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बक्सर: 11 साल में 1 योजना भी पूरा नहीं करा पाई सरकार, आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं लोग

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Published : Sep 17, 2020, 5:49 PM IST

अश्विनी कुमार चौबे ने जिला के सिमरी प्रखंड अंतर्गत केशोपुर पंचायत में 87 गांव के 214 वार्डों में शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए 100 करोड़ की लागत से वर्ष 2009 में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की सौगात दी गई थी. लेकिन 11 साल बीत जाने के बाद भी यह योजना जमीन पर नहीं उतर पाई.

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बक्सर

बक्सर:2020 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां पूरे दमखम के साथ चुनाव की तैयारी में है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, 15 साल जंगलराज बनाम 15 साल विकास के मुद्दे पर जनता को गोलबंद करने में लगे हैं. लेकिन 11 साल बाद भी जिले के केशोपुर पंचायत में 100 करोड़ की लागत से बनने वाले वाटर ट्रीटमेंट प्लांट योजना को बिहार सरकार पूरा नहीं करा पाई है. जिसके कारण आज भी गंगा दियारा के 214 वार्ड के लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीने के लिए मजबूर हैं.

2010 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बतौर बिहार सरकार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने जिला के सिमरी प्रखंड अंतर्गत केशोपुर पंचायत में 87 गांव के 214 वार्डों में शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए 100 करोड़ की लागत से वर्ष 2009 में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की सौगात दी गई थी. यह योजना 2012 तक पूरा करना था. लेकिन 11 साल बीत जाने के बाद भी यह योजना जमीन पर नहीं उतर पाई. जिसके कारण आज भी इस इलाके के लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीकर बीमार पड़ रहे हैं.

अधूरा पड़ वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट

चुनाव से पहले सांसद देते हैं सौगात
स्थानीय कहते हैं कि वर्ष 2010 से अब तक भारत सरकार के वर्तमान स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री सह बक्सर के स्थानीय सांसद अश्विनी कुमार चौबे बक्सर वासियों को चुनाव के दौरान कोई न कोई सौगात जरूर देते हैं. लेकिन पिछले 11 वर्षों में बक्सर वासियों को दी गई एक भी सौगात स्थानीय सांसद द्वारा पूरा नहीं कराया गया है. एक बार फिर उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों को 105 फ़ीट ऊंचे झंडे का झुनझुना देकर चुनाव के दौरान कुछ देने का रिकॉर्ड को कायम रखा है.

आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर लोग
जिला के सिमरी प्रखंड अंतर्गत गंगा दियारा इलाके के रहने वाले लोगों ने बताया कि आर्सेनिक युक्त पानी पीने के कारण इस इलाके के लोग चर्म रोग से ग्रसित हो गए हैं. जिसके कारण यहां कई गंभीर समस्याएं आ रही है. संभ्रांत परिवार के लोग शहर से शुद्ध पानी खरीद कर लाते हैं. लेकिन जो गरीब तबके के लोग हैं वो आज भी आर्सेनिक युक्त पानी पीने के लिए मजबूर हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले स्थानीय सांसद अश्विनी कुमार चौबे कुछ इलाक़ो में वाटर एटीएम और नलकूप के माध्यम से शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए शुरुआत की गई थी. लेकिन चुनाव परिणाम आने के साथ ही मशीन को बन्द कर दिया गया. सूचना देने के बाद भी इससे कोई देखने वाला नहीं आता है. यदि राज्य सरकार 2009 में लगे वाटर सीमेंट प्लांट की योजना को पूरा करा दी होती तो आज इस इलाके के लोग बीमारी से ग्रसित नहीं होते और ना ही गांव छोड़कर पलायन करते. दुर्भाग्य है कि जिस सांसद को 2 -2 बार भारत सरकार में मंत्री बना कर हम लोगों ने भेजा वह एक बार भी इस इलाके में नहीं आए.

देखें रिपोर्ट.

नए सिरे से योजना पर होगा काम
वहीं सिमरी प्रखंड के लोगों की इस समस्या को लेकर जब जिलाधिकारी अमन समीर से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि नए सिरे से उस योजना पर फिर से काम शुरू कराया जा रहा है. जल्द ही इस योजना को पूरा कराकर 214 वार्ड के प्रत्येक घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाया जाएगा.

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