केपटाउन : बाईस गज की पिच, एक गेंद बल्ला और विश्व कप विजेता कोच का मार्गदर्शन. दुनिया की सबसे बड़ी झुग्गियों में शामिल खयेलित्शा के बच्चे गैंगवार, गरीबी और ड्रग्स की लत से बचने के लिये क्रिकेट का ककहरा सीख रहे हैं और उन्हें सिखाने वाले कोई और नहीं भारत को 2011 विश्व कप जिताने वाले कोच गैरी कर्स्टन हैं.
अश्वेत बच्चों को बराबरी का दर्जा दिलाने और खेलों में समान मौके मुहैया कराने की यह अनूठी मुहिम ‘गुरू ग्रेग’ की ही है जिन्होंने वंचित तबके के कई बच्चों की जिंदगी बदल दी. दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन से करीब 30 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में स्थित खयेलित्शा दुनिया की पांच सबसे बड़ी झुग्गी बस्तियों में शामिल है जिसे ड्रग्स के कारण सबसे असुरक्षित इलाकों में माना जाता है. कर्स्टन का कैच ट्रस्ट फाउंडेशन पूर्व नाम गैरी कर्स्टन फाउंडेशन यहां पांच स्कूलों में पांच से 19 वर्ष की उम्र के एक हजार से ऊपर बच्चों को क्रिकेट का प्रशिक्षण दे चुका है.
पंद्रह बरस के लुखोलो मालोंग ने भाषा से कहा, 'मैं विराट कोहली को प्रेरणा मानता हूं जो मुझे कभी हार नहीं मानने के लिये प्रेरित करते हैं. मैं एक दिन दक्षिण अफ्रीका के लिये खेलना चाहता हूं’ उन्होंने कहा, 'मैं कोहली से कभी हार नहीं मानने का जज्बा, कड़ी मेहनत और कुछ कर दिखाने का जुनून सीखता हूं. मैने उन्हें केपटाउन में मैदान पर देखा है लेकिन एक दिन उनसे मिलना चाहूंगा.
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के दौरान अश्वेतों को शहर से बाहर करने की कवायद में 1983 में खयेलित्शा बसाया गया. इसमें 25 लाख से अधिक लोग रहते हैं और 99.5 प्रतिशत अश्वेत हैं जिनका जीवन संघर्ष से भरा है. ऐसे में नशे और अपराध का बुरा साया बचपन में ही बच्चों पर पड़ जाता है. कर्स्टन ने भाषा से कहा, 'मैं जब भारत से यहां आया तो केपटाउन में सबसे गरीब इस इलाके का दौरा करने पर देखा कि यहां क्रिकेट क्या कोई खेल नहीं हो रहा है. मुझे बहुत बुरा लगा, मैने तब यह केंद्र बनाने की सोची और शुरूआत दो स्कूलों से करने के बाद अब पांच स्कूलों में केंद्र चला रहे हैं.