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रेणु देवी बोलीं- 'नीतीश कुमार पिछड़ों की हकमारी कर रहे हैं, कई प्रमाण हमलोगों के पास है"

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Published : Oct 7, 2022, 6:44 PM IST

Updated : Oct 7, 2022, 7:32 PM IST

नगर निकाय चुनाव रोक के बावजूद बिहार में राजनीतिक सरगर्मी तेज है. इसको लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा (Renu Devi Target Nitish Kumar) है. उन्होंने कहा कि बिहार में खेल चल रहा है. मुख्यमंत्री ने अतिपिछड़ों का विश्वास तोड़ा है. एजी के रिपोर्ट को साझा करें, हमलोग इनके खिलाफ सड़कों पर उतर कर आंदोलन करेंगे. आयोग के पत्र को भी सार्वजनिक करें. बीजेपी ने ये नहीं कहा था कि चुनाव हो, महागठबंधन की सरकार आने के बाद नगर निकाय चुनाव की घोषणा हुई. पढ़ें पूरी खबर..

पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी
पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी

पटना: बिहार में नगर निकाय चुनाव पर रोक होने के बाद भी इसको लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज है. बीजेपी सीएम नीातीश कुमार पर हमलावर है. इसी क्रम में पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी (Former Deputy CM Renu Devi) ने बिहार सरकार को अड़े हाथ लेते हुए कहा कि बिहार में खेल चल रहा है. महागठबंनधन के लोग अति पिछड़ों की हकमारी कर रहे हैं. नगर निकाय का जो चुनाव था, उसमें आपाधापी में घोषणा की गई. सुप्रीम कोर्ट की घोषणा को नहीं माना गया. अतिपि छड़ों के लोग रहनुमा बन रहे हैं, मसीहा बन रहे हैं. जो चुनाव लड़ रहे थे, वो रोड पर आ गए हैं. रेणु देवी ने साफ-साफ कहा कि लगातार नीतीश कुमार अति पिछड़े समाज से अन्याय कर रहे हैं. जिसका कई प्रमाण हम लोगों के पास है.

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पूर्व डिप्टी सीएम रेणु देवी ने CM नीतीश पर कसा तंज :उन्होंने कहा कि जब हम मंत्री थे, उस समय में कई बार कहा गया कि यहां पर एक कमेटी का गठन किया जाए. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) अपनी जिद पर अड़े रहे और यही कारण रहा कि अभी तक कमेटी नहीं बनाई गई और अंततः हाईकोर्ट ने नगर निकाय के चुनाव को पूरी तरह से स्थगित कर दिया. करोड़ों रुपए जो उम्मीदवार नॉमिनेशन किया, चुनाव प्रचार किया. उसमें बर्बाद हुए. आखिर इसका जिम्मेदार कौन है?. निश्चित रूप से इसका जिम्मेदार हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी बता दिया और अपने मन से नगर निकाय का चुनाव करवाने की घोषणा कर दी.

'राज्य निर्वाचन आयोग पर दबाव बनाकर ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नगर निकाय के चुनाव के घोषणा करवा दी थी. जदयू के लोग पोल खोल करने की बात कर रहे हैं. लेकिन भारतीय जनता पार्टी जनता को साथ लेकर पूरे बिहार में आंदोलन करेगी और वर्तमान सरकार का पोल खोलने का काम करेगी. इन्होंने अति पिछड़ों के साथ लगातार अन्याय किया है. नीतीश कुमार अति पिछड़ों के लिए अगर काम किए हैं तो वह जो रिपोर्ट है, उसको सार्वजनिक करें. एजी का रिपोर्ट जो हर साल आता है, उसको भी सार्वजनिक करें. लेकिन वह नहीं कर सकते. क्योंकि वह चीज जब सार्वजनिक होगी तो कहीं ना कहीं सब कुछ सामने दिखेगा. पता चल जाएगा कि पिछड़ा समाज के लिए नीतीश कुमार ने कुछ नहीं किया है.'- रेणु देवी, पूर्व डिप्टी सीएम

नगर निकाय चुनाव पर रोक के बावजूद राजनीति तेज :बिहार के पूर्व सीएम रेणु देवी नेकहा कि कर्पूरी ठाकुर ने जो फार्मूला बनाया था, जिस तरह से अति पिछड़ा समाज में जातियों को शामिल किया गया था. उसमें भी काफी छेड़छाड़ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया है. इन सब बिंदुओं को लेकर भारतीय जनता पार्टी भी अति पिछड़ा समाज के साथ पूरे राज्य में आंदोलन करेगी. सवाल पूछेगी आखिर क्या कारण है कि अति पिछड़ा समाज की हकमारी नीतीश कुमार कर रहे हैं. आगे कहा कि हम भी अतिपिछड़ा समाज से आते हैं और हम सभी बातों को जानते हैं. इसका पोल हम जनता के सामने खोलेंगे. उन्होंने आरोप लगाया की मुख्यमंत्री ने अपने जिद के कारण ऐसा किया है. जब मुख्यमंत्री को सदन में बहुमत पास करना रहता है तो विशेष सदन बुलाते हैं और एक दिन अतिपिछड़ा समाज के कल्याण के लिए सत्र नहीं बुला सकते हैं. हम मांग करते है कि वो इस मुद्दे पर विशेष सत्र बुलाएं और कमिटी बनाएं.

नगर पालिका चुनाव 2022 स्थगित :गौरतलब है कि बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने अगले आदेश तक के लिए नगर पालिका चुनाव 2022 को स्थगित कर दिया (Bihar Municipal Election Postponed) है. पटना हाई कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला लिया है. नगर पालिका आम निर्वाचन 2022 के पहले और दूसरे चरण के लिए 10 अक्टूबर और 20 अक्टूबर को होने वाले मतदान की तिथि को तत्काल स्थगित कर दिया है. जानकारी दी गयी है कि स्थगित निर्वाचन की अगली तिथि जल्द ही सूचित की जाएगी.

तीन जांच की अर्हता पूरी होने के बाद फैसला :बता दें कि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ईबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती. तीन जांच के प्रावधानों के तहत ईबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़ें जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत है. साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ईबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करे.

Last Updated : Oct 7, 2022, 7:32 PM IST

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