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देश की वृद्धि के लिए दक्षिण पंथ भी चाहिए और वामपंथ भी, राजा को सबको साथ लेकर चलना होगा : देवदत्त पटनायक

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 4, 2024, 7:08 AM IST

17वें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल होने आए लेखक देवदत्त पटनायक ने जैनधर्म, वामपंथ दक्षिण पंथ और हिस्ट्री-माइथॉलजी के बारे में खुलकर अपने विचार रखे. हाल ही में वो अपनी किताब 'बाहुबली' को लेकर सुर्खियों में आए थे.

Devdutt Patnaik at Jaipur Literature Festival
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में देवदत्त पटनायक

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में देवदत्त पटनायक

जयपुर. "राइट यदि शिव है तो लेफ्ट शक्ति है. शिव और शक्ति दोनों साथ में काम नहीं करेंगे तो कभी वृद्धि नहीं होगी. वामपंथ और दक्षिण पंथ का विभाजन बेवकूफी है. राजा का एक ही काम है, सबको साथ लेकर चलना. इसलिए दक्षिण पंथ भी चाहिए, वामपंथी चाहिए." यह कहना है लेखक देवदत्त पटनायक का. हाल ही में अपनी किताब 'बाहुबली' को लेकर चर्चा में आए देवदत्त पटनायक शनिवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंचे, जहां उन्होंने जैनिज्म पर बेस अपनी किताब बाहुबली पर चर्चा की. साथ ही हिस्ट्री और माइथोलॉजी के डिफरेंस को भी समझाने की कोशिश की. इस दौरान उन्होंने एक सवाल के जवाब में भगवान राम को आत्मा के प्रतीक के रूप में बताया जो सबको साथ लेकर चलते हैं.

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंचे देवदत्त पटनायक ने कहा कि उन्हें जयपुर में आना बहुत अच्छा लगता है. यहां बहुत सारे फैन और ऑथर से भी रूबरू होते हैं. अच्छा लगता है कि इंस्टाग्राम पर जमाने में भी लोगों को पढ़ने का शौक है. इसे देखकर लगता है कि दुनिया सब ठीक है. बाहुबली नाम से अपनी किताब को लेकर पटनायक ने कहा कि बाहुबली का नाम आते ही फिल्म जहन में आती है, जिसमें एक हिंसक किरदार नजर आया था, लेकिन भारत में एक अहिंसक बाहुबली भी रहे हैं. उनकी ये किताब जैनिज्म पर है. जैन धर्म में जो विचार है, उन्हीं में से एक को चुनकर ये किताब लिखी गई है.

जैन धर्म का अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान : उन्होंने कहा कि भारत में जैन धर्म के लोग एक प्रतिशत से कम है, लेकिन उन्होंने सुना है कि जीडीपी में उनका कंट्रीब्यूशन 10 फीसदी है. जब भी जैनिज्म का नाम आता है, तो सिर्फ जैन पाव भाजी लोगों के दिमाग में आती है, लेकिन जैनिज्म इससे कहीं ज्यादा है. वहीं माइथॉलजी और हिस्ट्री में डिफरेंस बताते हुए उन्होंने कहा कि ये सनातन सत्य है कि हिस्ट्री भूतकाल होती है, लेकिन माइथॉलजी सनातन होता है, यानी यह हमेशा के लिए रहता है. विचारों के बारे में बात करता है. इन विचारों को प्रकट करने का माध्यम कहानी होती है.

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इतिहास और माइथॉलजी अलग-अलग : उन्होंने कहा कि इतिहास और माइथॉलजी का डिवीजन सिर्फ 200 साल पुराना है. 200 साल पहले एक विचार आया कि हर चीज का एक एविडेंस होना चाहिए. इसलिए हिस्ट्री में फैक्ट के बारे में बात की जाती है और माइथॉलजी में विश्वास के बारे में बात करते हैं. उन्होंने कहा कि हर संस्कृति की सोच अलग होती है. भारतीय संस्कृति की अलग सोच है, यहां पुनर्जन्म का विश्वास है. वेस्टर्न थॉट इक्वलिटी और जस्टिस का है, जहां पैगंबर की बात आती है. चीन के विचार अलग हैं और जब चीन के साथ व्यापार करना है तो उनकी सोच भी समझनी होगी, लेकिन लोग अभी तक माइथॉलजी और हिस्ट्री पर अटके हुए हैं. ये छोटी सोच है. बड़ी सोच ये है कि अलग-अलग संस्कृति का अलग-अलग विचार होता है. उसे समझने के लिए माध्यम है माइथॉलजी है, जिस दिन ये समझ जाएंगे उस दिन देश वृद्धि करने लगेगा और इकोनामिक भी ग्रोथ करेगी.

परम सत्य कोई नहीं जानता : इस दौरान पटनायक ने कहा कि नॉलेज इस पर निर्भर करती है जितना उसे पचाया जा सकता है. सरस्वती भी इसी रूप में व्यक्ति को मिलती हैं. उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि अगर कोई कहता है कि वो परम सत्य जानता है तो वो झूठ कहता है. बशर्ते उसके हाथ में तलवार ना हो, क्योंकि तलवार जिसके हाथ में होती है वो हमेशा सच है.

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