शिमला: हिमाचल प्रदेश में एड्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और ये हम नहीं बल्कि सरकार के आंकड़े बयां कर रहे हैं. विधानसभा के बजट सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में हिमाचल सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से चौंकाने वाले आंकड़े बताए गए हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल में बीते वर्षों में एड्स के मामले तेजी से बढ़े हैं. ये बढ़ते आंकड़े डराने वाले हैं.
करीब 4 साल में 1805 HIV पॉजिटिव मामले
दरअसल हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान बीजेपी विधायक डॉ. जनक राज ने सवाल किया था कि पिछले 3 सालों में 15 जनवरी 2024 तक प्रदेश में कितने HIV पॉजिटिव मामले आए. इन मामलों का जिलावार तीन सालों का ब्यौरा मांगा गया था. सरकार की ओर से दिए गए लिखित जवाब के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में बीते 4 सालों में 1805 HIV पॉजिटिव मामले सामने आए. सरकार की ओर से 2020-21 से 2023-24 तक के आंकड़े दिए गए थे.
करीब 4 साल में 1805 HIV पॉजिटिव मामले कांगड़ा जिले में सबसे ज्यादा केस
वित्त वर्ष 2020-21 से लेकर मौजूदा वित्त वर्ष में 15 जनवरी, 2024 तक दिए आंकड़ों के मुताबिक कांगड़ा जिले में सबसे ज्यादा HIV पॉजिटिव मामले सामने आए. आबादी के लिहाज से कांगड़ा हिमाचल का सबसे बड़ा जिला है. सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते करीब 4 साल में अकेले कांगड़ा जिले से ही 512 केस सामने आए हैं. यहां साल 2020-21 में 112, 2021-22 में 100, 2022-23 में 155 और 2023-24 में 15 जनवरी तक 145 केस सामने आए हैं.
कांगड़ा के बाद सबसे ज्यादा मामले ऊना जिले से सामने आए जहां 4 साल में कुल 236 HIV पॉजिटिव मामले आए हैं. ऊना में साल 2020-21 में 46, 2021-22 में 42, 2022-23 में 66 और 2023-24 में 15 जनवरी तक 82 मामले सामने आ चुके हैं. सबसे कम 4 मामले किन्नौर जिले से आए है, यहां पिछले 4 सालों में हर साल एक मामला सामने आया. लाहौल स्पीति जिले में साल 2020-21 में 9 मामले सामने आए, जबकि पिछले 3 साल में वहां एक भी नया केस नहीं आया है.
बीते 4 साल में हिमाचल में एड्स के मामले. हिमाचल में एड्स के कुल कितने मरीज
हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है. बीते साल एड्स दिवस के मौके पर हिमाचल प्रदेश में एड्स कंट्रोल सोसायटी शिमला के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में नवंबर 2023 तक हिमाचल में 5534 HIV पॉजिटिव मामले हैं.
क्यों बढ़ रहे हैं मामले ?
हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के पूर्व उप-निदेशक और चार दशक तक प्रदेश में विभिन्न संस्थानों में सेवाएं देने वाले डॉ. रमेश चंद के अनुसार "HIV एक साइलेंट बॉम्ब है. हाल ही के वर्षों में युवाओं ने नशे के कई तरीके खोज निकाले हैं. खासकर सिरिंज के जरिए नशा लेने वाले युवा एचआईवी के नए स्प्रेडर बन रहे हैं. नशा करने वाले युवा ग्रुप में होते हैं. वे एक ही इन्फेक्टिड सिरिंज से नशे की डोज शरीर में इंजेक्ट करते हैं. यही नहीं, एक ही सिरिंज को कई कई दिन तक यूज करते हैं. इससे एचआईवी का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है. यदि एचआईवी पीड़ितों में युवा अधिक होंगे तो उसमें 90% कारण सिरिंज से नशा करना है"
डॉ. रमेश चंद के अनुसार "अभी भी लोग यौन संबंध बनाने में लापरवाही बरतते हैं. बेशक बीते दो दशक से जागरुकता के अनेक कार्यक्रम चलाए गए हैं, लेकिन लापरवाही अभी भी बनी हुई है. व्यक्ति यही सोचता है कि उसे एचआईवी नहीं हो सकता. डॉ. रमेश के अनुसार ये कड़वी सच्चाई है कि अब वैवाहिक जीवन से इतर यौन संबंध बनाना आम बात हो गई है. मल्टीपल सेक्स पार्टनर अब एक दुखद सच्चाई है. आज इंटरनेट की उपलब्धता के कारण ऐसे-ऐसे कंटेंट वाली साइट्स हैं कि नैतिकता के लिए स्पेस नहीं बचा है. युवा वर्ग में ग्रुप में यौन संबंध बनाना आम हो चला है. ये भी एक बड़ा कारण है."
क्या करने की जरूरत है ?
कांगड़ा जिले में सबसे ज्यादा केस एक्सपर्ट्स मानते हैं कि नशे का फैलता जाल एड्स को फैलाने में बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है. पंजाब नशे को लेकर बदनाम रहा है और हिमाचल प्रदेश के पंजाब से लगते इलाकों में भी नशे का जाल फैल रहा है. कांगड़ा या ऊना जिले में एचआईवी के अधिक मामलों की वजह भी इसे ही माना जा रहा है.
डॉ. रमेश चंद के अनुसार "एक व्यापक सर्वे की जरूरत है, जिसमें एचआईवी पीड़ितों का आयु वर्ग और इस वायरस से पीड़ित होने के कारणों पर विस्तार से पड़ताल की जाए. हालांकि एड्स कंट्रोल सोसाइटी कई कार्यक्रम चलाती है, लेकिन समाज में अभी भी जागरुकता की कमी है."
कांगड़ा प्रदेश का ऐसा जिला है, जिसकी सीमाएं पंजाब से भी लगती है. पंजाब को नशे के कारण उड़ता पंजाब कहा गया. हिमाचल हाईकोर्ट ने भी नशे के बढ़ते चलन पर सरकार को चेताते हुए इस पर लगाम कसने की बात कही है, ताकि हिमाचल की हालत भी पंजाब जैसी न हो जाए. यदि कांगड़ा में सबसे अधिक मामले है तो उसके पीछे जाहिर है सिरिंज से नशा बड़ा कारण है. यही हाल हिमाचल के अन्य सीमांत जिलों का है. डॉ. रमेश का कहना है कि "अब समय के अनुरूप जागरुकता अभियान चलाए जाने चाहिए. स्कूल में सेक्स एजुकेशन एक बहस का विषय है, लेकिन ये बताया जाना जरूरी है कि एचआईवी होता कैसे है और इससे कैसे बचा जाए."