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ETV BHARAT AMRIT : चैत्र नवरात्र के सातवें दिन होती देवी कालरात्रि की पूजा, चिंता और भय से मिलता है छुटकारा - Chaitra Navratri 2024

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 15, 2024, 7:26 AM IST

चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन देवी मां दुर्गा के मां कालरात्रि स्वरूप की पूजा होती है. काल यानि मृत्यु का नाश करने वाली देवी के पूजन से शत्रु से मुक्ति के साथ सौभाग्य प्राप्त होता है. मां कालरात्रि को संकट हरने वाली देवी यानि की संकटहरणी भी कहा जाता है.

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बीकानेर. चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन देवी मां दुर्गा के मां कालरात्रि स्वरूप की पूजा होती है. नवरात्रि के सातवें दिन यानी सप्तमी तिथि को महासप्तमी भी कहते हैं. महासप्तमी को मां कालरात्रि की पूजा होती है. देवी दुर्गा के मां कालरात्रि स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व देवी पुराण में बताया गया है.

दैत्यों के विनाश के लिए अवतार :पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि मां कालरात्रि का स्वरूप उग्र है और यह अवतार दैत्यों के विनाश के लिए हुआ इसलिए इनकी पूजा का विशेष महत्व है. किराडू ने बताया कि काल सबका भक्षण करता है, लेकिन उसका भी दमन करने की शक्ति मां कालरात्रि में है. पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि दुर्गा सप्तशती के अनुसार कालरात्रि रूप में अवतार के बाद मां ने शुंभ, निशुंभ के साथ रक्तबीज का विनाश किया. मां कालरात्रि महादुष्टों का सर्वनाश करने के लिए जानी जाती हैं. इनकी पूजा से भय और रोगों का नाश होने के साथ ही भूत प्रेत, अकाल मृत्यु, रोग, शोक आदि से छुटकारा मिलता है. मां दुर्गा के सातवें स्वरूप की देवी मां कालरात्रि तीन नेत्र यानि त्रिनेत्र वाली देवी हैं.

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खड्ग, वज्र है शस्त्र, गर्दभ है वाहन :पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि मां कालरात्रि को नील कमल का पुष्प अति प्रिय है और इनकी पूजा में नील कमल के पुष्प का अर्चन करने से विशेष लाभ प्राप्ति होती है. मां कालरात्रि की पूजा में गुड़ और उड़द से बने पदार्थों का भोग लगाना उत्तम होता है. मां कालरात्रि की सवारी गर्दभ है और हाथ में खडग, वज्र और अन्य शस्त्र धारण किए हुए हैं.

भक्तों के लिए फलदायी :पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि भक्तों के लिए मां कालरात्रि का पूजन बहुत फल देने वाला है. उनकी पूजा आराधना करने से किसी भी प्रकार का भय, कष्ट, संकट नहीं रहता है. पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि दुर्गा सप्तशती के सातवें अध्याय में दैत्यों का विनाश करने के लिए मां दुर्गा के इस रूप में प्रकट होने का जिक्र है. मां चामुंडा के नाम से भी इनकी पूजा की जाती है.

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