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बसंत पंचमी को आराध्या गोविंद देव जी मंदिर में पाटोत्सव, धूलंडी तक हर दिन अर्पित होगा गुलाल

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 11, 2024, 7:04 PM IST

जयपुर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में 14 फरवरी बसंत पंचमी को पाटोत्सव मनाया जाएगा. इस दिन भगवान का मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक किया जाएगा. साथ ही ठाकुर जी को गुलाल भी अर्पित की जाएगी.

गोविंद देव जी मंदिर में पाटोत्सव
गोविंद देव जी मंदिर में पाटोत्सव

गोविंद देव जी मंदिर में पाटोत्सव

जयपुर.छोटी काशी में बसंत पंचमी से होली तक ठाकुर जी को हर दिन प्राकृतिक रंगों और अरारोट से तैयार गुलाल अर्पित की जाएगी. शहर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में 14 फरवरी बसंत पंचमी पर पाटोत्सव मनाया जाएगा. इस दिन भगवान का मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक किया जाएगा। साथ ही ठाकुर जी को गुलाल भी अर्पित की जाएगी.साथ ही मंदिर में मां सरस्वती और प्राचीन ग्रंथों का भी पूजन किया जाएगा.

गोविंद देव जी मंदिर प्रांगण एक बार फिर अबीर गुलाल की खुशबू से महकेगा. मंदिर प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि इस वर्ष 14 फरवरी को मंदिर श्री गोविंद देव जी में बसंत पंचमी मनाई जाएगी, जिसे पाटोत्सव के रूप में मनाया जाता है. 14 फरवरी को सुबह ठाकुर जी का अभिषेक होगा. इसके बाद धूप झांकी में अधिवास पूजन होगा. श्रृगांर झांकी की आरती के बाद माता सरस्वती और प्राचीन ग्रंथों का पूजन करने के बाद राजभोग की झांकी में पांच तरह की गुलाल अर्पित की जाएगी. उन्होंने बताया कि बसंत पंचमी से लेकर होली तक ठाकुर जी के नित्य इसी तरह गुलाल अर्पित की जाएगी. ये गुलाल जयपुर में ही तैयार करवाई गई है. इस संबंध में कारीगरों को 2 महीने पहले ही सूचित कर दिया गया था, उसी के अनुसार उन्होंने रंग गुलाल की तैयारी की. गुलाल के निर्माण में विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है कि प्राकृतिक रंगों और अरारोट का ही मिश्रण हो.

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मानस गोस्वामी ने बताया कि होली के उत्सव के दौरान ठाकुर जी के रचना झांकी भी होती है जो 5 मार्च से शुरू होकर 23 मार्च तक होगी. रचना झांकी में ठाकुर श्री जी को मुख्य रूप से केसरिया पीले रंग के सूत से बनी हुई विशेष रचना की पोशाक धारण कराई जाती है. इससे पूर्व यहां के भक्तों और मंदिर सेवकों की ओर से ठाकुर जी की विभिन्न लीलाएं, गजेंद्र मोक्ष, माखन लीला, युगल छवि, महा रास और महाप्रभुजी का कीर्तन करते हुए भाव विभोर होना, जगन्नाथ जी, गणेश जी के दर्शन का चित्रण गुलाल के माध्यम से अंकित किया जाता है. साथ ही ठाकुर श्री जी और राधा रानी की पोशाक भी गुलाल से ही तैयार की जाती है.

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