छत्तीसगढ़ की सियासत में बढ़ी महिलाओं की भूमिका, जानिए कैसे बढ़ता गया ग्राफ - Lok Sabha Election 2024
भले ही इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री रही हो,लेकिन राजनीति में महिलाओं की भागीदारी कम ही देखने को मिलती थी.बात यदि छत्तीसगढ़ की करें तो मिनी माता और राजमाता देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव के अलावा कोई भी बड़ा नाम राजनीति में नहीं देखने को मिला. लेकिन मौजूदा समय में छत्तीसगढ़ के अंदर महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है.यही वजह है कि चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ने ही अपनी घोषणाओं में महिलाओं को केंद्रित किया है.
सरगुजा :पूरे देश में लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं. पहले चरण का मतदान हो चुका है.इस दौरान जो बात अब तक देखने को मिली है उसमें हर एक दल अपने भाषणों और घोषणाओं में महिलाओं को फोकस कर रहा है. राजनीति के क्षेत्र में जहां एक ओर महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है.वहीं दलों की घोषणाओं में महिलाओं का ध्यान रखा जा रहा है.फिर चाहे वो विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव.हर चुनाव में राजनीतिक दल महिला केंद्रित मुद्दों और योजनाओं को हवा दे रहे हैं.
बीजेपी और कांग्रेस का महिलाओं पर फोकस :केंद्र की बीजेपी सरकार ने उज्ज्वला जैसी योजना महिलाओं की झोली में डाली. इसके बाद छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने चुनाव से पहले महतारी वंदन योजना के तहत महिलाओं को एक हजार हर माह देने का वादा किया.जिसका नतीजा ये हुआ कि 2018 में 15 सीट में सिमटने वाली बीजेपी 54 सीट जीतकर सत्ता में आई. वहीं कांग्रेस ने भी एक हजार के जवाब में 15 हजार सालाना देने का वादा महिलाओं से किया था.लेकिन कांग्रेस की इस घोषणा का कोई असर नहीं हुआ.
इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार सुधीर पांडेय कहते हैं कि " छत्तीसगढ़ बनने के बाद से महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. पहले महिला वोटर्स की संख्या भी कम थी और राजनीतिक दल भी महिलाओं को टिकट देने में हिचकते थे,लेकिन 2003 के चुनाव के बाद से महिलाओं की भागीदारी बढ़ी. 2003 के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने महिलाओं को मैदान में उतार था.चुनाव में महिलाओं का स्ट्राइक रेट भी लगभग 50 फीसदी रहा था. 2008 में फिर से महिलाओं को टिकट दिया गया. इस बार स्ट्राइक रेट 50% से ऊपर गया. महिला वोटरों की भी संख्या बढ़ी.''
''महिलाओं की भागीदारी बढ़ने पर प्रदेश में महिलाओं से जुड़े मुद्दे आने लगे. दिखाने के लिए ही सही लेकिन राजनीति में महिलाओं को मौका दिया जाने लगा. पंचायत, निकाय, विधानसभा और लोकसभा चुनाव में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ी.''-सुधीर पाण्डेय, वरिष्ठ पत्रकार
अब तक छत्तीसगढ़ में कितनी महिला सांसद :2003 में कांग्रेस ने 10 महिलाओं को टिकट दिया था,जिसमें से 2 ही चुनाव जीत सकीं.जबकि बीजेपी ने 8 महिलाओं को मैदान में उतारा था,जिसमें से 5 विधायक बनीं.फिर लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने महिला उम्मीद्वारों को मैदान में उतारा.जिसमें सरोज पाण्डेय, करुणा शुक्ला,रेणुका सिंह, कमला पाटले, गोमती साय सांसद बनीं.जबकि कांग्रेस की ओर से सिर्फ ज्योत्सना महंत ही सांसद बनीं है. अब तक छत्तीसगढ़ में सिर्फ 7 महिला सांसद बनी हैं जिनमें 6 बीजेपी और 1 कांग्रेस से हैं.
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो ये चीज सामने आई है कि महतारी वंदन योजना का लाभ कहीं ना कहीं बीजेपी को मिला है.जिसका नतीजा ये रहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में महिलाओं को एक लाख सालाना देने का ऐलान कर दिया.आज सभी की जुबान में इस योजना की चर्चा है.छत्तीसगढ़ की लोकसभा सीट के बारे में बात करें तो यहां कई सीटों में महिलाएं पुरुषों से ज्यादा हैं.ऐसे में यदि महिलाओं का वोट एकतरफा गया,तो वो जीत और हार का समीकरण बिगाड़ सकता है.
वर्तमान में भी विष्णु देव सरकार में महिलाओं की भागीदारी भी ज्यादा है. वर्तमान में रेणुका सिंह, लता उसेंडी और गोमती साय जैसी बड़ी महिला नेत्री सक्रिय हैं. छत्तीसगढ़ के विधानसभा में पहली बार 2023 में एक साथ निर्वाचित होकर 18 महिलाएं विधानसभा में पहुंची. सरगुजा संभाग से सबसे अधिक छह महिलाएं विधायक चुनी गई हैं. 2018 के चुनाव में 13 महिलाएं विधायक बनीं थीं. इसके बाद हुए उपचुनाव में तीन महिलाएं भी जीती थीं. 2023 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 15 और कांग्रेस ने 18 महिलाओं को मैदान में उतारा था. जिसमें से बीजेपी की 8 और कांग्रेस की 10 महिलाओं ने बाजी मारी.
बीजेपी से महिला विधायक : भरतपुर-सोनहत से रेणुका सिंह, भटगांव से लक्ष्मी राजवाड़े, प्रतापपुर शकुंतला सिंह पोर्ते, सामरी से उद्धेश्वरी पैकरा, जशपुर से रायमुनि भगत, पत्थलगांव से गोमती साय, पंडरिया से भावना बोहरा और कोंडागांव से लता उसेंडी विधायक बनी हैं.
कांग्रेस से महिला विधायक :लैलुंगा विधायक विद्यावती सिदार, सारंगढ़ से उत्तरी जांगड़े, सरायपाली से चातुरीनंद, बिलाईगढ़ से कविता प्राण लहरे, सिहावा से अंबिका मरकाम, संजारी बालोद से संगीता सिन्हा, डौंडी लोहारा से अनिला भेड़िया, खैरागढ़ से यशोदा वर्मा, डोंगरगढ़ से हर्षिता स्वामी बघेल और भानुप्रतापपुर से सावित्री मनोज मंडावी विधायक हैं.
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के पहले विधानसभा चुनाव 2003 में 62 महिलाएं चुनाव लड़ी थी. 2018 के चुनाव में इनकी संख्या बढ़कर 115 हो गई.2023 के चुनाव में 155 महिलाएं चुनावी मैदान में थी. आंकड़ों को देखकर यही कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ की सियासत में महिलाओं ने अपना दबदबा बढ़ाया है. बात सरगुजा की करें तो यहां महिला नेताओं का दबदबा रहा है. पूर्व सांसद रेणुका सिंह भी सरगुजा से सांसद थीं.वहीं इस बार कांग्रेस ने लोकसभा में महिला शशि सिंह को उम्मीदवार बनाया है.