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UP BUDGET 2024 : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बनाए गए रोडमैप की झलक है यह बजट : भूपेंद्र सिंह चौधरी

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 5, 2024, 6:31 PM IST

उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को सात लाख 36 हजार करोड़ का बजट (UP BUDGET 2024) पेश किया. इस पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी (BJP Leader Bhupendra Singh Choudhary) ने कहा कि बजट प्रधानमंत्री के संकल्प को साकार करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बनाए गए रोडमैप की झलक है.

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लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने सोमवार को बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने इसे प्रदेशवासियों के लिए कल्याणकारी बजट बताया. उन्होंने कहा कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उत्तर प्रदेश राम राज्य की ओर बढ़ चला है. यह बजट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ सबका विकास के संकल्प को साकार करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बनाए गए रोडमैप की झलक है. सात लाख 36 हजार करोड़ का यह बजट पूरी तरह जनहित के लिए है.

भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार ने इसी संकल्पना को ध्यान में रखते हुए बजट में गांव, गरीब, किसान, नौजवान और महिलाओं का ख़ास ध्यान रखा है. रोजगार सृजन के साथ ही किसानों की आय में वृद्धि, महिलाओं की सुरक्षा, उनको सशक्त बनाने की भी बात बजट में की गई है. गरीब कल्याण को समर्पित इस बजट ने समाज के सभी वर्गों की चिंता की है. प्रदेश सरकार ने कुल बजट में 25 फीसदी हिस्सा इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स पर लगाने की बात कही है. इससे न केवल राज्य में निवेश आएगा, बल्कि लोगों को रोजगार के लिए नए अवसर मिलेंगे. राजकोषीय घाटा कम कर सरकार 24 हजार करोड़ से ज्यादा की नई योजनाएं भी प्रदेश सरकार शुरू करेगी.

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने धार्मिक आस्थाओं और सांस्कृतिक पहचान के केंद्रों के पुनरुद्धार के लिए सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि बजट में अयोध्या, मथुरा, काशी, चित्रकूट, नैमिष्य धाम, शीतला धाम, विन्ध्यधाम सहित धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के अन्य जनपदों में विकास के लिए धन का आवंटन स्वागत योग्य है. इन तीर्थों के विकास से न केवल यहां तीर्थाटन बढ़ेगा, बल्कि रोजगार के तमाम अवसर भी मिलेंगे. 2017 के पहले की सरकारों का बजट जनता को ठगने वाला होता था. जहां जनहित की बजाय निजी हितों के लिए धन आवंटित होता था. 2017 के बाद यह परंपरा और परिपाटी दोनों बदली है.

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