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हर तरफ भगवान राम का बोलबाला, कई शासकों ने उनके नाम की मुद्रा की थी जारी

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 20, 2024, 4:18 PM IST

Updated : Jan 22, 2024, 9:13 PM IST

राजतंत्र से लेकर लोकतंत्र तक में भगवान श्रीराम अर्थव्यवस्था की पहचान यानी मुद्रा पर नजर आए हैं. करीब 2500 साल पहले की मुद्रा में भगवान राम के नाम से जारी की गई हैं. उस समय देश की कई रियासतों ने भगवान श्री राम पर मुद्राएं जारी की है.

हर तरफ भगवान राम का बोलबाला
हर तरफ भगवान राम का बोलबाला

कई शासकों ने राम नाम की मुद्रा की थी जारी

कोटा. 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. 500 साल के इंतजार के बाद रामलला अपने महल में विराजित होंगे, जिसे लेकर हर तरफ खुशी का माहौल है. हर राम भक्त को इस दिन का बेसब्री से इंतजार था. देश भर में दिवाली जैसा त्यौहार मनाने की तैयारी चल रही है. सनातन धर्म से जुड़े लोग प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर पूरे देश में भव्य आयोजन कर रहे हैं, दूसरी तरफ भगवान राम के मंदिर के लिए भी देश विदेश के करोड़ों लोगों ने चंदा दिया है.

बात की जाए भगवान श्रीराम और अर्थव्यवस्था की तो, राजतंत्र से लेकर लोकतंत्र तक में भगवान श्रीराम अर्थव्यवस्था की पहचान यानी मुद्रा पर नजर आए हैं. करीब 2500 साल पहले की मुद्रा में भगवान राम के नाम से जारी की गई है. देश की कई रियासतों ने भगवान श्री राम पर मुद्राएं जारी की है. यहां तक की डूंगरपुर रियासत ने तो भगवान राम और लक्ष्मण के नाम पर बैंक भी संचालित किया था, जिसके चेक आज भी प्रदेश के सैकड़ों लोगों के पास है.

पृथ्वीराज चौहान के दादा विग्रह राज चतुर्थ बीसलदेव का जारी किया सोने का सिक्का.

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कोटा निवासी न्यूमिसमेटिस्ट एडवोकेट शैलेश जैन का कहना है कि शुरुआत में पंचमार्क के सिक्के थे, यह करीब 2500 साल पुराने हैं. इसके बाद सिक्कों पर लेखनी आना शुरू हो गई थी, इसके बाद करीब 2000 साल पहले ब्रह्म लिपि सिक्कों पर अंकित की जाती थी, फिर नागरी, उर्दू, अरबी व फारसी आना शुरू हो गई. बाद में जिस रियासत की आमचलन की भाषा होती थी, उसको भी सिक्कों पर अंकित किया जाता था. वे इन सब भाषाओं को पढ़ और समझ सकते हैं. शैलेश बीते 30 सालों से न्यूमिसमेटिस्ट है सिक्को के संग्रह के साथ भारतीय मुद्रा पर शोध किया हैं. उन्होंने 50 से ज्यादा सिक्के कई जगह पर प्रकाशित हुए हैं. वहीं, 50 से ज्यादा सिक्कों की खोज भी की है.

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सिक्के पुराने अभिलेख की तरह, जिन्हें झूठलाया नहीं जा सकता: पहले कुछ लोगों ने भगवान राम के अस्तित्व पर भी सवाल खड़े किए थे, इस मामले में इतिहास से लेकर कई चीज भगवान राम से जुड़ी हुई हमारे सामने हैं. एडवोकेट शैलेश जैन का कहना है कि सिक्के वह पुराने अभिलेख की तरह ही हैं. यह इस तरह का सत्य होता है, जिसे कभी झूठलाया नहीं जा सकता है. यह वह सबूत है, जो साबित करते हैं कि भगवान राम आज से ही नहीं अपितु सालों साल और सदियों से आस्था के प्रतीक और पूजनीय रहे हैं.

मौर्यकाल में 2300 साल यानी, 300 ईसा पूर्व जारी सिक्का.

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पहले कहा ह्यूमन फिगर, लेखनी आने पर माना भगवान: एडवोकेट शैलेश जैन का कहना है कि भारत में मुद्रा का इतिहास 2500 साल पुराना है. इसमें शुरुआत में पंच मार्क सिक्के का चलते थे. रियासत अपने शासन का निशान सिक्कों पर अंकित कर दिया करते थे. रियासत में प्रचलित होने वाली मुद्रा बन जाती थी. उस समय लेखनी सिक्कों पर नहीं चलती थी. मौर्य काल के समय के पंचमार्क सिक्के मिलते हैं, जिनमें कई रियासतों के पंचमार्क कॉइन पर प्रतीक चिन्ह के साथ तीन अलग-अलग ह्यूमन फिगर भी आने लग गए थे. दो पुरुष और एक नारी भी प्रतीक के रूप में आने लगे थे. शुरुआत में इन्हें थ्री ह्यूमन फिगर कहा गया, लेकिन बाद में जब इसी तरह के ह्यूमन फिगर के साथ सिक्कों पर श्री राम, जय सिया राम अंकित था, तब यह स्पष्ट हो गया कि यह राम लक्ष्मण और सीता ही हैं.

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इन रियासतों ने जारी की है भगवान श्री राम पर मुद्रा: अजमेर के चौहान वंश के शासक रहे विग्रहराज चतुर्थ बीसलदेव ने सन 1150 से 1164 तक शासन किया है. उनके राज्य में दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान का हिस्सा आता था और राजधानी अजमेर थी. उन्होंने राम पर 11वीं शताब्दी में सिक्का निकला था. यह सोने की मुद्रा थी, इस पर श्री राम खड़े हुए हैं और श्री राम लिखा हुआ भी है. साथ ही, उनके हाथ में धनुष भी है ये पृथ्वीराज चौहान के दादा थे.

कुषाण शासक हुविष्क का 200 ईसा पूर्व जारी सिक्का.

भगवान राम के नाम से इन शासकों ने जारी किए थे सिक्के

  1. अफगानिस्तान से कुषाण भारत आए थे और उन्होंने यहां पर राज भी किया है. कुषाण वंश के ही एक राजा हुविष्क हुए थे, जिन्होंने 200 ईसा पूर्व राज किया था. उन्होंने भी अपनी मुद्रा में भगवान राम को अंकित किया है. उनकी रियासत में प्रचलित सिक्के में राम धनुष लेकर खड़े हुए हैं.
  2. राजस्थान की डूंगरपुर रियासत ने बैंक खोला था. वह श्रीराम लक्ष्मण बैंक था और उसके चेक भी थे. यह 1924 में भी कार्यरत था. इस बैंक के चेक पर राम लक्ष्मण अंकित है. बता दें कि इन चेकों के जरिए बैंक में लेन-देन भी हुआ करता था.
  3. दक्षिणी भारत में तंजौर के नायक ने सन 1600 के आसपास सिक्का जारी किया था. इसमें भगवान राम को धनुष के साथ अंकित किया गया है.
  4. विजयनगर साम्राज्य के 16वीं शताब्दी के जारी सिक्कों में राम सीता बैठे हुए और हनुमान खड़े हुए नजर आते हैं. इसी तरह से अन्य मुद्राओं पर भी राम, लक्ष्मण व सीता तीनों बैठे व खड़े हुए अंकित हैं.
  5. उत्तरी कर्नाटक के कदम्ब साम्राज्य के चांदी के सिक्कों पर राम व हनुमान का चित्रण मिलता है.
  6. शिवगंगा व मदुरई के शासको ने भी मुद्रा पर विभिन्न रूप में राम का अंकन किया है.
  7. करीब ढाई सौ साल पहले जारी हुआ भोपाल स्टेट का सिक्का भी है, जिस पर भी भगवान राम अंकित है. इसके अलावा देवास , विदिशा, इंदौर, महिदपुर सहित कई रियासतों ने अपने सिक्कों पर भगवान राम का अंकन किया है.
Last Updated : Jan 22, 2024, 9:13 PM IST

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