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आखिर कब लगेगा कासगंज जैसे हादसों पर अंकुश, सीएम योगी के फरमान भी हवा में उड़ा रहे अफसर,

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 24, 2024, 9:02 PM IST

पहले लखनऊ, कानपुर और अब कासगंज हादसे के बाद एक बार फिर परिवहन विभाग की नींद टूटी है. इस बार भी उनका एक्शन सिर्फ ट्रॉली मालिकों को जागरूक करने तक ही सीमित रहेगा. जो कुछ दिनों तक चलेगा और फिर एक और हादसे के होने का इंतजार किया जाएगा.

कासगंज जैसे हादसों पर अंकुश कब
कासगंज जैसे हादसों पर अंकुश कब

लखनऊ: पिछले साल राजधानी और कानपुर में हुए ट्रैक्टर-ट्रॉली हादसों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिवहन विभाग को सख्त निर्देश दिए थे. सीएम ने कहा था कि ट्रॉली में यात्रियों को ना तो ढोया जाए और न ही श्रद्धालु सवार होकर कहीं भी जाएं. लेकिन विभाग ना ही हादसों से सबक सीखा, न ही सीएम के निर्देशों का ही पालन किया, जिसका खामियाजा एक फिर जनता को भी अपनी जान गंवा कर भुगतना पड़ा है. ऐसे में बड़ा सवाल फिर उठ रहा है कि आखिर ऐसे हादसों पर लगाम कब लगेगा. कब नींद से जागेंगे जिम्मेदार?.

हादसों से कब सीखेंगे सबक: कासगंज जिले में एक साथ 24 जिंदगियां लापरवाही की भेंट चढ़ गई. एक साथ 24 लाशें उठते देखकर हर किसी का कलेजा कांप उठा. लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा तो इसके लिए जिम्मेदार परिवहन विभाग. जो लगातार घट रही ऐसी घटनाओं के बाद सिर्फ जांच करने और समिति बनने को ही अपनी जिम्मेदारी मान रहा है. दरअसल पिछले साल लखनऊ के टिकौली इलाके और कानपुर जिले में ट्रैक्टर ट्रॉली हादसे में दर्जनों यात्रियों की मौत हो गई थी. इन दर्दनाक हादसों के बाद सीएम योगी ने सख्त निर्देश दिए थे कि ट्रॉली में यात्रियों को ढोया जाए और न ही श्रद्धालु ट्रॉली पर सवार होकर कहीं भी जाएं. इसके लिए परिवहन विभाग ने समिति भी गठित की थी, लेकिन कुछ दिन बाद ही सब कुछ ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. अब एक बार फिर कासगंज में श्रद्धालुओं से भरी ट्रॉली तालाब में गिर गई और दर्दनाक हादसा हुआ. जिसमें दो दर्जन लोगों अपनी जान गंवा दिए हैं. इसमें कई मासूम भी शामिल हैं. ऐसे में एक बार फिर परिवहन विभाग की नींद खुली है.और विभाग ट्रैक्टर ट्रॉली मालिकों को जागरूक करने के साथ ही सघन चेकिंग अभियान भी चलाएगा. ग्रामीण इलाकों में प्रधानों के साथ बैठक कर ट्रैक्टर मालिकों को नियम और कानून के बारे में समझाने की बात कह रहे हैं.

कहां गुम हो गई ट्राली के लिए नियम बनाने वाली समिति की रिपोर्ट:उत्तर प्रदेश में हजारों की संख्या में ट्रॉली संचालित हो रही हैं, जिनका आरटीओ में रजिस्ट्रेशन ही नहीं है. जब ट्रैक्टर ट्रॉलियों से हादसे बढ़ने लगे तो यूपी के प्रमुख सचिव परिवहन एल. वेंकटेश्वर लू ने ट्रॉली से हुई घटनाओं की विस्तृत समीक्षा की थी. उन्होंने बताया था कि केंद्रीय मोटर यान अधिनियम 1988 और केंद्रीय मोटरयान नियमावली 1989 में कृषि कार्य के लिए प्रयोग में आने वाली ट्रॉली के पंजीयन के संपूर्ण प्रावधान उपलब्ध नहीं हैं. परिवहन आयुक्त ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से आवश्यक प्रावधान निर्गत करने का अनुरोध किया था. साथ ही राज्य स्तर पर भी ट्रॉली के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए अधिकारियों की एक समिति का गठन किया गया था, लेकिन इस समिति की संस्तुतियों का क्या हुआ इसका कोई पता नहीं है.

किसके दबाव में आरटीओ नहीं बना रहा नियम:परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ट्रैक्टर ट्रॉली मालिकों को जागरूक किया जाएगा कि वे ट्रॉली का इस्तेमाल सिर्फ कृषि कार्यों के लिए ही करें. ट्रॉली का व्यावसायिक इस्तेमाल न हो. इसके अलावा किसी भी कीमत पर ट्रॉली में सवारियां न ढोई जाएं. बताया जा रहा है कि पहले परिवहन विभाग ट्रैक्टर ट्रॉली को लेकर सख्त नियम बनाने की योजना बना रहा था. लेकिन ईंट भट्ठा मालिकों के दबाव के आगे परिवहन विभाग को झुकना पड़ा और अब सिर्फ जागरूकता अभियान तक ही सीमित हैं.

आरटीओ संदीप पंकज.

एक बार फिर जागरुकता के सहारे परिवहन विभाग:लखनऊ के आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप पंकज का कहना है कि हमारी तरफ से ट्रैक्टर ट्रॉली मालिकों से एक बार फिर अपील है कि वह ट्रॉली पर सवारियां किसी कीमत पर न बैठाएं. ट्रैक्टर ट्रॉली कृषि यंत्र हैं, इनका इस्तेमाल कृषि कार्यों में ही करें. पहले भी परिवहन विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीण इलाकों में प्रधानों के साथ बैठक कर ट्रैक्टर मालिकों को सजग किया था, उन्हें जागरूक किया था. अब एक बार फिर बैठक कर उन्हें जागरूक किया जाएगा. नियमों का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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