बिहार

bihar

मोहनदास करमचंद गांधी.. हम सबके 'बापू'.. आपको पता है बापू 'महात्मा' कैसे बने.. आइये इतिहास के पन्नों को पलटते हैं

By

Published : Oct 2, 2021, 6:08 AM IST

महात्मा गांधी के नेतृत्व में गोरे जमींदारों के खिलाफ शुरू हुआ चंपारण के किसानों का सत्याग्रह राष्ट्रव्यापी हो गया. अंग्रेजी शासकों को झुकना पड़ा और किसानों पर जबरन थोपे गए सभी कर हटा लिए गए. चंपारण में सफल हुए सत्याग्रह ने देश की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया. पढ़ें ये खास रिपोर्ट..

मोहनदास करम चंद गांधी.
मोहनदास करम चंद गांधी.

मोतिहारी:वो अंग्रेजों का जुल्म ढाने वाला दशक था, जब बिहार के किसान गोरे नीलहे जमींदारों के अत्याचार से तड़प रहे थे. अंग्रेज जमींदार तीनकठिया, असामीवार, जिराती प्रथा जैसे अवैध कर लगा रहे थे. इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले किसान राजकुमार शुक्ल 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में पहुंचे. जहां उन्होंने गांधी जी से किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए चंपारण चलने का आग्रह किया. मोहनदास करम चंद गांधी (Mohan Das Karamchand Gandhi) ने राजकुमार शुक्ल की बातों को सुना और चंपारण आने का भरोसा दिया.

ये भी पढ़ें : नरसी भगत का 'वैष्णव जन', जिसे महात्मा गांधी ने जन-जन का बना दिया

गांधी जी ने राजकुमार शुक्ल के साथ 15 अप्रैल 1917 को मोतिहारी की धरती पर पहली बार कदम रखा, अगले दिन यानी 16 अप्रैल 1917 को जसौली पट्टी जाने का निर्णय लिया. हाथी पर सवार होकर जसौली पट्टी के लिए निकले, लेकिन मोतिहारी से 10 किलोमीटर दूर चंद्रहिया के पास एक अंग्रेज दारोगा आया और गांधी जी को तत्कालिन अंग्रेज कलेक्टर डब्ल्यू.बी. हेकॉक का नोटिस थमा दिया. इसमें गांधी को चंपारण जल्द-से-जल्द छोड़ने की बात लिखी हुई थी.

देखें वीडियो

मोहनदास तो आखिर, गांधी ठहरे, वो मोतिहारी तो लौट आए. लेकिन चंपारण में ही रहने की जिद्द पर अड़ गए. उसके बाद एसडीओ कोर्ट में उनपर मुकदमा चला. जहां उन्होंने अपनी बात रखी और जमानत लेने से इंकार कर दिया. इधर गांधी के मोतिहारी आने और कोर्ट में हाजिर होने की बात पर किसानों की एक बड़ी भीड़ ने एसडीओ कोर्ट को घेर लिया. लिहाजा, किसानों के आक्रोश और वरीय अधिकारियों के निर्देश पर एसडीओ ने करमचंद गांधी को बिना शर्त रिहा कर दिया.

एसडीओ कोर्ट से रिहा होने के बाद गांधी ने किसानों का बयान लेना शुरु किया. करम चंद गांधी ने 2900 गांवों के 13 हजार किसानों का बयान लिया. गांधी के नेतृत्व में चंपारण के किसान एकजुट होने लगे और उन्हे गांधी के रुप में 'महात्मा' दिखाई देने लगा. लोगों ने गांधी को 'महात्मा' कहना शुरु कर दिया.

मोहन दास करमचंद गांधी चंपारण के लोगों के लिए 'महात्मा गांधी' हो गए. महात्मा गांधी के नेतृत्व में गोरे जमींदारों के खिलाफ शुरू हुआ चंपारण के किसानों का सत्याग्रह राष्ट्रव्यापी हो गया. अंग्रेजी शासकों को झुकना पड़ा और किसानों पर जबरन थोपे गए सभी कर हटा लिए गए. चंपारण में सफल हुए सत्याग्रह ने देश की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया.

ये भी पढ़ें : गांधी विरासत पोर्टल पर 27 लाख पेजों का हुआ डिजिटलीकरण

ABOUT THE AUTHOR

...view details