जबलपुर।लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने नर्सिंग परीक्षाओं को लेकर अपना निर्णय सुना दिया है. आदेश के मुताबिक हाईकोर्ट ने सभी पात्र और अपात्र नर्सिंग कॉलेज के छात्र-छात्राओं को परीक्षा में बैठने का मौका दिया है. हालांकि, इसमें यह कहा गया है कि यह अंतिम मौका होगा, यदि इस परीक्षा में परीक्षार्थी सही ढंग से पेपर कर पाता है तो ही वह नर्सिंग की आगे की पढ़ाई में शामिल होगा अन्यथा उसकी पढ़ाई खत्म मानी जाएगी. ये 11 मार्च की सुनवाई का अंतरिम आदेश है, जिसे संशोधित करके हाईकोर्ट ने दोबारा जारी किया है.
20 हजार स्टूडेंट्स को फायदा
इस फैसले के आने के बाद 2020 से लगातार परीक्षा का इंतजार कर रहे नर्सिंग पाठ्यक्रम के हजारों छात्र-छात्राओं को फायदा मिलेगा. सबसे ज्यादा फायदा अपात्र कॉलेजों के स्टूडेंट्स को होगा. जिनकी संख्या 20 हजार के आसपास बताई जा रही है. दरअसल, कोरोना काल के ठीक बाद मान्यता देने वाली कई संस्थाओं ने फर्जी तरीके से एक-एक कमरे में चल रहे नर्सिंग कॉलेजों को अनुमति दे दी थी. जब यह मामला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट पहुंचा तो मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. सीबीआई जांच के बाद कई कॉलेजों को पात्र घोषित किया गया था, तो कुछ कॉलेज ऐसे थे जिन्हें डिफिशिएंट माना गया था. यानी नर्सिंग की पढ़ाई के लिए जरूरी सुविधा के अभाव वाले कॉलेज.
खतरे में पड़ गया था छात्र-छात्राओं का भविष्य
कोर्ट ने डिफिशिएंट यानि सुविधाविहीन कॉलेजों से कहा था कि डिफिशिएंसी पूरी कर लें और उसके बाद पढ़ाई जारी रखें. वहीं कुछ कॉलेजों को अपात्र ही घोषित कर दिया था. कॉलेज को अपात्र घोषित करने की वजह से एक बड़ा संकट यह खड़ा हुआ कि इसमें पढ़ाई करने वाले हजारों छात्र-छात्राओं का भविष्य खतरे में पड़ गया था. हालांकि, इसमें उनकी गलती नहीं थी इसलिए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने आदेश को संशोधित किया है और सभी छात्र-छात्राओं को परीक्षा देने का एक अवसर दिया है.
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