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समस्तीपुर में सैंकड़ो गांव का सहारा है नाव, कई हादसों के बाद भी नहीं जागा सिस्टम

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 23, 2024, 11:48 AM IST

Samastipur Bridge Demand: समस्तीपुर के शिवाजीनगर प्रखंड के गांव में अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उसका नाव ही एकमात्र सहारा है. यहां सालों से ग्रामीण पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन योजना बनने के बावजूद, उसके निर्माण कार्य को लेकर आज तक किसी का ध्यान नहीं गया.

समस्तीपुर में पुल की मांग
समस्तीपुर में पुल की मांग

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समस्तीपुर:बिहार केसमस्तीपुरमें सैंकड़ो गांव की कई हजार आबादी आज भी नाव के सहारे है. जिले के शिवाजीनगर प्रखंड का शंकरपुर रजिस्टर घाट जहां एक बड़ी आबादी रोज जान हथेली पर रख कर नदी पार करती है. हालांकि पूर्व में हुए कई हादसों के बाद इस नदी पर पूल बनाने की योजना जरूर बनी, लेकिन वर्षों से यह योजना अधर में अटकी है. लोगों द्वारा शिकायत करने के बावजूद कोई पहल नहीं हो रही.

लोगों का एकमात्र सहारा है नाव: जिले के शिवाजीनगर प्रखंड से गुजरने वाली करेह नदी के पूर्वी छोर पर बसे सैंकड़ो गांव के लोगों के लिए प्रखंड मुख्यालय हो या फिर जिला मुख्यालय, आना काफी जोखिम भरा है. दरअसल इन गांव के लोगों के आने-जाने का एकमात्र सहारा नाव है. बच्चे हो या बुजुर्ग , बीमार हो या फिर जरूरी काम पर जाने वाले यंहा के लोगों को रोज जान हथेली पर रख इस नदी को पार करना होता है.

बच्चों की जान को लेकर भी लापरवाही

पुल निर्माण का काम ठंडे बस्ते में: बताया जाता है कि सामान्य दिनों में नदी थोड़ी शांत होती है, लेकिन बरसात के मौसम में यह करेह नदी गांववालों के लिए किसी कहर से कम नहीं होती. ऐसा नहीं कि प्रशासन को इस समस्या की जानकारी नहीं है, लेकिन यहां पूल बनाने का प्रपोजल वर्षो से ठंडे बस्ते में है. दरसअल 2014 व 15 में यहां हुए नाव हादसों के बाद स्थानीय लोगों ने इस रजिस्टर घाट पर पूल बनाने को लेकर आंदोलन किया था.

13 करोड़ की लागत से बनना था पुल:2015 विधानसभा चुनाव से पहले यंहा पूल बनाने को लेकर स्वीकृति भी मिली, लेकिन कई वर्ष बीतने के बाद भी यह योजना धरातल पर आकार नहीं ले पायी. स्थानीय निवासी व पुल आंदोलन से जुड़े श्याम बाबू सिंह की मानें तो 2015 में ही स्थानीय लोगों की मांग पर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रामबिलास पासवान के प्रयास से ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पुल को लेकर स्वीकृति दी थी. करीब 13 करोड़ की लागत से बनने वाली इस पूल को लेकर दो-दो बार सॉइल टेस्ट भी हुआ, लेकिन आजतक निर्माण काम शुरू नहीं हुआ.

जान हथेली पर लेकर नदी पार करते लोग

"हमलोगों को बहुत परेशानी होती है. खास तौर पर अगर किसी की तबीयत बिगड़ती है, तो यहां से अस्पताल जाने के लिए कोई अन्य साधन नहीं है. वहीं मुख्यालय के काम के लिए भी परेशानी होती है. पुल बन जाता है, तो हमारे लिए बहुत अच्छा होगा. कई बार शिकायत करने के बावजूद पहल नहीं की जा रही है."- श्याम बाबू सिंह, स्थानीय निवासी

वैसे इस मामले में सम्बंधित विभाग से कुछ अपडेट नहीं मिल रहा. हालां कि अधिकारियों ने यह जानकारी जरूर दी कि योजना को लेकर मामला प्रक्रिया में है. बहरहाल पूल निर्माण को लेकर हो रही लेटलतीफी के कारण कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

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