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देशभक्ति का ऐसा जुनून देखा है कहीं! संगीतकार उमेश जाधव ने पुलवामा के शहीदों के लिए की डेढ़ लाख किमी यात्रा - Umesh Jadhav salute martyrs

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 29, 2024, 5:39 PM IST

बेंगलुरु के संगीतकार उमेश गोपीनाथ जाधव की देशभक्ति और जुनून को हर व्यक्ति सलाम कर रहा है. उमेश जाधव करीब डेढ़ लाख किलोमीटर की यात्रा कर पुलवामा के शहीदों के परिवारों को उनके घर जाकर नमन कर चुके हैं.

example of passion patriotism Musician Umesh Jadhav
पुलवामा के शहीदों के लिए डेढ़ लाख किमी यात्रा

उमेश गोपीनाथ जाधव की देशभक्ति और जुनून

सिवनी।देशभक्ति का जज्बा और जुनून देखना हो तो बेंगलुरु के संगीतकार उमेश गोपीनाथ जाधव में देखा जा सकता है. पिछले 4 सालों से करीब डेढ़ लाख किलोमीटर का सफर करके उमेश जाधव शहीदों के घर के आंगन की मिट्टी कलश में सिर्फ इसलिए एकत्रित की है, ताकि पुलवामा में शहीदों की मिट्टी से एक स्मारक बनाया जा सके. अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति के बाद परिवार सहित अपने घर वापस लौटते समय सिवनी जिले के छपारा नगर के मीडिया और गणमान्य नागरिक से उन्होंने मुलाकात की.

पुलवामा हमले के बाद निकले मिशन पर

उन्होंने अपनी इस यात्रा के दौरान हुए अनुभव साझा किए. शहीदों के बलिदान को यादगार बनाने के लिए इस मिशन पर 4 चार वर्ष पहले निकले थे उमेश जाधव. मूल रूप से महाराष्ट्र के औरंगाबाद में जन्मे उमेश जाधव वर्तमान में बैंगलुरु में निवासरत हैं. वह पूरे हिंदुस्तान को अपना घर समझते हुए देश के लिए शहीद हुए जवानों के लिए कुछ करने के लिए निकले. साल 2019 को पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए 40 जवानों की मौत की खबर सुनकर वह अंदर तक हिल गए. फिर उन्होंने ठाना कि एक जिम्मेदार भारतीय नागरिक होने के नाते देश की सुरक्षा की खातिर शहीद होने वाले इन जवानों के साथ उनके परिजनों को उचित सम्मान की खातिर लीक से हटकर कुछ काम किया जाए.

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उमेश जाधव ने देश के सभी राज्यों में किया भ्रमण

इसके बाद उमेश जाधव ने पूरे देश का भ्रमण करते हुए शहीदों के परिवार से मुलाकात की और उनके आंगन की एक मुठ्ठी मिट्टी कलश में एकत्र की. इसके बाद इसे सेना के उच्च अधिकारी को स्मारक हेतु सौंपा. इस जज्बे के चलते 4 वर्षों से देश के सभी 29 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में उमेश जाधव घूमे. उनकी तमन्ना है कि शहीदों के आंगन की मिट्टी से कश्मीर के पुलवामा में शहीद स्मारक बने. पेशे से संगीतकार और संगीत टीचर जाधव ने बताया "अपना सब काम और परिवार को छोड़कर कर्मभूमि-जन्मभूमि भारत की मिट्टी का सम्मान बढ़ाने और शहीदों के नाम को यादगार बनाने के लिए उन्होंने ये मुहिम पूरी की है."

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