कानपुर : हर माता-पिता को हमेशा फिक्र सताती है कि उनके बच्चे की पढ़ाई किसी तरह से बेहतर रहे. हालांकि तमाम ऐसे भी अभिभावक होते हैं जो बच्चों की लर्निंग एबिलिटी बेहतर न होने पर बहुत अधिक परेशान हो जाते हैं. अब ऐसे अभिभावकों के लिए आईआईटी कानपुर से एक राहतभरी खबर सामने आई है. आईआईटी की इंक्यूबेटेड कंपनी क्यूट ब्रेंस प्राइवेट लिमिटेड की मदद से ऐसा एप तैयार किया गया है जिससे आसानी से किसी चीज को जाना, समझा और सीखा जा सकता है. प्रोफेसर बृजभूषण ने वर्ष 2019 में एक एप- एसेसटिव एप्लीकेशन फॉर चिल्ड्रेन विद डिस्लेक्सिया एंड डिस्ग्राफिया को तैयार किया था. जिसका उपयोग अब शुरू हो चुका है. फिलहाल यह एप हिंदी भाषा के माध्यम से पढ़ाई करने वाले बच्चों की मदद करता है, जबकि पांच अन्य भाषाओं में एप को तैयार करने की दिशा में कवायद जारी है.
जानिए, कैसे एप बच्चों के लिए बन जाता है क्यूट ब्रेन :आईआईटी कानपुर के ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंस विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर बृजभूषण ने बताया कि डिस्लेक्सिया या अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चों में जो न्यूरल डेवलपमेंट होता है वह सामान्य बच्चों की तरह नहीं हो पाता. ऐसे में क्यूट ब्रेन के प्रतिनिधि बच्चों को एक टचस्क्रीन डिवाइस देते हैं. जिस पर बच्चों को पाठ्यसामग्री लिखकर या शब्द लिखते हुए अंगुली फेरनी होती है. यहां बच्चों को आडियो-वीडियो विजुअल्स की मदद के साथ हेप्टिक लर्निंग (बार-बार ऊंगली फेरना) का कांसेप्ट भी सिखाया जाता है. ऐसे में हमने शोध के दौरान देखा कि 60 दिनों तक लगातार अभ्यास के बाद गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चे भी आसानी से पढ़ाई करने लगते हैं. फिलहाल कक्षा एक से लेकर पांचवीं तक के बच्चों के लिए यह एप और तकनीक प्रभावी है. देशभर में किसी भी स्कूल में इस एप का आसानी से प्रयोग किया जा सकता है.