रुद्रप्रयाग:ऊखीमठ मुख्यालय के प्रवेश द्वार पर लगे हैंडपंप और टैंक टाइप स्टैंड पोस्ट बीते कई सालों से शोपीस बने हुए हैं. जिस कारण आम जनता को दो बूंद पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. हैंडपंप और स्टैंड पोस्ट के शोपीस होने से जल संस्थान विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है. विभाग की मानें तो पिंगलापानी-ऊखीमठ पेयजल योजना पर पानी की सप्लाई क्षमता से कम होने के कारण स्टैंड पोस्ट पर पेयजल आपूर्ति नहीं हो पा रही है.
बता दें कि पेयजल आपूर्ति मुहैया कराने के उद्देश्य से कई साल पहले जल संस्थान विभाग ने प्रवेश द्वार के पास और भारत सेवा आश्रम ऊखीमठ मोटर मार्ग के किनारे हैंडपंप एवं टैंक टाइप स्टैंड पोस्ट का निर्माण किया था, लेकिन लंबे समय से हैंडपंप और टैंक टाइप स्टैंड पोस्ट पर पेयजल आपूर्ति बाधित है. जिस वजह से नल से पानी का बूंद नहीं गिर रहा है. इससे पहले जब ऊखीमठ नगर क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति बाधित हो जाती थी तो राहगीर या स्थानीय व्यापारी हैंडपंप व स्टैंड पोस्ट का सहारा लेते थे, लेकिन उसमें पानी नहीं है. ऐसे में उन्हें बूंद-बूंद के लिए भटकना पड़ रहा है.
कांग्रेस कमेटी प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व पूर्व व्यापार संघ अध्यक्ष आनंद सिंह रावत ने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार पहाड़ का पानी व पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम आने का ढिंढोरा पीट रही है, लेकिन शासन-प्रशासन और विभागीय लापरवाही के कारण राहगीरों को दो बूंद पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि विकासखंड मुख्यालय के पास से ऊखीमठ-गुप्तकाशी जीप, टैक्सियों का संचालन होता है. कई बार सवारियों को घंटों इंतजार करने के बाद पानी की जरूरत पड़ती है तो उन्हें भी दुकानों का सहारा लेना पड़ता है. हैंडपंप और स्टैंड पोस्ट के खस्ताहाल होना, शासन-प्रशासन व विभाग की उदासीनता को दर्शाता है.
वहीं, दूसरी ओर जल संस्थान के अवर अभियंता बीरेंद्र भंडारी ने बताया कि हैंडपंप पर मोटर लगाने की कार्रवाई गतिमान है. लोकसभा चुनाव के बाद हैंडपंप पर मोटर लगाने के प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि बीते कई सालों से जलवायु परिवर्तन के कारण दिसंबर और जनवरी महीने में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने से नदियों, प्राकृतिक जल स्रोतों का जल स्तर लगातार कम होता जा रहा है, जिस कारण पिंगलापानी-ऊखीमठ पेयजल योजना पर पानी की सप्लाई प्रभावित होने से सप्लाई नहीं हो पा रही है.
पुनर्गठन की मांग नहीं हुई पूरी: स्थानीय जनप्रतिनिधियों और जनता की ओर से लंबे समय से पिंगलापानी-ऊखीमठ पेयजल योजना के पुनर्गठन की मांग की जा रही है. पेयजल योजना के पुनर्गठन के लिए कई बार पत्राचार भी किया गया, लेकिन पिंगलापानी-ऊखीमठ पेयजल योजना पुनर्गठन की फाइल शासन की अलमारियों में कैद रहने से पेयजल योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है.