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कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच अस्पतालों में बच्चों के लिए 10% बेड रिजर्व

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Published : Aug 27, 2021, 7:23 PM IST

कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चों के अधिक संक्रमित होने का खतरा है. इसे देखते हुए बिहार के सरकारी अस्पतालों में 10 फीसदी बेड रिजर्व किया जा रहा है. पढ़ें पूरी खबर.

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पटना: केरल, तमिलनाडु, बेंगलुरु और महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों में हाल के दिनों में कोरोना (Corona) के मामले तेजी से बढ़ने शुरू हुए हैं. ऐसे में कोरोना वायरस के संक्रमण (Corona Infection) की रफ्तार और तीसरी लहर (Third Wave of Corona) की आशंका को देखते हुए बिहार सरकार अलर्ट मोड पर है. बिहार में बच्चों को लेकर अस्पतालों में विशेष तौर पर तैयारी की जा रही है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Health Minister Mangal Pandey) ने प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में 10% बेड बच्चों के लिए रिजर्व रखने का आदेश दिया है.

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प्रदेश के अस्पतालों में जितने भी पीकू वार्ड (PICU Ward) हैं, उन्हें कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार किया जा रहा है. बताते चलें कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर सबसे अधिक खतरे की आशंका जतायी जा रही है. ऐसे में उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत है. मंगल पांडे ने गुरुवार देर शाम आदेश जारी किया कि राज्य के 35 जिलों व 8 मेडिकल कॉलेजों में संचालित नीकू में 10% बेड कोरोना वायरस से संक्रमित बच्चों की देखभाल के लिए सुरक्षित किए जाएं. इसके साथ ही सभी बेडों पर ऑक्सीजन की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाए.

स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि सामुदायिक स्तर पर कोरोना के बेहतर प्रबंधन के लिए आशा, एएनएम, आरबीएसके टीम को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संस्थान केंद्र, नई दिल्ली द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है. यह प्रशिक्षण शुक्रवार 27 अगस्त तक पूरा हो जाएगा. राज्य के 11 जिलों में पीकू वार्ड का संचालन हो रहा है. जिसमें पूर्वी चंपारण, नवादा, सारण, गोपालगंज, समस्तीपुर, औरंगाबाद, गोपालगंज, जहानाबाद, वैशाली और सिवान शामिल हैं.

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इसके अलावा सभी मेडिकल कॉलेज में पीकू वार्ड चल रहे हैं. जिन अस्पतालों में बच्चों के लिए वार्ड नहीं है, वहां नए वार्ड बनाने का कार्य चल रहा है. अस्पतालों में बेड के साथ आईसीयू (ICU) और वेंटिलेटर की सुविधा भी बढ़ाई जा रही है. तीसरी लहर में बच्चों पर खतरे की आशंका को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया है कि इसको लेकर पहले से ही तैयारी पूरी कर ली गई है. कोरोना संक्रमित बच्चों को उच्चस्तरीय चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए राज्य के मेडिकल कॉलेजों के शिशु रोग विशेषज्ञों को नई दिल्ली में प्रशिक्षित किया गया है.

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इसके अलावा जिलों में तैनात दो शिशु रोग विशेषज्ञों से मेडिकल ऑफिसर और 12 स्टाफ नर्स को पटना एम्स (Patna AIIMS) द्वारा प्रशिक्षण दिया गया है. यह प्रशिक्षण जुलाई महीने में हुआ था. जिसमें विशेषज्ञ चिकित्सकों ने इस बात की ट्रेनिंग दी की कोरोना संक्रमित बच्चों को किस प्रकार उचित देखभाल कर कोरोना मुक्त किया जा सकता है. अगर बच्चे की स्थिति गंभीर होती है तो उस समय कैसे उसकी जान बचाई जा सकती है.

पटना के कदमकुआं स्थित राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय अस्पताल (Government Ayurveda College Hospital) के अधीक्षक डॉक्टर विजय शंकर दुबे ने कहा कि देश के अन्य राज्यों में भले ही कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, मगर बिहार में स्थिति नियंत्रण में है. यहां कई जिले ऐसे हैं, जहां संक्रमितों की संख्या 0 है. प्रतिदिन कहीं-कहीं गिने-चुने मामले सामने आ रहे हैं. हालांकि देश के दूसरे जगहों पर जिस प्रकार संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं, बिहार को भी अलर्ट रहने की जरूरत है.

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उन्होंने कहा कि इसको देखते हुए प्रदेश के सभी अस्पतालों में कोरोना से निपटने के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से निर्देश भी आ गया है. कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने की आशंका अधिक है. ऐसे में जरूरी है कि अभिभावक बेवजह बच्चों को घर से बाहर ना भेजें. बच्चे अगर घर से बाहर निकलते हैं तो उनके चेहरे पर मास्क जरूर हो. अभी बच्चों के लिए टीकाकरण (Vaccination) शुरू नहीं हुआ है. यह ट्रायल फेज में ही है.

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