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हाथियों का स्थाई आशियाना बने पांवटा साहिब के विभिन्न जंगल, 11 महीनों के अंतराल में हो चुकी दो बड़ी घटनाओं से दहशत - Elephant In Sirmaur

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Mar 24, 2024, 4:55 PM IST

Elephant In Paonta Sahib, Elephant In Sirmaur: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के पांवटा साहिब के जंगल हाथियों का स्थाई ठिकाना बन गए हैं. बताया जा रहा है करीब एक दर्जन हाथी यहां अपने स्थाई ठिकाने बना चुके हैं. वहीं, 11 महीने के अंदर यहां 2 लोगों का हाथी का आमना सामना हो चुका है जिसमें उनकी जान चली गई. पढ़ें पूरी खबर...

Elephant In Paonta Sahib
Elephant In Paonta Sahib

सिरमौर:पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से हिमाचल की सीमा के अंतर्गत पांवटा साहिब के जंगलों में हाथियों के आने का सिलसिला पिछले करीब 2-3 दशक से चल रहा है. पिछले 2 सालों में यहां हाथियों की मूवमेंट ज्यादा हुई है, लेकिन पिछले एक साल में पांवटा साहिब वन मंडल के अंतर्गत आने वाले विभिन्न जंगल हाथियों का स्थाई आशियाना बन चुके हैं. हालांकि स्थाई तौर पर यहां के जंगलों में रहने वाले हाथियों की संख्या की सही जानकारी तो नहीं है, लेकिन बताया जा रहा है कि करीब एक दर्जन हाथी अब यहीं अपना स्थाई ठिकाना बना चुके हैं. इसमें कुछ गिरीनगर के फांदी के जंगल, कुछ माजरा रेंज के अंतर्गत पानीवाला खाला के जंगल और कुछ सिम्बलवाड़ा स्थित कर्नल शेरजंग नेशनल पार्क में रह रहे हैं. वन विभाग भी इस बात को स्वीकार कर रहा है कि एक साल में हाथियों ने यहां के जंगलों में स्थाई डेरा बनाया है.

हाथियों का यहां स्थाई आशियाना बनाने का एक बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि उत्तराखंड के राजा जी नेशनल पार्क की तर्ज पर पांवटा साहिब के जंगलों में भी हाथियों को अनुकूल वातावरण मिल रहा है. दूसरी तरफ चिंता का विषय यह है कि अब तक हाथी केवल खेत-खलियानों को ही नुकसान पहुंचाते आ रहे थे, लेकिन पिछले करीब 11 महीनों के अंतराल में हाथियों के हमले में एक बुजुर्ग महिला सहित दो व्यक्ति अपनी जान गंवा चुके हैं. बावजूद इसके सरकार इस दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठा रही है. प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत भी अब तक विभाग को बजट जारी नहीं किया गया है. हालांकि वन विभाग की टीमें लगातार ग्रामीणों को इस दिशा में जागरूक कर रही है. वहीं, एलीफेंट प्रोन एरिया में निरंतर रात्रि गश्त भी की जा रही है. समय-समय पर ग्रामीणों के साथ बैठकें भी की जा रही है.

हाथी के पैरों के निशान.

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ग्रामीण काफी हद तक हो चुके जागरूक, लेकिन...

वन विभाग की मानें तो एलीमेंट प्रोन एरिया के अंतर्गत रहने वाले क्षेत्रों के ग्रामीण इस बाबत काफी हद तक जागरूक हो चुके हैं, लेकिन जंगलों के आसपास ढेरा जमाने वाले भेड़ पालकों व गुज्जरों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है. एक भेड़ पालक तपेंद्र सिंह के साथ हुई घटना में भी यह बात सामने आई है कि मृतक तपेंद्र अन्य भेड़ पालकों के साथ जिस जगह पर डेरे में रह रहा था, वह वहां से काफी दूर जंगल में चला गया. संभवत इसी बीच हाथी और तपेंद्र का आमना सामना हो गया होगा.

हाथियों के आगमन पर क्या करें

वन विभाग के मुताबिक हाथी आने की सूचना निकटवर्ती वन कर्मचारी को तुरंत दें. सभी घरों के बाहर पर्याप्त रोशनी करके रखें, ताकि हाथी की दस्तक से पहले ही दूर से पता चल सके. सामना होने की सूरत में ज्यादा से ज्यादा दूरी बनाकर रखें. पहाड़ी स्थानों पर सामना होने की स्थिति में पहाड़ी की ढलान की ओर दौड़े, न की ऊपर की तरफ. हाथी ढलान में तेज गति से नहीं उतर सकता. जबकि चढ़ाई चढ़ने में वह दक्ष होता है. वन विभाग के बताए गए सुरक्षा संबंधी दिशा निर्देशों का अनिवार्य रूप से पालन करें. जन-धन हानि होने की सूरत में बदले की भावना से प्रेरित होकर हाथियों के पास न जाएं. हाथी विचरण क्षेत्र में अपने गांवों के वृद्ध, अपाहिज व छोटे बच्चों की सुरक्षा का खास ध्यान रखें.

हाथी के पैरों के निशान.

इन बातों का भी रखें ख्याल और ये कार्य न करें

किसी भी प्रकार का शोरगुल न करें और उस क्षेत्र को तुरंत छोड़ दें. सेल्फी एवं फोटो लेने की उत्सुकता से भी उनके नजदीक बिल्कुल भी न जाएं. यह कदम प्राणघातक साबित हो सकता है. फसल लगे खेतों में होने की स्थिति में उन्हें खदेडने के लिए उनके पास न जाएं. गुलेल, तीर, मशाल व पत्थरों से बिल्कुल न मारें. इससे यह आक्रामक हो सकते हैं. शौच के लिए खुले खेत व जंगल में लगे स्थानों पर न जाएं. हाथी विचरण क्षेत्रों में देशी शराब व महुआ से बनी शराब न बनाएं और न ही उसका भंडारण करें. हाथियों को शराब की गंध आकर्षित करती है. विचरण क्षेत्रों में तेदुंपत्ता, फुटु, बांस के संग्रहण के लिए एवं मवेशी चराने भी न जाएं.

''पिछले एक वर्ष में कुछ हाथियों ने पांवटा साहिब के जंगलों को स्थाई ठिकाना बनाया है. हाथी अलग-अलग जंगल में रह रहे हैं. लोगों को निरंतर जागरूक किया जा रहा है, लेकिन भेड़ पालकों व गुज्जरों को अधिक सतर्क व जागरूक रहने की जरूरत है. हाल ही की घटना में भेड़ पालक अपने डेरे से काफी दूर जंगल में चला गया था और इसी बीच यह घटना सामने आई. इस तरह की घटनाओं की पुनृवत्ति न हो, इसको लेकर विभाग लगातार प्रयासरत है.'' -ऐश्वर्य राज, डीएफओ वन मंडल पांवटा साहिब

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