पटना: बिहार में जिन 26 सीटों पर चुनाव होना है उसमें से आधा दर्जन से अधिक सीटें एनडीए के लिए इस बार आसान नहीं होने वाला है. सबसे चर्चा में समस्तीपुर सीट है क्योंकि एक तरफ जहां लोचापा रामविलास से जदयू के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी चुनाव लड़ रही हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस के टिकट पर जदयू मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे सनी हजारी चुनाव लड़ रहे हैं यहां बाहरी भीतरी की लड़ाई है और जातीय समीकरण भी एनडीए के लिए चुनौती बना हुआ है.
मुंगेर लोकसभा सीटः यह जदयू की सीटिंग सीट है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे ललन सिंह यहां से फिर से चुनाव मैदान में है. लेकिन राजद ने बाहुबली अशोक महतो की पत्नी को टिकट देकर मुकाबला कठिन बना दिया है. मुंगेर में ललन सिंह से भूमिहार जाति के लोग काफी खफा हैं. यहां तक की गांव में भी घुसने नहीं दे रहे हैं. यहां की लड़ाई बैकवर्ड फॉरवर्ड की भी हो गई है. प्रधानमंत्री मुंगेर में जनसभा कर चुके हैं. मुख्यमंत्री ने भी कई राउंड की जनसभा की है. इस बीच बाहुबली अनंत सिंह भी 14 दिन के पैरोल पर बाहर आये हैं. चर्चा है कि इसी चुनाव को ध्यान में रखकर उन्हें पैरोल दी गई है.
बेगूसराय लोकसभा सीटः केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह एक बार फिर से भाग्य आजमा रहे हैं. लेकिन उन्हें पार्टी के अंदर ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है. बीजेपी का एक खेमा उनसे नाराज है. इस कारण गिरिराज सिंह की मुश्किलें बढ़ी हुई है. ऐसे गिरिराज सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और असम के मुख्यमंत्री को भी चुनाव प्रचार में बुलाया है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी चुनाव प्रचार कर चुके हैं. प्रधानमंत्री भी गिरिराज सिंह के क्षेत्र में आ चुके हैं. कुल मिलाकर भाजपा ने पूरी ताकत यहां लगाई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी चुनाव प्रचार कर चुके हैं.
जहानाबाद लोकसभा सीटः जदयू की सीटिंग सीट है. यहां से एक बार फिर चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी चुनाव मैदान में हैं. राजद के कद्दावर नेता सुरेंद्र यादव के चुनाव मैदान में फिर से आने के कारण जदयू के लिए मुश्किल बढ़ गई है. रहा सब कसर अरुण कुमार ने बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरकर कर दी है. और जदयू के लिए मुकाबला कठिन हो गया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू उम्मीदवार महज कुछ हजार के मत के अंतर से जीत दर्ज की थी.
काराकाट लोकसभा सीटः यह जदयू की सीटिंग सीट है. लेकिन, इस बार यह सीट उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को दे दी गयी है. उपेंद्र कुशवाहा यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन पवन सिंह के चुनाव मैदान में आने से लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है. पवन सिंह बीजेपी में थे. बीजेपी ने उन्हें आसनसोल से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था, लेकिन पवन सिंह ने उसे ठुकरा दिया. वो आरा से चुनाव लड़ना चाहते थे. बाद में काराकाट से निर्दलीय ही चुनाव मैदान में कूद गए. बीजेपी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है. इस कारण संशय बना हुआ है.
सारण लोकसभा सीटः बीजेपी की सीटिंग सीट है. निवर्तमान सांसद राजीव प्रताप रूडी एक बार फिर से चुनाव मैदान में हैं. लेकिन लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के यहां आने से लड़ाई आसान नहीं रह गया है. लालू प्रसाद यादव केवल सारण सीट पर ही चुनाव प्रचार कर रहे हैं. इस तरह से कहें की पूरी ताकत लगा दी है. लालू प्रसाद यादव का गृह क्षेत्र भी है. हालांकि बीजेपी की ओर से राजीव प्रताप रूडी के लिए प्रधानमंत्री से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सभी दिग्गज नेता चुनाव प्रचार कर चुके हैं. नीतीश कुमार ने भी चुनाव प्रचार किया है.
शिवहर लोकसभा सीटः बीजेपी की सीटिंग सीट थी. लेकिन इस बार गठबंधन में बीजेपी ने यह सीट जदयू को दिया. जदयू से बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद चुनाव लड़ रही हैं. रमा देवी, बीजेपी के टिकट पर यहां से पिछली बार सांसद बनी थी. इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया गया है. खुलकर उन्होंने विरोध नहीं किया, लेकिन वैश्य समाज में नाराजगी है. इसका नुकसान लवली आनंद को उठाना पड़ सकता है.