चिरमिरी के बरतुंगा कॉलरी में स्थित सती मंदिर विस्थापन को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है.एसईसीएल प्रबंधन पर आरोप है कि 600 साल पुराने मंदिर के अवशेष को विस्थापित करने से पहले ही ब्लास्ट से उड़ा दिया गया.जिसके बाद एक बार फिर एसईसीएल के खिलाफ स्थानीय लोगों ने मोर्चा खोल दिया है. वहीं इस मामले में पुरातत्व विभाग के अफसर जिला प्रशासन को इस लापरवाही पर नोटिस देकर वैधानिक कार्यवाही की बात कह रहे हैं.वहीं सेवादार ने राष्ट्रपति को खत लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है.
सेवादार ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छा मृत्यु (ETV Bharat Chhattisagrh)
विस्थापन से पहले ब्लास्ट करने का आरोप (ETV Bharat Chhattisagrh)
मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर :आपको बता दें कि चिरमिरी के ओपन कास्ट माइंस बरतुंगा में 14वीं शताब्दी का शिव मंदिर था. जिसे स्थानीय लोग सती मंदिर कहते थे. लेकिन जब इस स्थल पर कोयला खदान शुरू करने का काम चला तो मंदिर के पुजारी कोर्ट चले गए. कोर्ट ने इस पर जिला प्रशासन को आदेश दिया कि माइंस शुरू करने से पहले उस मंदिर के अवशेष को सुरक्षित जगह पर विस्थापित करके मंदिर का रूप दिया जाए.
एसईसीएल ने की जल्दबाजी :इस निर्देश के बाद पुरातत्व विभाग ने वहां बिखरे मंदिर के अवशेष को बारीकी से जुटाना शुरू किया ही था कि एसईसीएल के अफसरों ने कोयला निकालने की हड़बड़ी में ब्लास्ट कर दिया.
''मंदिर के अवशेष को जुटाने का काम पूरा नहीं हुआ था और ना ही हमने कोई एनओसी दिया था. उससे पहले ही धरोहर को ब्लास्ट से उड़ा दिया.'' जे.आर.भगत, उप संचालक, पुरातत्व विभाग
मंदिर को हटाने में जल्दबाजी का आरोप :स्थानीय सती मंदिर में सेवा का काम कर रहे हरभजन सिंह ने भी आरोप लगाए हैं कि मंदिर के विस्थापन होने से पहले ही एसईसीएल ने जल्दबाजी की है.धार्मिक आस्था और आदिवासी परंपरागत पूजा पद्धति के बिना ही मनमाने तरीके से मंदिर के अवशेषों को तोड़ा गया,इसके बाद हटा दिया गया. इतना ही नहीं सती मंदिर स्थान पर मंदिर के शिलालेख और पत्थर अभी भी पड़े हुए हैं जिसे हटाया नहीं गया. एसईसीएल चिरमिरी प्रबंधन की मनमानी के कारण सती मंदिर के स्थान पर ब्लास्टिंग कर दिया.अब हरभजन सिंह ने राष्ट्रपति को खत लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की है.
एसईसीएल प्रबंधन ने साधी चुप्पी :इस पूरे मामले में जिम्मेदार अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है. तहसीलदार शशि शेखर मिश्रा और एसईसीएल चिरमिरी ओपनकास्ट उप क्षेत्रीय प्रबंधक मनीष सिंह ने इस मामले में गोलमोल जवाब देकर अपना काम पूरा कर लिया. लेकिन इसे एसईसीएल चिरमिरी प्रबंधन की मनमानी ही कहेंगे कि इन शिलालेखों और पुरातात्विक अवशेषों को सुरक्षित करने के लिए अपनी नैतिक जिम्मेदारियां से अब सभी पीछे हट रहे हैं.
''सती मंदिर के विस्थापन का कार्य हो गया था. मंदिर के शिलालेख और पत्थरों को विस्थापित कर दिया गया. इसके बाद एसईसीएल प्रबंधन वहां क्या कर रहा है इसकी मुझे जानकारी नहीं है.''- शशि शेखर मिश्रा,तहसीलदार
आपको बता दें कि आदिवासी परंपरागत तरीके से 13वीं 14वीं शताब्दी के इस मंदिर के शिलालेखों को पूर्वज पूजते आ रहे थे.लेकिन एसईसीएल ने कोयले की खातिर मंदिर को नष्ट किया.वहीं अब बिना विस्थापन का काम पूरा हुए प्रबंधन ने मौके पर ब्लास्टिंग करके धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाया है. मंदिर के सेवादार हरभजन सिंह ने इस मामले में राष्ट्रपति को खत लिखकर इच्छा मृत्यु मांगी है.