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लाल सिंह ने वापस लिया नामांकन, कहा- कांग्रेस ने मान ली मेरी बात, अब जिताने के लिए करूंगा काम - Lok Sabha Elections 2024

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 8, 2024, 8:39 PM IST

Lok Sabha Elections 2024, राजस्थान की जालोर संसदीय सीट से बसपा प्रत्याशी लाल सिंह ने सोमवार को अपना नामांकन वापस ले लिया. ऐसे में अब इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है. इधर, नामांकन वापस लेने के बाद लाल सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने उनकी बातें मान ली है. ऐसे में अब वो यहां पार्टी को जिताने के लिए काम करेंगे.

Lok Sabha Elections 2024
Lok Sabha Elections 2024

जालोर. जालोर-सिरोही संसदीय सीट से बसपा प्रत्याशी लाल सिंह ने सोमवार को अपना नामांकन वापस ले लिया. अब इसके बाद यहां कांग्रेस के वैभव गहलोत और भाजपा के लुंभा राम चौधरी के बीच मुकाबला होना है. वहीं, नामांकन वापस लेने के बाद लाल सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने उनकी बातें मान ली है. ऐसे में अब वो यहां कांग्रेस को जिताएंगे. दरअसल, बसपा प्रत्याशी लाल सिंह को बैठाने का प्रयास किया जा रहा था, वो नहीं मान रहे थे. अंतत: रविवार रात को कांग्रेस समझाइश करने में सफल रही और सोमवार को कांग्रेस नेता धर्मेंद्र सिंह राठौड़ के साथ लाल सिंह कलेक्ट्रेट पहुंचे और अपना नामांकन वापस ले लिए. इस दौरान बसपा के प्रदेश महासचिव व उदयपुर जोनल प्रभारी हरिश्चंद्र सिंह गौड़ ने भी लाल सिंह की खूब मान मनौव्वल की. उन्होंने लाल सिंह को रोकने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन वो नहीं रुके और आखिरकार अपना नामांकन वापस ले लिए.

इधर, गौड़ ने कहा कि रविवार को बैठक छोड़कर लाल सिंह निकल गए थे. उसके बाद से ही वो किसी का फोन नहीं उठा रहे थे. उन्होंने कहा कि लाल सिंह ने कहा था कि भाजपा-कांग्रेस राजपूत समाज को टिकट नहीं दे रही है. इसलिए एससी-एसटी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और सीट निकालेंगे, लेकिन उन्होंने हमारे भरोसे को तोड़ा है. इसे हमारी भाषा में बिकना कहते हैं.

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वहीं, लाल सिंह 2017 में कांग्रेस से जुड़े थे. उसके बाद उन्होंने विधानसभा व लोकसभा में दावेदारी की, लेकिन टिकट नहीं मिली. इस बार लोकसभा चुनाव घोषणा से पहले लाल सिंह ने वराडा में एक आयोजन कर वैभव का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि बाहरी आया तो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. उनके इस कथन को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले हल्के में लिया. उसके बाद लाल सिंह की गहलोत से मुलाकात हुई, तब भी गहलोत ने उन्हें ज्यादा रिस्पॉन्स नहीं दिया.

गहलोत का अंदाजा था कि लाल सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने से कांग्रेस को फायदा हो सकता है. इस लिहाज से इसे गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन लाल सिंह ने भी चतुराई से काम करते हुए बसपा से टिकट ले ली और बसपा के सिंबल पर नामांकन किया. साथ ही मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की मंशा से नामांकन सभा में सियासी ताकत भी दिखाई. इससे गहलोत की चिंताएं बढ़ गई, तभी से गहलोत गुट ने घेराबंदी कर उन्हें बिठाने की जुगत शुरू की और आखिरकार लाल सिंह को बिठाने में वो कामयाब हो गए.

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