रांची: दिल्ली मार्च कर रहे किसानों को हरियाणा में रोके जाने और उन पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई के खिलाफ झारखंड में माले ने राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया. राजधानी रांची के परमवीर अल्बर्ट एक्का चौक के पास माले नेताओं ने धरना प्रदर्शन किया, साथ ही मोदी सरकार का पुतला भी फूंका.
बता दें कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), कर्ज माफी, स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू करने समेत अपनी कई मांगों के समर्थन में पंजाब और हरियाणा से हजारों किसान देश की राजधानी दिल्ली जा रहे थे. इस दौरान हरियाणा में पुलिस ने बेरहमी से किसानों पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस, वॉटर कैनन और रबर बुलेट छोड़े. जिसके खिलाफ माले ने पूरे राज्य में विरोध दिवस मनाया.
रांची समेत इन जगहों पर माले का विरोध मार्च
राज्यव्यापी विरोध दिवस के तहत भाजपा और मोदी सरकार के इशारे पर किसानों पर पुलिसिया दमन के खिलाफ भाकपा माले ने रांची के परमवीर अल्बर्ट एक्का चौक, बगोदर के बस स्टैंड गोलंबर, धनबाद के रणधीर वर्मा चौक, रामगढ़ के सुभाष चौक समेत विभिन्न इलाकों में विरोध प्रदर्शन करते हुए इलाके का भ्रमण किया. उन्होंने केंद्र सरकार समेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला भी फूंका. बगोदर के सरिया रोड स्थित किसान भवन से सैकड़ों माले कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च निकाला और पूरे बगोदर बाजार का भ्रमण किया. मार्च बस स्टैंड गोलंबर पर पहुंच कर एक आम सभा में तब्दील हो गयी. इस विरोध मार्च में माले के बगोदर विधायक विनोद कुमार सिंह भी शामिल हुए. विरोध मार्च में शामिल माले कार्यकर्ताओं ने किसानों पर लाठीचार्ज और पुलिसिया दमन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
मोदी सरकार का दोहरा चरित्र उजागर - विनोद सिंह
बगोदर विधायक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि तीन नये कृषि कानूनों की वापसी, एमएसपी की गारंटी और कर्ज माफी को लेकर किसानों ने एक साल तक बहादुरी से आंदोलन किया, इस दौरान सात सौ से अधिक किसान शहीद हो गये. जो वादे किये थे वो पूरे नहीं हुए. अब जब देश के किसान दिल्ली जाकर अपनी बात कहना चाहते हैं तो भाजपा शासित राज्य हरियाणा में उन पर अत्याचार किया जा रहा है. किसानों पर कहर ढाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार किसान नेता पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करती है लेकिन किसानों को उनकी फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की गारंटी नहीं देती है. सरकार हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित तो करती है लेकिन उनकी रिपोर्ट पर अमल नहीं करते हुए उनके प्रस्तावों को लागू नहीं कर रही है. यह मोदी सरकार का दोहरा चरित्र है.