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GST चोरी का मामला: रिमांड पर आए आरोपी की निशानदेही पर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 15, 2024, 10:51 PM IST

15 thousand crore GST theft case: फर्जी कंपनी बनाकर 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक के जीएसटी फर्जीवाड़े में आरोपी कुणाल मेहता की निशानदेही पर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए हैं. इसके अलावा कई पुलिस को कई अन्य जानकारी भी मिली है.

15 thousand crore GST theft case
15 thousand crore GST theft case

नई दिल्ली/नोएडा:कागजों पर 3500 से अधिक फर्जी कंपनी और फर्म बनाकर 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक के जीएसटी फर्जीवाड़े में शामिल कुणाल मेहता की दो दिन की रिमांड शुक्रवार शाम 4 बजे समाप्त हो गई. रिमांड के दौरान उसकी निशानदेही पर पुलिस को जीएसटी फर्जीवाड़े से संबंधित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए हैं. इस दौरान 25 हजार के इनामी हिसार निवासी कुणाल मेहता उर्फ गोल्डी ने कई ठिकानों के बारे में भी जानकारी दी. उसे दिल्ली समेत अन्य ठिकानों पर ले भी जाया गया. पुलिस को फर्जीवाड़े में शामिल कई अन्य आरोपियों के बारे में भी जानकारी मिली है. आरोपी से पूछताछ कर धोखाधड़ी के नेटवर्क से जुड़े लोगों के बारे में पूरी जानकारी 48 घंटे की रिमांड के दौरान इकट्ठा की.

थाना सेक्टर-20 के थाना प्रभारी डीपी शुक्ला ने बताया कि जीएसटी फर्जीवाड़े में फरार चल रहे कुणाल मेहता उर्फ गोल्डी पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित था. पुलिस की घेराबंदी बढ़ती देख उसने चार मार्च को सूरजपुर स्थित अदालत में चार मार्च को आत्मसमर्पण कर दिया था. इसकी जानकारी होने पर मामले की जांच कर रही नोएडा पुलिस ने अदालत से उसकी पुलिस कस्टडी रिमांड मांगी थी. इस पर अदालत ने उसे 48 घंटे के लिए पुलिस रिमांड पर भेजने के आदेश दिए थे.

इसके बाद गुरुवार को पुलिस ने उसे रिमांड पर लिया. कुणाल हिसार में सेकेंड हैंड कारों की खरीद और ब्रिकी का कारोबार करता थी. करीब एक साल पहले वह अपने गांव के पास के रहने वाले एक युवक के संपर्क में आया. वह जीएसटी फर्जीवाड़े के गिरोह में शामिल होकर फर्जी फर्म खोलकर सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचा रहा था. कुणाल उसके इशारे पर रुपये और दस्तावेजों को ठिकानों तक पहुंचाने का काम करता था. वह कई बार गिरोह के सदस्यों के कहने पर नोएडा आया था.

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कुणाल और उसके साथी देश के विभिन्न जगहों पर रहने वाले लाखों लोगों के पैन कार्ड और आधार कार्ड का डाटा हासिल करके उसके आधार पर फर्जी कंपनी खोलते थे. इसके बाद जीएसटी नंबर लेकर फर्जी बिल बनाते थे और जीएसटी रिफंड प्राप्त कर सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाते थे. जांच में पता चला कि जालसाज, फर्जी कंपनियों को जीएसटी नंबर के साथ ऑन डिमांड बेच देते थे. इन कंपनियों के नाम पर पैसे जमा कर काले धन को सफेद किया जाता था. इस फर्जीवाड़े में अब तक 30 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. वहीं 12 अन्य की तलाश में पुलिस की टीमें संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही हैं.

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