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सागर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर बायोमेट्रिक अटेंडेंस का क्यों कर रहे विरोध, क्या आशंकाएं जताईं

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 10, 2024, 5:13 PM IST

Doctors oppose biometric attendance : मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर और कर्मचारियों को बायोमेट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य करने का बुंदेलखंज मेडिकल कॉलेज में विरोध तेज हो गया है. डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसे वे लोग केवल तय 8 घंटे की सेवाएं ही दे पाएंगे. इससे इमरजेंसी और दूसरी सेवाओं पर असर पड़ेगा.

Doctors oppose biometric attendance
सागर मेडिकल कॉलेज में बायोमेट्रिक अटेंडेंस का विरोध

सागर मेडिकल कॉलेज में बायोमेट्रिक अटेंडेंस का विरोध

सागर।देश के सभी मेडिकल कॉलेजों और स्वास्थ्य केंद्रों के लिए केंद्र सरकार ने नेशनल मेडिकल कमीशन एनएमसी (NMC) का गठन किया है. जिसका उद्देश्य मेडिकल एजुकेशन में गुणवत्ता लाना है. मेडिकल एजुकेशन में सुधार के लिए एनएमसी ने मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर, डॉक्टर्स और अन्य कर्मचारियों के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस की अनिवार्यता कर दी है. इसके तहत हर कर्मचारी को इन और आउट पंच करना होगा, जिसमें करीब 8 घंटे का अंतर होगा और उससे संबंधित सारा डाटा वेबसाइट पर सार्वजनिक होगा.

बायोयोमेट्रिक अटेंडेंस से सारा डाटा सार्वजनिक होने का डर

एनएमसी के इस फरमान के विरोध चिकित्सा शिक्षक संघ मैदान में उतर आया है. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के एन्सेथीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.सर्वेश जैन का कहना है कि नेशनल मेडिकल कमीशन एक रेगुलेटरी कमीशन है, जो मेडिकल एजुकेशन की गुणवत्ता नियंत्रित करने के लिए कानून के तहत बनाया गया है. हमारी परेशानी ये है कि एनएमसी बायोयोमेट्रिक अटेंडेंस के जरिए सुबह शाम पंच इन और पंच आउट पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. ये हमारी निजता में दखल है. क्योंकि जब हम थंब इंप्रेशन करते हैं तो टर्म एंड कंडीशन का बटन आता है, जिसको क्लिक करने के बाद थंब इंप्रेशन लिया जाता है. बडा सवाल डाटा सिक्योरिटी से जुडा है.

कर्मचारी नहीं देना चाहते 8 घंटे से ज्यादा सेवा

डॉ. सर्वेश जैन कहते हैं कि इस फरमान के बाद कर्मचारी भी लकीर के फकीर हो गए हैं और उनका फोकस सिर्फ 8 घंटे की नौकरी पर रह गया है. वह विभागाध्यक्ष होने के नाते दिन या रात में किसी फैकल्टी को ड्यूटी पर बुलाना चाहते हैं. फिर इमरजेंसी में जरूरत होती है तो अब कर्मचारी अपनी तय ड्यूटी बताकर आने से इंकार कर देता है. अब त्वरित व्यवस्था मेरे नियंत्रण से बाहर हो गयी है. क्योंकि फैकल्टी अब अपनी ड्यूटी नहीं, बल्कि पंच टाइम को मैनेज करने पर फोकस करते है.

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आगे चलकर ड्रेसकोड की भी तैयारी हो सकती है

वहीं चिकित्सा शिक्षक संघ का कहना है कि हमें जानकारी मिली है कि एनएमसी डाक्टर्स के लिए ड्रेस कोड और दाढी बनाकर ही कॉलेज आने जैसे कई नियम बनाने जा रहा है. हम लोगों का मानना है कि एनएमसी का काम मेडिकल एजुकेशन में गुणवत्ता लाना है, जिसकी हालत बद से बदतर हो चुकी है. पहले जिस बजट में नर्सिंग होम नहीं खुल पाता था, अब तो इससे कम पैसे में मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं. इसलिए एनएमसी गुणवत्ता पर ध्यान दे, ना कि कॉलेज के प्रोफेसर को परेशान करने और नए-नए तुगलकी फरमान जारी करने में.

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