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बिहार की महादलित मुखिया, जिसे ना तो आवास योजना का लाभ मिला ना ही बना राशन कार्ड

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Published : Sep 22, 2022, 7:31 PM IST

जंगल से लकड़ी लाती सविता देवी.
जंगल से लकड़ी लाती सविता देवी. ()

बिहार में आवास योजना या फिर राशन कार्ड बनवाने में अक्सर धांधली की शिकायत मिलती रहती है. यहां कई ऐसे मामले सामने आये हैं, जिसमें नाबालिग और मृतकों के नाम पर भी आवास योजना की राशि का भुगतान किया गया है. दूसरे के मकान के सामने फोटो लेकर राशि का भुगतान करा लिया गया है. लेकिन, गया जिले में एक ऐसी मुखिया हैं जिसे न तो आवास योजना का लाभ मिल रहा और न ही राशन कार्ड. पति परदेस में जाकर कमाता है.

गयाः जिले के परैया प्रखंड की कपसिया पंचायत की मुखिया सविता देवी हैं. महादलित हैं और गरीबी रेखा के नीचे आती हैं. सविता देवी काे लगभग एक साल हाे गये मुखिया बने हुए, लेकिन उसे अबतक आवास याेजना का लाभ नहीं मिल सका. सरकारी राशन का लाभ ले सके इसके लिए राशन कार्ड भी नहीं है उसके पास. लकड़ियां चुनकर खाना बनाती हैं, क्याेंकि उज्ज्वला याेजना के तहत गैस का कनेक्शन नहीं मिला है. मुखिया हाेने के बाद भी सरकार की किसी भी योजना का लाभ इन्हें अबतक नहीं मिल सका है.

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सरकारी योजना का कोई लाभ नहीं मिलाः मुखिया सविता देवी बताते हैं कि किसी तरह मुफलिसी में जिंदगी काट रही है. पति पिंटू मांझी बाहर कमाता है, पैसा भेजता है जिससे गुजर बसर हाे रहा है. एक अदद पक्का मकान भी नहीं है. वह मांग करती है, कि उसे सरकारी आवास योजना का लाभ दिया जाए, लेकिन काेई सुनवाई नहीं हाे रही है. सविता देवी बताती हैं, कि मुखिया बने साल भर हो गए, किंतु उसे ही आजतक एक भी सरकारी याेजना का लाभ नहीं मिल सका है. एक मुखिया की यह गुहार चौंंकाने वाली है, क्याेंकि बिहार में मुखिया का पद काफी महत्वपूर्ण होता है. मुखिया की सिफारिश पर ही सरकारी याेजनाओं का लाभ मिलता है.

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परदेश में कमाता है पतिः महादलित महिला मुखिया सविता देवी बताती हैं, कि गरीबी के कारण उसके पति को मजबूरन परदेश में जाकर कमाना पड़ता है. परदेश में वह मजदूरी करके कुछ रुपए घर भेजते हैं, तब जाकर उसका घर चलता है. जंगल से लकड़ियां चुन कर लाती हैं तब घर में चूल्हा जलाता है. उसे उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन नहीं मिल सका है. दो बेटे और दो बेटियां हैं. सभी सात साल से कम उम्र के हैं. राशन कार्ड भी उसे आज तक नहीं मिल सका है. किसी तरह राशन का जुगाड़ कर पाती है.

मुखिया का घर.



मुखिया की गुहार सुनेगा कौनः मुखिया बनने के बाद भी सविता देवी अपनी गरीबी दूर करने के लिए गुहार लगा रही है, लेकिन इसकी गुहार कौन सुनेगा. सविता काे अपने पद और कार्यों के बारे में भी पूरी जानकारी नहीं है. एक व्यक्ति के माध्यम से यह अपने पंचायत के सारे कार्यों को कराती है. वो कहती हैं कि मेरी जिंदगी बहुत गरीबी में कट रही है. मुखिया होने के बावजूद मुझे सरकारी योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है. सरकार से गुहार लगाती हूं कि मुझे सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाए. साथ ही मुखिया होने के नाते तनख्वाह भी दी जाए.


"कपासिया पंचायत की मुखिया सविता देवी को क्या-क्या सरकारी योजना की लाभ की जरूरतें हैं, यह उनके द्वारा आज तक बताया नहीं गया है. अब इस मामले में पंचायत सचिव से जानकारी ली जाएगी. रही बात आवास योजना के लाभ की तो यह नंबर के हिसाब से दिया जाता है. सरकारी योजना के अनुसार जो लाभ देय होंगे, उसे मुखिया को जल्द ही उपलब्ध करा दिया जाएगा"- वीर बहादुर पाठक, प्रखंड विकास पदाधिकारी, परैया

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