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कृषि विभाग की कवायदः बीच में ही पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चे खेती बाड़ी से नहीं रहेंगे अनजान

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Published : Oct 17, 2022, 10:42 PM IST

कृषि शिक्षा परिषद ने ऐसा मसौदा तैयार किया है कि यदि कोई छात्र प्राइमरी तक की भी पढ़ाई (Education of agriculture in primary class in Bihar) करता है तो वह खेती बारी के बारे में जानकारी हासिल कर सके. इसके लिए शुरुआती कक्षा में दो से तीन पाठ कृषि पर आधारित होंगे. विभाग का मानना है कि किसी कारण से यदि कोई बच्चा आगे की पढ़ाई नहीं कर पाता है तो कृषि उसके लिए अनजान विषय नहीं रहेगा.

कृषि
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पटना: बिहार में अब प्राइमरी कक्षाओं में भी कृषि की पढ़ाईकराने की तैयारी (Education of agriculture in primary class in Bihar) हो रही है. छोटी कक्षा में बच्चों के हिसाब से पाठ्यक्रम का प्रारूप कैसा होगा, कृषि शिक्षा परिषद इसकी तैयारी कर रही है. इसका उद्देश्य एक तरफ छात्रों में कृषि के प्रति रुझान बढ़ाना है. विभागीय स्तर पर यह भी चर्चा है कि कृषि विज्ञान के छात्रों को आगे की पढ़ाई में रिजर्वेशन भी देने पर विचार किया जा सकता है.

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कृषि शिक्षा परिषद ने मसौदा तैयारः विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कृषि शिक्षा परिषद ने ऐसा मसौदा तैयार किया है कि यदि कोई छात्र प्राइमरी तक की भी पढ़ाई करता है तो वह खेती बारी के बारे में जानकारी हासिल कर सके. इसके लिए शुरुआती कक्षा में दो से तीन पाठ कृषि पर आधारित होंगे. विभाग का मानना है कि हर साल करीब एक करोड़ से ज्यादा बच्चे प्राइमरी और मध्य विद्यालय में नामांकन लेते हैं. किसी कारण से यदि कोई बच्चा आगे की पढ़ाई नहीं कर पाता है तो भी वह कृषि के बारे में जानकारी हासिल कर सकेगा. कृषि उसके लिए अनजान विषय नहीं रहेगा.


कृषि एजुकेशन को बढ़ावाः विभागीय जानकारी के अनुसार सरकार के जितने भी कृषि शिक्षा के उच्च संस्थान है, उनमें एडमिशन के लिए राज्य के उन छात्रों को जो आईएससी एजी (फिजिक्स, केमिस्ट्री, एग्रीकल्चर) किए होते हैं 50% रिजर्वेशन मिलता है. राज्य के 11 जिलों में एक-एक विद्यालय में खोले गए हैं. 2017 में ऐसे 27 स्कूलों की स्थापना की गई और वर्तमान में राज्य के सभी जिलों के एक-एक कॉलेज में इंटरमीडिएट कृषि विज्ञान की स्टडी कराई जा रही है. कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने टेलीफोन पर हुई बातचीत में बताया कि बिहार में कृषि एजुकेशन को लेकर जो नीति है, उसका अध्ययन किया जा रहा है ताकि कृषि एजुकेशन को बढ़ावा मिले और बेहतर चीजों को समायोजित किया जा सके.

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कृषि कॉलेजों की संख्या में बढ़ोतरीः ज्ञात हो कि राज्य में कृषि कॉलेजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. 2010 तक राज्य में केवल एक ही कृषि विश्वविद्यालय डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय पूसा में था. अब यह सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा पा चुका है. इसके अलावा बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर, भागलपुर व पशु विज्ञान विश्वविद्यालय काम कर रहे हैं. कृषि कॉलेज की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है. यह 2 से बढ़कर 6 हो चुकी है. इसके अलावा नालंदा में कॉलेज आफ हॉर्टिकल्चर और मोतिहारी में वानिकी कॉलेज खुल चुके हैं. वहीं फिशरीज की स्टडी को लेकर दो कॉलेज हैं.


"बिहार में कृषि एजुकेशन को लेकर जो नीति है, उसका अध्ययन किया जा रहा है ताकि कृषि एजुकेशन को बढ़ावा मिले और बेहतर चीजों को समायोजित किया जा सके"-कुमार सर्वजीत, कृषि मंत्री

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