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लक्सर शुगर मिल को क्षमता का आधा गन्ना भी नहीं मिल रहा, जुलाई में आई बाढ़ का साइड इफेक्ट

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 1, 2024, 11:37 AM IST

Sugarcane shortage in Laskar Sugar Mill जुलाई 2023 में हरिद्वार में आई बाढ़ का साइड इफेक्ट अभी तक दिख रहा है. बाढ़ में गन्ने की फसल बर्बाद हो गई थी. जो फसल बची थी उसकी क्वालिटी भी उतनी अच्छी नहीं रही. इसका असर लक्सर चीनी मिल के प्रोडक्शन पर दिखाई दे रहा है. इन दिनों गन्ना पेराई सत्र चल रहा है, लेकिन लक्सर चीनी मिल को अब क्षमता से आधा गन्ना भी नहीं मिल पा रहा है.

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लक्सर शुगर मिल

लक्सर: राय बहादुर नारायण सिंह शुगर मिल लक्सर को मिल की पेराई क्षमता के अनुरूप गन्ना नहीं मिल पा रहा है. मिल की पेराई क्षमता से आधा गन्ना ही मिल को मिल पा रहा है. इससे मिल में नो केन की स्थित हो रही है. मिल द्वारा अभी तक 59.64 लाख कुंतल गन्ने की पेराई की जा चुकी है. जबकि गत वर्ष अभी तक 73.73 लाख कुंतल गन्ने की पेराई की गई थी. मिल की पेराई क्षमता एक लाख तीस हजार कुंतल प्रतिदिन है. इसके सापेक्ष मिल को इन दिनों प्रति दिन करीब 65 हजार कुंतल गन्ने की आपूर्ति ही हो पा रही है.

लक्सर शुगर मिल को नहीं मिल रहा पर्याप्त गन्ना: गौरतलब है कि गत वर्ष जुलाई माह में आई भयंकर बाढ़ से गन्ने की फसल बर्बाद हो गई थी. हरिद्वार जनपद में तीन शुगर मिले हैं. इनमें पेराई क्षमता और चीनी उत्पादन एवं भुगतान के मामले में लक्सर शुगर मिल प्रथम स्थान पर है. वर्ष 2022-23 में लक्सर मिल की पेराई क्षमता प्रति दिन एक लाख कुंतल थी. पिछले पेराई सत्र के बाद मिल प्रबंधन द्वारा करीब 30 करोड़ रुपए की लागत से मिल में आधुनिक मशीन लगाई गई थी. जिससे मिल की पेराई क्षमता एक लाख कुंतल से बढ़कर एक लाख तीस हजार कुंतल प्रतिदिन हो गयी.

क्षमता से आधा गन्ना मिलने से परेशानी: मिल के गन्ना प्रबंधक पवन ढींगरा ने बताया कि मिल का पेराई सत्र शुरू होने के कुछ दिन बाद से ही मिल की पेराई क्षमता के हिसाब से आधा गन्ना ही मिल पा रहा है. उन्होंने बताया कि पिछले सत्र में 30 जनवरी तक 73 लाख 73 हजार कुंतल गन्ने की पेराई हुई थी. जबकि चालू पेराई सत्र में अभी तक 59.64 लाख कुंतल गन्ने की पेराई हुई है.

बाढ़ में तबाह हुई थी गन्ने की फसल: किसानों ने बताया कि गत वर्ष जुलाई माह में क्षेत्र में आई भयंकर बाढ़ से गन्ने की पचास फीसदी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई. जो फसल बची है, उसमें भी औसत उत्पादन के आधे से भी कम गन्ना निकल रहा है. इससे मिल के समक्ष गन्ने की भारी समस्या हो रही है.
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