रायपुर:महतारी वंदन योजना के मंच से आज एक पंथ दो काज हुए. पहला तो ये हुआ कि पीएम मोदी ने 70 लाख से ज्यादा हितग्राहियों के खाते में पैसे ट्रांसफर किए. दूसरा काम मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किया. सीएम ने रायपुर के साइंस कालेज ग्राउंड से छत्तीसगढ़ को बाल विवाह मुक्त बनाने के अभियान का आगाज किया. सीएम साय ने जैसे ही छत्तीसगढ़ को बाल विवाह मुक्त बनाने के अभियान का ऐलान किया तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा रायपुर गूंज उठा.
क्या है बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान:छत्तीसगढ़ बाल विवाह मुक्त अभियान में लोगों को कम उम्र में बेटियों की शादी कराने के नुकसान बताए जाएंगे. लोगों को जागरूक किया जाएगा. प्रचार प्रसार के जरिए लोगों को बताया जाएगा कि ये अपराध है, पकड़े जाने पर कड़ी सजा मिलेगा. कम उम्र में बेटे बेटियों की शादी करने से उनका मानसिक विकास रुक जाएगा. कम उम्र में मां बनने वाली लड़कियों की सेहत पर बुरा असर पड़ेगा. जन्म लेने वाले बच्चों के स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ता है. बस्तर और सरगुजा संभाग में ज्यादातर आदिवासी समाज के लोग रहते हैं. इन संभागों में रहने वाले गरीब घरों में आज भी कम उम्र में बेटे बेटियों की शादी कर दी जाती है. सरकार की कोशिश है कि परिवार को बढ़ाने और आगे बढ़ाने के लिए जो उम्र सीमा तय की गई है उसी सीमा में लोग अपने बेटे बेटियों की शादी करें.
क्यों पड़ी इस कैंपेन की जरूरत:बाल विवाह मुक्त अभियान चलाने के सबसे बड़ा मकसद है बेटियों के भविष्य को बचाना. छत्तीसगढ़ के ट्राइबल बेल्ट वाले इलाकों में आज भी बड़े पैमाने पर छोटी उम्र में बेटियों का का विवाह कर दिया जाता है. कम उम्र में विवाह करने से लड़कियों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है. कम उम्र में मां बनने के दौरान बेटियों की मौत और नवजात की मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता है. सरकार ये चाहती है कि कम उम्र में होने वाली शादियों के इन दुष्प्रभावों से बेटियों को बचाया जाए. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आंकड़ों के अनुसार 20-24 आयु वर्ग की 23.3% महिलाओं की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो गई.