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अयोध्या में राम मंदिर के परकोटे में 6 मंदिरों की स्थापना के लिए स्थान पूजन, 66 वैदिक आचार्यों की मौजूदगी में हुआ मंत्रोच्चार - Ram temple in Ayodhya

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 10, 2024, 11:00 PM IST

राम मंदिर में शिखर तक और सप्त मंदिरों का भी निर्माण पूरा (Ram temple in Ayodhya) करने का समय नवंबर तक का तय कर दिया गया है. परकोटे का निर्माण भी मार्च 2025 तक पूरा हो सकेगा.

परकोटे में 6 मंदिरों की स्थापना के लिए स्थान पूजन
परकोटे में 6 मंदिरों की स्थापना के लिए स्थान पूजन (फोटो क्रेडिट : Etv Bharat)

अयोध्या में राम मंदिर के परकोटे में 6 मंदिरों की स्थापना के लिए स्थान पूजन (वीडियो क्रेडिट : ETV Bharat)

अयोध्या : अक्षय तृतीया के पवित्र तिथि पर राम मंदिर के निर्माणधीन परकोटे में बनने वाले 6 मंदिरों के गर्भगृह में शुक्रवार को स्थान पूजन के बाद आधारशिला रखी गई. इस दौरान नवग्रह पूजन भी किया गया. प्रत्येक मंदिर के पूजन में एक यजमान, 11 वैदिक आचार्य सहित राम मंदिर के ट्रस्टी व कार्यदायी संस्था के विशेषज्ञ भी मौजद रहे. इन सभी मंदिरों का निर्माण कार्य दिसम्बर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

राम मंदिर के भूतल पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रथम तल पर राम दरबार को स्थापित करने के लिए मंदिर निर्माण का कार्य तेज गति से चल रहा है. द्वितीय तल का निर्माण होने के बाद तृतीय तल का निर्माण भी शुरू हो जाएगा. यह सभी कार्य दिसंबर 2024 तक पूरे कर लिए जाएंगे. वहीं, मंदिर की सुरक्षा के लिए बनाए जा रहे 800 मीटर लंबे परकोटे के 6 छोर पर बनने वाले 6 मंदिरों को पूरा करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. शुक्रवार को अक्षय तृतीया के मौके पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 66 वैदिक आचार्यों की मौजूदगी में मंत्रोच्चार के बीच स्थान पूजन संपन्न कराया. परकोटे में भगवान शिव, हनुमान जी, गणेश जी, भगवान सूर्य, मां भगवती और अन्नपूर्णा देवी मंदिर का निर्माण किया जाएगा.


श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुख्य वैदिक आचार्य इंद्रदेव मिश्र ने बताया कि आज (शुक्रवार) को अक्षय तृतीया है और आज के दिन किया हुआ पुण्य कभी क्षय नहीं होता है. आज के दिन परशुराम जी की जयंती भी है. आज श्री राम मंदिर परिसर के कुछ स्थानों पर पूजन कार्यक्रम भी था, जिसमें हमारे ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और अन्य जो पदाधिकारी लोग थे सभी लोगों ने अलग-अलग स्थान पर पूजन कार्य संपन्न किया. पूजन की जो पद्धति है उसमें शिलाओं का पूजन हुआ. शास्त्र सम्मत पूजन के बाद अब आगे निर्माण का कार्य होगा. उन्होंने बताया कि इस पूजन में 6 अलग-अलग स्थान पर ग्यारह ग्यारह वैदिक आचार्यों ने पूजन को सम्पन्न कराया.


रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि अक्षय तृतीया के दिन जो कार्य किया जाता है वह निर्विघ्न पूरा होता है. जो 6 मंदिर बन रहे हैं उसमे अलग-अलग मूर्तियों की स्थापना होगी और उनके कार्य भी प्रारंभ हो गए हैं, इसीलिए अक्षय तृतीया को जो कार्य शुरू होते हैं वह कभी क्षय नहीं होते और उसमें कोई विध्न बाधा नहीं आएगी. उन्होंने कहा कि पूजा में पांच प्रकार के पत्थर स्थापित किए जाते हैं. यदि ईंट से बन रहा है तो पांच प्रकार की ईंट रखी जाती है. उसके बाद उसकी पूजा होती है और जिस चीज से बन रहा है जैसे कन्नी , बसुली उसकी भी पूजा होती है और बनाने वाले मिस्त्री की भी पूजा की जाती है क्योंकि उसी के द्वारा निर्माण होता है । प्रत्येक पत्थर या सामान की अलग-अलग पूजा होती है जिस किसी प्रकार की इसमें बाधा ना आए । इसमें अलग-अलग मंत्रों का महत्व होता है जैसे मंत्र अक्षय हैं वैसे ही उनके कार्य भी अक्षय होते हैं।

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