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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 पर मिलिए खुशी पाण्डेय से, जो साइकिल सवारों के लिए कर रही बड़ा काम

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 8, 2024, 2:11 PM IST

International Womens Day 2024: यदि दिल में कुछ कर गुजरने का जनून हो तो इसको पूरा करने के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती. बस इसी जुनून के चलते महज 16 वर्ष की आयु से ही यूपी की राजधानी लखनऊ की एक लड़की ने ठान लिया समाजसेवा करने का. आईए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 पर बात करते हैं लखनऊ की 23 वर्ष की खुशी पाण्डेय के बारे में, जो करोड़ों लड़कियों के लिए प्रेरणा बन रही हैं.

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खुशी पाण्डेय के जुनून पर संवाददाता गगनदीप मिश्रा की खास रिपोर्ट.

लखनऊ: यूपी की राजधानी लखनऊ की रहने वालीं खुशी पाण्डेय ने कभी स्लम के बच्चों के लिए पाठशाला खोली तो कभी गरीब महिलाओं को उन्होंने अपने पैर पर खड़े होने के लिए सिलाई मशीन दी. इसी बीच जब 25 दिसंबर 2022 की रात को खुशी पाण्डेय के नाना दुकान से घर आने के लिए अपनी साइकिल से निकले, लेकिन घने कोहरे की वजह से एक कार से टक्कर हो गई थी.

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इस हादसे में खुशी के नाना तो नहीं रहे, लेकिन अपनी जान गंवा कर नाना ने अपनी नातिन खुशी को एक राह जरूर दिखा दी. तब से अब तक 23 वर्षीय खुशी 1500 लोगों की साइकिल में रेड लाइट लगा चुकीं है, जिससे अब और कोई अंधेरे की वजह से उनके नाना की तरह अपनी जान न गंवाए. खुशी रोजाना लखनऊ के अलग अलग चौराहों पर एक पोस्टर लेकर खड़ी हो जाती हैं, साइकिल वाले को रोक कर उसमें लाइट लगाती है. उन्होंने इस प्रोजेक्ट को उजाला नाम दिया है.

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बीए एलएलबी कर चुकीं खुशी बताती हैं कि साइकिल में लाइट लगाना तो उन्होंने दो वर्ष पहले ही शुरू किया, लेकिन असल में उन्होंने लोगों के लिए काम करना 16 वर्ष की आयु में ही शुरू कर दिया था. उन्होंने सबसे पहले स्लम में रहने वाले बच्चों के लिए पाठशाला शुरू की. हर स्लम में रोजाना एक एक घंटा देती थी.

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रोजाना करीब पांच पाठशाला चलाती थी. धीरे धीरे कारवां बढ़ता गया, उसके बाद न सिर्फ सपनों की पाठशाला बल्कि प्रोजेक्ट अन्नपूर्णा, प्रोजेक्ट पाठशाला, प्रोजेक्ट उजाला समेत कई प्रोजेक्ट चलने लगे और लोगों को मदद होती रही.

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खुशी बताती हैं कि पीरियड्स पर लोगों को जागरूक करने के लिए वो प्रोजेक्ट दाग चला रही हैं. इसके अलावा लोगों की भूख मिटाने के लिए 'प्रोजेक्ट अन्नपूर्णा' चला रही हैं. गर्मियों में छांव नाम का एक प्रोजेक्ट चला रही हैं, इसमें सड़कों पर धूप में काम करने वालों के लिए छाते देती हैं. इसके अलावा एसिड अटैक सर्वाइवर को उनके पैरों पर खड़े होने के लिए प्रोफेशनल ट्रेनिंग देती हैं, ताकि वो खुद का कुछ काम शुरू कर सकें.

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