नई दिल्ली:तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के शुगर लेवल को लेकर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. उन्हें इंसुलिन देने और ना देने का मामला राजनीतिक गलियारों और आम जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. बात यहां तक पहुंच गई है कि आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर केजरीवाल को जेल में मारने तक का आरोप लगा दिया है. वहीं, जेल प्रशासन का कहना है कि केजरीवाल खुद से मीठे फल और अन्य ऐसी चीज खाकर अपना शुगर लेवल बढ़ा रहे हैं, जो शुगर के मरीज को नहीं खानी चाहिए. इस पूरे मामले को लेकर ETV भारत ने एम्स में इंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजेश खड़गावत से बातचीत की.
डॉ. राजेश खड़गावत ने बताया कि टाइप वन डायबिटीज के मरीज में इंसुलिन की कमी होती है. उसके शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो चुका होता है तो उसकी डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन देनी पड़ती है. बिना इंसुलिन के टाइप वन डायबिटीज का मरीज जिंदा नहीं रह सकता. अगर किसी मरीज को टाइप टू डायबिटीज है तो उसको पहले गोलियां देकर उसका शुगर कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है. टाइप टू डायबिटीज वाले मरीज में थोड़ी इंसुलिन बनती है.
शुगर कंट्रोल नहीं होने पर इंसुलिन का लगता है इंजेक्शनःउन्होंने बताया कि अगर गोलियों से उसका शुगर कंट्रोल नहीं होता है तो फिर उसे इंसुलिन के इंजेक्शन भी दिए जाते हैं. इंजेक्शन और गोलियां साथ चलती हैं. हर मरीज की इंसुलिन की डोज अलग-अलग होती है. वह इस पर निर्भर करती है कि मरीज अपने खान-पान का कितना ध्यान रख रहा है. साथ ही मरीज कितना मोटा है और कितना पतला है. यह भी देखा जाता है. वह फिजिकल एक्टिविटी कितनी कर रहा है. अगर नहीं कर रहा है तो भी इंसुलिन की डोज बढ़ जाएगी. अगर मरीज मिठाई खा रहा है और कुछ फैट बढ़ाने वाली चीज खा रहा है तो उसके इंसुलिन की डोज की कोई लिमिट नहीं है उसको 50, 100 और 200 यूनिट तक भी इंसुलिन की डोज देनी पड़ सकती है.
डायबिटीज के मरीज को कभी भी मिठाई नहीं खानी चाहिएःडायबिटीज के मरीज के लिए मिठाई या कोई भी मीठी चीज यहां तक कि प्रसाद भी खाने की सख्त मनाही होती है. अगर वह जरा सा भी मीठा खा लेता है तो तुरंत उसका शुगर लेवल एकदम बढ़ जाता है और ऐसी स्थिति में उसको फिर तुरंत इंसुलिन देनी पड़ती है. अगर कोई मिठाई खा लेता है तो उसे तुरंत उसके शरीर में फैट बढ़ता है.