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कन्या भोज कराते समय 5 बातों का रखें ध्यान, एक बालक को भी जरूर करें शामिल, बरसेगी माता की कृपा - know Kanya Bhoj vidhi

सोमवार को चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है. आज के दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. वहीं नवरात्रि का महाअष्टमी और नवमी पर कन्या भोज कराने का रिवाज है, जो बहुत महत्वपूर्ण है. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री

KNOW KANYA BHOJ VIDHI
कन्या भोज कराते समय इन बातों का रखें ध्यान, इस एक व्यक्ति को भी जरूर करें शामिल, बरसेगी माता की कृपा

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 15, 2024, 4:19 PM IST

Updated : Apr 15, 2024, 5:28 PM IST

शहडोल।चैत्र नवरात्रि का आज सातवां दिन है. चैत्र नवरात्रि में बड़े ही भक्ति भाव से लोग माता की पूजा पाठ और व्रत करते हैं. व्रत के अंतिम दिन कन्या भोज कराया जाता है. जहां छोटी-छोटी बच्चियों को घर में बुलाकर उन्हें साफ स्वच्छ खाना खिलाया जाता है. ऐसे में कन्या भोज कराते समय किन-किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए, किस विधि विधान से कन्या भोज कराना चाहिए, कौन सी छोटी-छोटी गलतियां भूल कर भी कन्या भोज में नहीं करनी चाहिए, इसके अलावा कन्या भोज कराते समय कन्याओं के साथ-साथ किस एक और व्यक्ति को इस कन्या भोज में शामिल करना चाहिए, तभी कन्या भोज पूर्ण माना जाता है, जानते हैं ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से.

कन्या भोज कराते समय बरतें ये सावधानी

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं की महाष्टमी के दिन कन्याओं को भोजन कराया जाता है. जब कन्या भोज कराएं, तो इस बात का विशेष ध्यान रखें की कन्याओं की उम्र 8 वर्ष से कम हो. अगर कन्याओं की उम्र 8 वर्ष से ऊपर होती है और भूल बस अगर 12 साल और 15 साल से ऊपर की लड़कियों को कन्या भोज कराते हैं तो वो मान्य नहीं होता है, उसका उल्टा परिणाम मिलता है.

कन्या भोज कराते समय 8 वर्ष से ऊपर की लड़कियां ना हो इस बात का विशेष ध्यान रखें. कन्याओं को जबरदस्ती भोजन न कराएं, जो वो खाएं वही उन्हें उनके मनपसंद का खिलाएं. लड़कियों के मस्तिक में लाल टीका अवश्य लगाएं. कुछ लोग हल्दी चावल का टीका लगा देते हैं. ऐसे लोग भी कन्या भोज के समय लड़कियों को लाल टीका लगाए. लड़कियों को काला वस्त्र या रुमाल ना दें, उनको लाल चुनरी दें, या पीली दें, या सफेद दें, लेकिन काली चुनरी भूलकर भी ना दें. लड़कियों के पैर में महावर लगाना बिल्कुल भी न भूलें. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो उनका अपमान होता है और देवी खुश नहीं होती हैं, इसलिए महावर लगाकर ही पूजन करें.

ऐसे कराएं कन्या भोज

कन्या भोज कराते समय क्या-क्या करना चाहिए, इसे लेकर ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं की कन्याओं को घर आने पर पहले उनका पैर धोएं, महावर लगाएं, टीका लगाएं और प्रेम से उनको आसान में बिठाएं. इन बातों का ध्यान रखें की कन्याओं के घर जाकर उनका निमंत्रण करें और उन्हें भोजन के लिए आग्रह करें. उन्हें केवल संदेश ना दें, कन्याओं को भोज जबरदस्ती ना कराएं. जो भोजन उन्हें पसंद हो, वही दें. कन्या जब भोजन कर ले तो उनका हाथ धुलाएं और उन्हें प्रेम से जो फल है या द्रव्य या श्रृंगार सामग्री है. उसे देकर के उनके चरण छूकर के घर के सभी सदस्य उन्हें प्रणाम करें. उनका आशीर्वाद लें, जब कन्याएं बाहर आने लग जाएं, तो उन्हें प्रणाम करके उनके पास हाथ जोड़े. ऐसा करने से पूरा पुण्य लाभ मिलता है. देवी जी की कृपा बरसती है और नौ देवियों की कृपा उस घर में बरसती है, जिससे कल्याण होता है.

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कन्याओं के साथ इसे भी शामिल करें

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं, की कन्या भोज कराते समय आठ कन्याओं को तो शामिल करें ही. साथ ही साथ उसमें एक 8 साल से कम उम्र के छोटे बालक को भी शामिल करें. जिसे लंगूर का दर्जा दिया जाता है. जब आठ कन्याओं के साथ किसी एक बालक को कन्या भोज में शामिल किया जाता है, तो वो कन्या भोज पूर्ण माना जाता है. अगर इस 8 साल से कम उम्र के बच्चे को इस कन्या भोज में शामिल नहीं करते हैं तो कन्या भोज अपूर्ण रहता है.

Last Updated : Apr 15, 2024, 5:28 PM IST

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