरदस्ती नहीं की जाए. लोगों ने शुक्रवार को विसर्जन करवाने की बात रखी थी लेकिन चुनाव का हवाला देते हुए लीपी सिंह ने इस बात को दरकिनार कर दिया था.

लीपी सिंह

नीतीश सरकार पर सवाल

विसर्जन के दौरान चली गोली ने विपक्षी दलों को नीतीश सरकार पर सवाल उठाने का मौका दे दिया है. एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार की तुलना जनरल डायर से कर डाली. वहीं जदयू के सहयोगी दल बीजेपी ने भी गोलीकांड पर सवाल उठाए हैं. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

नए एसपी-डीएम की नियुक्ति

एडीजी मुख्यालय जितेंद्र कुमार के मुताबिक मुंगेर में हालत नियंत्रण में है. बीएमपी की दो कंपनियों को वहां तैनात किया गया. घटना से आक्रोशित आम लोगों द्वारा गुरुवार को उपद्रव के बाद चुनाव आयोग के जरिए मुंगेर के डीएम और एसपी को हटा दिया गया. इसके बाद गृह विभाग के जरिए तत्काल नए डीएम रचना पाटिल और नए एसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों को पदभार दिया गया. दोनों अधिकारी पदभार ग्रहण करने के बाद विधि व्यवस्था पर नजर रखे हुए हैं.

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