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महराजगंज लोकसभा सीट पर दो चौधरियों के बीच सियासी लड़ाई, गठबंधन के साथ कांग्रेस भी पलटवार को तैयार - lok sabha election 2024

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 29, 2024, 1:16 PM IST

गोरखपुर मंडल की महाराजगंज लोकसभा सीट इस चुनाव में कई मायने में खास मानी जा रही है. इस सीट से वित्त राज्य मंत्री भी बतौर भाजपा प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं.

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गोरखपुर :गोरखपुर मंडल की महाराजगंज लोकसभा सीट मौजूदा समय में वीआईपी सीट है. वजह यह है कि यहां के भाजपा प्रत्याशी केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री हैं. वह लगातार इस सीट से नौवीं बार प्रत्याशी हैं. उन्हें 6 बार जीत मिली है. इस बार भी वह अपनी जीत के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं. सपा- कांग्रेस के गठबंधन में इस सीट के जाने के बाद महाराजगंज की फरेन्दा विधानसभा सीट के कांग्रेस विधायक के प्रत्याशी बनाए जाने से एक नया समीकरण यहां बन पड़ा है.

अब यहां की लड़ाई दो चौधरियों के बीच में होगी. कांग्रेस विधायक लंबे समय से जिले की राजनीति में सक्रिय चेहरा हैं. बीजेपी की हवा में भी वह विधायक बने हैं. सीएलपी लीडर पार्टी के और कांग्रेस के पूर्वांचल अध्यक्ष, प्रदेश उपाध्यक्ष जैसे पदों पर काम किया है. बसपा का ही प्रत्याशी आना बाकी है. माना जा रहा है कि सीधी लड़ाई अब इन दो चौधरी के बीच में ही होगी.

भाजपा प्रत्याशी पर जहां फिर से कमल खिलाने का दारोमदार है तो कांग्रेस प्रत्याशी पर अपने पंजे से साइकिल को मजबूती दिलाने की है. पूर्वांचल में चौधरी की बात करें तो यह कुर्मी बिरादरी का एक बड़ा समूह है. जैसे मेरठ में जाटों का समूह चौधरी के नाम से जाना जाता है और उनकी अपनी एक मजबूती होती है.

भारत-नेपाल की सीमा से सटा यह लोकसभा क्षेत्र बिहार की सीमा को भी छूता है. काफी पिछड़े इलाकों में इसकी गिनती होती है. गोरखपुर से अलग होकर ही यह वर्ष 1989 में जिला बना था. आज तक इसका जिला मुख्यालय रेल मार्ग से नहीं जुड़ सका है. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री होते हुए भाजपा प्रत्याशी ने इसके लिए प्रयास किया और बजट भी आवंटित हो गया.

शिलान्यास इसी वर्ष पीएम मोदी के हाथों किया गया है. भाजपा प्रत्याशी मूल रूप से गोरखपुर जिले के घंटाघर क्षेत्र के निवासी हैं. 1991 के बाद से महाराजगंज जिल से वह सांसद चुने गए, अब वहीं उनका स्थायी ठिकाना बन चुका है. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत बतौर नगर निगम पार्षद के रूप में की थी. महज 2 वर्ष के पार्षद रहने के साथ उन्होंने 1991 में महाराजगंज लोकसभा से टिकट लेकर जीत हासिल की. संसद की सीढ़ी पर चढ़े तो पिछले 34 वर्षों से उनका यह क्रम, दो असफलताओं के साथ लगातार जारी है.

वह पूर्वांचल के एक मशहूर व्यापारी और मिलनसार व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं. अपनी सफलता के साथ भाजपा संगठन में भी उनकी मजबूत पकड़ है. 1991 से लेकर 2024 तक वह लगातार लोकसभा का टिकट पाते जा रहे हैं. इस बीच उन्हें दो बार हार भी मिली लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट देना जारी रखा.

2019 का चुनाव वह 3 लाख 40424 वोटों के अंतर से जीते थे. महराजगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आबादी 56 प्रतिशत से अधिक है. यहां के ओबीसी समुदायों में कुर्मी-पटेल, चौरसिया, निषाद, यादव, मौर्य, चौहान, सोनार, नई और लोहार शामिल हैं. उच्च जाति, समुदायों में ब्राह्मण कुल मतदाताओं का 12 प्रतिशत हैं.

क्षत्रिय और कायस्थ समुदाय का एक छोटा हिस्सा भी यहां रहता है. दलित आबादी में बहुसंख्यक जाटव हैं. दलितों में जाटवों के अलावा धोबी और पासी भी शामिल हैं. मुस्लिम मतदाता भी यहां संख्यात्मक रूप से महत्वपूर्ण हैं. यहां अनुसूचित जनजाति की दो जातियां भी निवास करती हैं.

महराजगंज से निर्वाचित सांसद :2019-पंकज चौधरी भाजपा, 2014-पंकज चौधरी भाजपा, 2009-हर्षवर्धन कांग्रेस, 2004-पंकज चौधरी भाजपा, 1999 अखिलेश सिंह सपा, 1998 पंकज चौधरी भाजपा, 1996 पंकज चौधरी भाजपा, 1991 पंकज चौधरी भाजपा, 1989 हर्षवर्धन सिंह जनता दल, 1984 जितेन्द्र सिंह कांग्रेस, 1980 अशफाक हुसैन कांग्रेस, 1977-शिब्बन लाल सक्सेना जनता पार्टी, 1971 शिब्बन लाल सक्सेना निर्दल, 1967 महादेव प्रसाद कांग्रेस, 1962 महादेव प्रसाद कांग्रेस, 1957 शिब्बन लाल सक्सेना निर्दल,1952 शिब्बन लाल सक्सेना निर्दल.

इस लोकसभा सीट में जो पांच विधानसभा है शामिल हैं. उसमें फरेंदा, नौतनवा, सिसवां, महाराजगंज और पनियारा हैं. जिले में मतदाताओं की कुल संख्या 19 लाख 95936 है. पुरुष मतदाताओं की संख्या 10 लाख 51572, महिलाओं की संख्या 944280 है. थर्ड जेंडर की संख्या 84 और सर्विस वोटर की संख्या 2995 है. इसमें 18-19 वर्ष के बीच कि मतदाताओं की कुल संख्या 20628 है जो पहली बार मतदान करेंगे. 100 वर्ष से ऊपर के मतदाताओं की संख्या 92 और दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 15347 है. यह सभी मतदाता कुल 1134 मतदेय स्थल पर अपना मतदान करेंगे.

कांग्रेस प्रत्याशी सरल स्वभाव के नेता की पहचान क्षेत्र में रखते हैं. उनका मूल व्यवसाय कृषि ही है. बताया जाता है कि जब भी वह चुनाव लड़ते हैं तो उनके कई बीघे खेत बिक जाते हैं. वह लोकसभा चुनाव लड़ने से पहले पांच बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. 2017 के चुनाव में वह मात्र 2000 वोट से चुनाव हार गए थे. कहा यह भी जाता रहा कि इस परिणाम के पीछे कुछ प्रशासनिक मशीनरी का भी खेल हुआ था. उन्होंने आखिरकार 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की.

1087 वोटो से उन्हें जीत मिली. वह कुल पांच बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. क्षेत्र में उनकी एक अच्छी पहचान है. यूपी में कांग्रेस जब 2022 के चुनाव में दो सीट जीतने में कामयाब हुई तो उसमें उनका नाम भी शामिल था. उनके पिता यहां से सांसद रह चुके हैं.

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