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Medical Advice : मोबाइल फोन से बढ़ रही बहरेपन की समस्या, बच्चे भी हो रहे शिकार

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 6, 2024, 12:12 PM IST

मोबाइल फोन मौजूदा दौर में जीवन का अहम अंग बन गया है. हालांकि फोन से कई तरह के समस्याएं (Harm From Mobile Phone) भी हो रही हैं. इनमें बहरापन और सुनने की शक्ति की क्षीण होना प्रमुख समस्या है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह समस्या सिर्फ मोबाइल फोन से नहीं, हमारी अनियमित दिनचर्या और आसपास की चीजों से भी बढ़ रही है. देखें विस्तृत खबर...

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मोबाइल फोन से बढ़ रही बहरेपन की समस्या, देखें खबर

लखनऊ : बहरापन व सुनने की शक्ति कम होना एक आम समस्या बन गई है. युवा और बुजुर्ग ही नहीं कम उम्र के बच्चे भी कम सुनने और बहरेपन का शिकार हो रहे हैं. इसका मुख्य कारण मोबाइल फोन तेज आवाज में लीड लगाकर सुनना है. साथ ही शराब का सेवन धूम्रपान, उच्च रक्तचाप, शुगर तेज आवाज की आतिशबाजी, अत्यधिक मात्रा में दवाओं का सेवन करने से ही बहरापन हो सकता है. आजकल हर तरफ किसी न किसी मशीन, जनरेटर, गाड़ी या डीजे पर तेज आवाज में गाने सुने जा सकते हैं. इसका लोगों की सुनने की क्षमता पर असर पड़ रहा है. बच्चे ध्वनि और शब्दों को सुनकर बोलना और समझना सीखते हैं. अब यह बच्चों के सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है. सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में इस समय 30 फीसदी ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ गई है जो ध्वनि प्रदूषण के कारण कान की समस्या से पीड़ित है.

मोबाइल फोन के प्रयोग से नुकसान.

सिविल अस्पताल की वरिष्ठ ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. चारू तिवारी ने बताया कि बच्चे ध्वनि और शब्दों को सुनकर बोलना और समझना सीखते हैं. जो ध्वनियों को नहीं सुन सकता, वह इनका आनंद नहीं ले सकता. इससे बच्चे को बात करने, पढ़ने और अन्य लोगों के साथ मिलने-जुलने में मुश्किल हो सकती है. अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे को सुनने में परेशानी है, तो समय से उसकी जांच कराने से समय पर ही इलाज संभव है. ध्वनि प्रदूषण से लोगों में हो रही बीमारी ध्वनि प्रदूषण के कारण लोगों में विभिन्न प्रकार की बीमारी हो रही है. इस कारण चिड़चिड़ाहट, गुस्सा पैदा करना, हृदय संचालन की गति को तीव्र कर देता है. लगातार का शोर खून में कोलस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ा देता है जो रक्त नलियों को सिकोड़ देता है जिससे हृदय रोग की संभावनाएं बढ़ जाती है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ता शोर स्नायविक बीमारी, नर्वस ब्रेक डाउन आदि को जन्म देता है.

मोबाइल फोन के प्रयोग से नुकसान.
सिविल अस्पताल में दिखाने आए मरीजों ने ईटीवी भारत से कहा कि शहर में प्रेशर हॉर्न से सुनने की क्षमता प्रभावित होती है. डॉक्टरों के मुताबिक कान 30-50 डेसीबल तक सुनने की क्षमता रखता है. इससे अधिक क्षमता के हॉर्न सीधे व्यक्ति के दिमाग व कान को प्रभावित कर रहे हैं. इससे तमाम बीमारियों का लोग शिकार हो रहे हैं. इस पर पूरी तरह नियंत्रण होना चाहिए. सड़क पर चल रहे पैदल चल रहे वृद्ध, बुजुर्ग, साइकिल सवारों को प्रेशर हॉर्न की वजह से तेज आवाज के कारण सीधे दिल पर अटैक होता है. सम्बन्धित विभाग को इस पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. इसी के साथ ही इस समय हम लोग जो यह फोन का इस्तेमाल बहुत ज्यादा कर रहे हैं. इसको भी कम करना होगा कान में लंबे समय तक इसे लगाने से झनझनाहट सी आवाज आती हैं. अगर आपके कान में किसी तरह की आवाज आपको परेशान कर रही हैं तो आप समझे कि यह शुरुआती लक्षण है.
मोबाइल फोन के प्रयोग से नुकसान.

प्रेशर हॉर्न के लिए नियम :मोटर व्हीकल एक्ट 1989 के तहत शोर की सतह 93 से 112 डिसेबल रखा गया है. प्रेशर हॉर्न से होने वाले शोर को वाहनों की हॉर्न की आवाज को कम करना चाहता है. मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 190 (2) के अनुसार तेज आवाज में बजाए जाने वाले हॉर्न वाले वाहन पर जुर्माना किए जाने का प्रावधान भी है. केंद्र सरकार के इस नियम को कोई मानने वाला नहीं है. लोगों का कहना है कि ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले लाउडस्पीकर पर जल्द पाबंदी लगा दी जाती है तो प्रेशर हॉर्न वालों को शिकंजा क्यों नहीं कसा जाता है.

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