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कुलपति भ्रष्टाचार विवाद के बीच आज शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिलेंगे राज्यपाल फागू चौहान

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Published : Nov 24, 2021, 9:15 AM IST

राज्यपाल फागू चौहान
राज्यपाल फागू चौहान ()

मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद पर निगरानी के छापे और वीसी पर लग रहे आरोपों के बाद बिहार के राज्यपाल फागू चौहान आज केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से दिल्ली में मुलाकात करेंगे. 23 नवंबर को राजभवन में चांसलर अवार्ड समारोह आयोजित किया गया था लेकिन शिक्षा विभाग की तरफ से समारोह में कोई शामिल नहीं हुआ. वीसी विवाद में सरकार और राजभवन के बीच कड़वाहट दिखने लगी है.

पटना: बिहार में कुलपति पर भ्रष्टाचार के मामले को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद (Magadh University Vice Chancellor Rajendra Prasad) पर निगरानी के छापे के बाद भी कार्रवाई नहीं होने से सरकार की नाराजगी दिख रही है. 23 नवंबर, मंगलवार को हुए चांसलर अवार्ड समारोह को भी शिक्षा विभाग ने एक तरह से बहिष्कार कर दिया था. समारोह में न तो शिक्षा मंत्री विजय चौधरी (Education Minister Vijay Choudhary) गए और ना ही शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार. कोई अन्य अधिकारी भी इसमें शामिल नहीं हुआ.

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निगरानी के छापे के बाद शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा था कुलपति नियुक्ति का जो प्राधिकार है, उसे सचेत होना चाहिए. ऐसे तत्वों की पहचान भी होनी चाहिए. ऐसी व्यवस्था भी होनी चाहिए जिससे ऐसे लोग कुलपति नहीं बन पाए. शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने चांसलर अवार्ड को लेकर भी कहा था कि इसमें शिक्षा विभाग की कोई भूमिका नहीं है. असल में चांसलर अवॉर्ड ऐसे कुलपति को दिया गया है जिस पर कई तरह के आरोप हैं.

बिहार में वीसी पर लग रहे आरोपों को लेकर दिल्ली में भी हलचल शुरू हो गयी है. इस बीच राज्यपाल फागू चौहान (Bihar Governor Fagu Chauhan) आज इस मामले पर दिल्ली दौरे पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Education Minister Dharmendra Pradhan) से मिलेंगे. दोनों के बीच मुलाकात को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. हालांकि राजभवन की ओर से राज्यपाल के दिल्ली दौरे को लेकर किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी जा रही है.

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बिहार में कुलपति की नियुक्ति लंबे समय से विवादों में है. पहले मुख्यमंत्री की ओर से कुलपतियों की नियुक्ति की सूची राजभवन को भेजी जाती थी. उसी में से राजभवन को चयन करना होता था लेकिन अब स्क्रीनिंग कमेटी और सेलेक्शन कमिटी के माध्यम से कुलपति का चयन होता है.

उसके बाद राज्यपाल और मुख्यमंत्री की सहमति से नियुक्ति होती है. राजभवन की ओर से संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला जाता है. आवेदक की पहले पांच सदस्य स्क्रीनिंग कमिटी स्क्रीनिंग करती है. तब सेलेक्शन कमिटी उनमें से कुलपतियों के नाम का चयन करता है.

स्क्रीनिंग कमेटी और सलेक्शन कमिटी में पांच पांच सदस्य होते हैं जो राजभवन और सरकार की ओर से नॉमिनेटेड होते हैं. पिछले कुछ सालों से राजभवन की भूमिका कई मामलों में बढ़ी है. ऐसे वित्तीय अधिकार सरकार के पास ही होता है. फिलहाल मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद पर निगरानी के छापे के बाद मिली संपत्ति से विवाद बढ़ा हुआ है.

मगध विश्वविद्यालय के कुलपति फिलहाल अवकाश पर चले गए हैं लेकिन राजभवन की ओर से कार्रवाई नहीं होने से सरकार की नाराजगी दिख रही है. ऐसे में राज्यपाल फागू चौहान के दिल्ली दौरे और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात पर सबकी नजर है.

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