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कान्हा की नगरी जीतने को 15 लड़ाके, किसके सिर सजेगा ताज, क्या हैं समीकरण, देखें रिपोर्ट - Mathura Lok Sabha Seat

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 13, 2024, 9:47 AM IST

Election 2024: मथुरा लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी हेमा मालिनी लगातार दो बार सांसद रह चुकी हैं. इस बार वह हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में हेमा मालिनी के सामने 14 लोग हैं. आईए जानते हैं यहां के वोटर किसके साथ रहेंगे. क्या हेमा मालिनी की हैट्रिक लगेगी या कान्हा की नगरी को कोई नया सांसद मिलेगा.

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मथुरा: Lok Sabha Election 2024: मथुरा लोकसभा सीट पर दूसरे चरण यानी 26 अप्रैल को मतदान होना है. प्रत्याशी चुनावी मैदान में अपना-अपना दमखम दिख रहे हैं तो वहीं वोटरों को लुभाने के लिए अनेक प्रकार के वादे भी किया जा रहे हैं.

मथुरा लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें आती हैं. जनपद की पांचों विधानसभा सीटों पर 2022 में भारतीय जनता पार्टी के विधायक निर्वाचित हुए तो वहीं बीजेपी ने तीसरी बार सांसद हेमा मालिनी को चुनावी मैदान में उतारा है.

जिले में सबसे अधिक जाट वोट होने के नाते प्रत्याशी भी जाट ही मैदान में है. जनपद में 19 लाख 23 हजार 263 मतदाता हैं. इसमें 10 लाख 28 हजार 840 पुरुष, 8 लाख 94 हजार 362 महिलाएं हैं.

भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रत्याशी जो की दो बार से लगातार सांसद रहे सिने स्टार हेमा मालिनी को चुनावी मैदान में उतारा है. कांग्रेस-सपा गठबंधन से मुकेश धनगर मैदान में हैं तो बसपा ने सुरेश सिंह पर दांव खेला है. जिले में तीन राजनीतिक प्रत्याशियों के पार्टी सहित कल 15 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं.

मथुरा जाट क्षेत्र होने के कारण यहां इनके वोटरों की संख्या भी अधिक है. जाट चार लाख 37 हजार 654, ब्राह्मण तीन लाख सात हजार 612, क्षत्रिय वोट दो लाख 27 हजार 889, वैश्य एक लाख 54 हजार793 वोट हैं. यादव 45 हजार 287, गुर्जर 45 हजार 998, लोधी वोटर 27 हजार 552, बघेल 49 हजार 52, जाटव दो लाख 30 हजार 628, खटिक 18 हजार 814, कोरी 20 हजार 519, धोबी 18 हजार 777, वाल्मीकि 55 हजार 224 वोट हैं. अल्पसंख्यक एक लाख 56 हजार 397, सिख 1436, ईसाई1897, पंजाबी दो हजार वोट हैं.

कृष्ण की नगरी ने विश्व पटल पर अपनी पहचान बनाई हुई है. जनपद मंदिरों के शहर के नाम से भी विख्यात है. मथुरा गोवर्धन बरसाना नंदगांव गोकुल महावन और वृंदावन हजारों मंदिर स्थापित हैं.

प्रदेश में 2017 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा के अनेक स्थान को धार्मिक स्थल घोषित करने के साथ-साथ मंदिरों के 500 मीटर तक मांस और मदिरा बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है.

धार्मिक स्थान होने के साथ-साथ कृष्ण की जन्मस्थली के नाम से विख्यात मथुरा विख्यात है. जबकि मथुरा का प्राचीन नाम मधुपूरा है. पिछले कई वर्षों से यमुना शुद्धिकरण को लेकर आंदोलन धरना प्रदर्शन जमीनी स्तर पर किए गए लेकिन, नतीजा कुछ नहीं निकला. लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का यमुना शुद्धिकरण को लेकर हर बार वादे किए जाते हैं.

आगरा दिल्ली राजमार्ग पर स्थित छाता शुगर मिल घाटे में चलने के कारण 2009 में बंद कर दी गई थी. उसके बाद लोकसभा और विधानसभा चुनाव में छाता मिल चालू करने को लेकर चुनाव में अहम मुद्दा माना जाता है. वर्तमान में छाता शुगर मिल को लेकर प्रदेश सरकार ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है और जल्द ही चालू करने का आश्वासन दिया गया है.

धार्मिक स्थलों के मंदिर पर दर्शन करने के लिए करोड़ों श्रद्धालु और बृजवासी दर्शन करने के लिए जाते हैं लेकिन, मथुरा वृंदावन और वृंदावन के प्रमुख मार्गो में जाम की समस्या विकराल बन चुकी है.

जनपद में इंडस्ट्रीज की बात की जाए तो हर बार राजनीतिक पार्टियां रोजगार दिलाने के अनेक वादे करती है. मथुरा आगरा दिल्ली राजमार्ग पर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन रिफाइनरी की यूनिट स्थापित है जो 1980 में कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी के द्वारा स्थापित की गई थी.

जनपद में इंडस्ट्रीज के तौर पर नल टोटी उद्योग साड़ी कारखाना पेप्सिको कंपनी इंडस्ट्रीज बनी हुई है लेकिन, बीते 10 वर्षों में नई यूनिट स्थापित नहीं हुई जिसके कारण युवा वर्ग रोजगार से वंचित है.

26 अप्रैल को जनपद में मतदान होना है. राजनीतिक पार्टी के प्रत्याशी अपना अपना जीत के दावे दिखा रहे हैं तो वहीं मतदान के दिन देखना होगा की वोटर का मन किस ऊंट करवट लेता है 4 जून को मतगणना के बाद तस्वीर साफ हो सकेगी.

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