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बोले शिक्षा मंत्री विजय चौधरी- लोकतंत्र में राजनेताओं के चुनाव के लिए चारित्रिक योग्यता सबसे अहम

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Published : Dec 3, 2021, 9:15 PM IST

ज्ञान भवन में शिक्षा मंत्री विजय चौधरी
ज्ञान भवन में शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ()

ज्ञान भवन पटना में डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती मनायी गई. इस मौके पर शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि राजनेताओं को चुनने के लिए भी चारित्रिक योग्यता सर्वोपरि है. पढ़ें रिपोर्ट...

पटना:डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती (137th Birth Anniversary of Dr Rajendra Prasad) पर मेधा दिवस सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. शुक्रवार को ज्ञान भवन में यह कार्यक्रम आयोजित था. मौके पर प्रदेश के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि लोकतंत्र में राजनेताओं को चुनने के लिए चारित्रिक योग्यता सर्वोपरि है. इस बयान को हाल ही में बिहार विधान परिषद के बाहर दो नेताओं के बीच हुए तू-तू मैं-मैं को संदर्भ में रख कर देखा जा रहा है.

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'देश में संविधान के निर्माण की जिनकी जिम्मेदारी है उनके चुनाव के लिए कोई शैक्षणिक योग्यता नहीं है जबकि संविधान का क्रियान्वयन करने वाली कार्यपालिका और संविधान की व्याख्या करने वाली न्यायपालिका के चुनाव के लिए शैक्षणिक योग्यता तय की हुई है. संविधान निर्माण के क्रम में संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद से संविधान सभा के सदस्यों ने पूछा कि संविधान की व्याख्या करने वाले और संविधान के क्रियान्वयन करने वालों के लिए शैक्षणिक योग्यता है, जबकि संविधान निर्माण करने के लिए कोई शैक्षणिक योग्यता नहीं है, ऐसा क्यों? इस पर डॉ राजेंद्र प्रसाद ने जो जवाब दिया वह आज भी शतप्रतिशत प्रासंगिक है.'-विजय चौधरी, शिक्षा मंत्री

ज्ञान भवन में शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने नेताओं के चारित्रिक योग्यता पर बात की

शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान सभा के सदस्यों को जवाब देते हुए कहा था कि लोकतंत्र में नेताओं के चुनाव के लिए चारित्रिक योग्यता सबसे अहम है. यही एकमात्र योग्यता है, जिसके आधार पर जनता को अपने नेता का चुनाव करना चाहिए. उन्होंने कहा कि नेताओं को चुनने के लिए आधार आज भी यही है. अगर अच्छे चरित्र के नेता सदन में पहुंचेंगे तो निश्चित रूप से देश एक चरित्रवान देश बनेगा और विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा.

बताते चलें कि हाल ही के दिनों में बिहार विधानसभा के परिसर में जिस प्रकार दो विभिन्न राजनीतिक दल के नेताओं में एक दूसरे पर अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया, उससे बिहार विधानसभा की छवि पर गहरा आघात पहुंचा. शिक्षा मंत्री के बयान को इसी संदर्भ से देखा जा रहा है.

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