राजस्थान

rajasthan

अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस और अगले साल फिर मिलने का वादा, साहित्य के महाकुंभ का समापन

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 5, 2024, 10:14 PM IST

साहित्य के महाकुंभ 'जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल' का आज सोमवार को अगले साल फिर मिलने के वादे के साथ समापन हुआ. इससे पहले होटल क्लार्क्स आमेर के फ्रंट लॉन में अभिव्यक्ति की आजादी और तकनीक के दखल पर बहस हुई.

साहित्य के महाकुंभ का समापन
साहित्य के महाकुंभ का समापन

साहित्य के महाकुंभ का समापन

जयपुर.साहित्य के महाकुंभ के नाम से अपनी अनूठी पहचान रखने वाले 'जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल' का सोमवार को अगले साल फिर मिलने के वादे के साथ पांच दिन चले इस कार्यक्रम का समापन हुआ. इससे पहले होटल क्लार्क्स आमेर के फ्रंट लॉन में अभिव्यक्ति की आजादी और तकनीक के दखल पर खुलकर बहस हुई.

इस बहस में पूर्व राजनयिक और लेखक पवन वर्मा ने कहा, "हम आज कि बात कर रहे हैं. संविधान हमें बोलने और अभिव्यक्ति कि आजादी देता है, लेकिन आज प्रायोगिक रूप से देखें तो विभिन्न कानूनों के नाम पर हमारे सभी टेलीफोन कॉल मॉनिटर किए जा सकते हैं. इंटरनेट कम्युनिकेशन पर नजर रखी जा सकती है. वेबसाइट्स को ब्लॉक किया जा सकता है. इंटरनेट शट डाउन किया जा सकता है. किसी को मालूम नहीं है कि ऐसा कब हो रहा है और किसके साथ हो रहा है, इसलिए अब लोग वाट्सएप पर बात नहीं करते. वे फेस टाइम ऑडियो पर बात करते हैं, क्योंकि कोई भी निश्चिंत नहीं है कि कोई नहीं सुन रहा है. यह क्यों महत्वपूर्ण है. यह अहम है क्योंकि फ्री स्पीच अब फ्री स्पीच नहीं है. यह अब डर के साए में है. यह सब हमारे आसपास ही हो रहा है." उन्होंने कहा कि अखबारों में क्या छप रहा है. इस पर भी आज नजर रखी जा रही है.

इसे भी पढ़ें-जेएलएफ में गुलजार बोले-टैगोर की किताब ने बदला जीवन, बंटवारे पर शायरी के जरिए साझा किया अनुभव

पेगासस और चार्वाक दर्शन का भी जिक्र :अभिव्यक्ति कि आजादी और तकनीक के दखल को लेकर आयोजित क्लोजिंग डिबेट में पवन के वर्मा के साथ ही वर्गीज के जॉर्ज, पिंकी आनंद, अमिया श्रीनिवासन, मार्कुस द सौतोय और स्वाति चतुर्वेदी ने भी अपने विचार रखे. वीर सांगवी ने संचालन किया. इस बहस में पेगासस और चार्वाक दर्शन का भी जिक्र किया गया.

प्रमुख सत्रों का साइन लैंग्वेज में किया गया अनुवाद :जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में इस साल पहली बार अनूठा प्रयोग किया गया. फ्रंट लॉन में हुए सभी प्रमुख सेशंस का सांकेतिक भाषा (साइन लैंग्वेज) में भी अनुवाद किया गया. सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ने मंच पर बोले गए सभी वाक्यों का साइन लैंग्वेज में अनुवाद किया. नूपुर संस्थान के सहयोग से पहली बार इस तरह का अनूठा प्रयोग किया गया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details