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एनजीटी ने चंबल रिवरफ्रंट के निर्माण को ठहराया सही, यूआईटी कोटा के अधिकारियों ने ली राहत की सांस

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 16, 2024, 9:32 PM IST

NGT order on Chambal riverfront कोटा के हेरिटेज चंबल रिवर फ्रंट के निर्माण को एनजीटी ने सही ठहराया है. साथ ही इस मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया है.

National Green Tribunal
National Green Tribunal

कोटा.नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कोटा के हेरिटेज चंबल रिवर फ्रंट के मामले में नगर विकास न्यास कोटा को राहत दी है. वन्य पर्यावरण अधिनियम के मामले में दायर की गई याचिका को एनजीटी ने खारिज कर दिया है. एनजीटी ने रिवर फ्रंट के निर्माण को सही ठहराया है. एनजीटी ने इस मामले में एक ज्वाइंट कमेटी गठित की थी. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी संतुष्ट हुई. इसके बाद एनजीटी की तरफ से जस्टिस शिवकुमार सिंह और डॉ. अफरोज अहमद ने ये फैसला सुनाया.

फैसले में बताया है कि गुजरात इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट ने रिवरफ्रंट के संबंध में एक रिपोर्ट पहले ही तैयार की थी. इसमें प्रीवेंशन एंड कंट्रोल पॉल्यूशन (जल) एक्ट 1981 का कोई उलंघन नहीं हुआ है. बहस के दौरान याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इस तरह के निर्माण को स्वीकार किया गया है, लेकिन उपचारात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए. इस पर प्रतिवादी के अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि सक्षम अधिकारियों से अनुमति ली गई है. परियोजना के अनुसार ही निर्माण किया गया है. वैधानिक अधिकारियों और पर्यावरण द्वारा निर्धारित पैरामीटर के अधीन यह कार्य हुआ है.

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गलत इरादे से दायर हुई याचिका :यूआईटी की तरफ ने यह भी तर्क दिया कि यह निर्माण 2020 में शुरू हो गया था और नवंबर 2023 में यह पूरा भी हो गया है. याचिका गलत इरादे और सोच विचार कर दाखिल की गई है. याचिकाकर्ता नगर निगम अजमेर में पार्षद है. याचिका स्थानीय और आंतरिक विवाद से प्रभावित होकर लगाई गई है. याचिकाकर्ता के खिलाफ अजमेर नगर निगम में आपराधिक प्रकरण भी दर्ज है. यूआईटी की तरफ से यह भी तर्क दिया गया है कि इसके निर्माण से बाढ़ का बचाव होगा और आवासीय भवनों पर बैराज से छोड़े जाने वाले पानी का फर्क नहीं पड़ेगा. अधिकांश घाट टूटे-फूटे अवस्था में थे और मिट्टी का कटाव होता था. रिवर फ्रंट से यह खतरा कम हो गया है. इसके निर्माण के बाद बाढ़ भी नहीं आई है. जल संसाधन विभाग से भी एनओसी ली गई है.

इन अधिकारियों को बनाया था पार्टी :ध्रुपद मलिक, अशोक मलिक और गिरिराज अग्रवाल ने याचिका दायर की थी. याचिका में जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव, राजस्थान स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड के सदस्य, कोटा यूआईटी के सचिव, कोटा स्मार्ट सिटी लिमिटेड के कमिश्नर, यूआईटी कोटा के अध्यक्ष और जिला कलेक्टर को पार्टी बनाया था. इसी प्रकार याचिका में राजस्थान स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, सीनियर टाउन प्लानर कोटा रीजन, चीफ टाउन प्लानर और रिवरफ्रंट के आर्किटेक्ट अनूप बरतरिया को भी पार्टी बनाया गया था. याचिका 27 सितंबर 2023 को दाखिल की गई थी. इसे एनजीटी ने 4 अक्टूबर 2023 को रजिस्टर्ड किया था. याचिका में एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एक्ट 1986 का उल्लंघन बताया गया था.

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