पलामूःबूढ़ापहाड़ जहां से पहले माओवादी वोट बहिष्कार का फरमान जारी करते थे और फरमान का असर चुनाव में नजर आता था. 2019 के लोकसभा चुनाव में माओवादियों ने इसी इलाके से वोट बहिष्कार का फरमान जारी किया था, लेकिन 2022 के बाद इलाके में हालात बदल गए हैं. बूढ़ापहाड़ से माओवादियों के पांव उखड़ गए हैं. बूढ़ापहाड़ के इलाके में सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया है. 2019 के बाद 2024 का लोकसभा चुनाव बदले हालात में होने जा रहा है.
इस बार चुनाव में दो हेलीकॉप्टर का ही होगा प्रयोग
2019 के लोकसभा चुनाव में बूढ़ापहाड़ के सभी मतदान केंद्रों पर हेलीकॉप्टर मतदान कर्मियों को भेजा जाता था, लेकिन इस बार हालात बदले हुए है. सिर्फ दो इलाके में ही हेलीकॉप्टर से मतदान कर्मियों को भेजने का प्रस्ताव है. बूढ़ापहाड़ का इलाका दो हिस्सों में बंटा हुआ है. जिसमें बड़ा हिस्सा पलामू लोकसभा, जबकि एक हिस्सा चतरा लोकसभा क्षेत्र में है.
वोट देने के लिए 15 से 20 किलोमीटर का सफर तय करते हैं ग्रामीण
बूढ़ापहाड़ के इलाके में मतगड़ी और टेहरी पंचायत के इलाके में मतदान केंद्र बनाए जाते हैं. इलाके के ग्रामीण वोट देने के लिए 15 से 20 किलोमीटर का सफर तय करते हैं. पूरा इलाका जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है. ग्रामीण पैदल सफर तय करते हुए वोट देने के लिए मतदान केंद्र जाते हैं. तुरेर, तुबेग, चेमो, सान्या, कुटकु जैसे गांव के ग्रामीण मतगडी, जबकि झालुडेरा, बहेराटोली समेत कई गांव के ग्रामीण वोट देने के लिए टेहरी पंचायत जाते हैं.
कुटकु के स्थानीय ग्रामीण प्रताप तिर्की बताते हैं कि माहौल बदला है. प्रशासन को भी पहल करने की जरूरत है. अब मतदान केंद्रों को बदला नहीं जाना चाहिए. गांव में ही वोटिंग की व्यवस्था होनी चाहिए. वोट देने के लिए ग्रामीणों को जंगल और पहाड़ों का सफर तय करना होता है.
बूढापहाड़ में पहली बार टॉप पर मौजूद झालुडेरा, बहेराटोली, तिसिया, नावाटोली गांव के लोगों का वोटर आईडी बना है. पहली बार इलाके के ग्रामीण वोट देंगे. जबकि कुल्ही, हेसातु और नावाटोली के इलाके में पहली बार मतदान होना है.
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