दिल्ली

delhi

कौन थे रजाकार, जिसका जिक्र मोदी, शाह ने चुनावी रैली में किया - who were the razakars

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 2, 2024, 9:32 PM IST

Updated : May 2, 2024, 9:43 PM IST

Who Were The Razakars: लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज है. इन सबके बीच मोदी और शाह ने रजाकारों का जिक्र किया. गृह मंत्री अमित शाह ने हैदराबाद में एक चुनावी रैली में कहा कि, 40 सालों से संसद में 'रजाकार' के प्रतिनिधि बैठे हैं. अब सवाल है कि, कौन थे रजाकार?

lok sabha election 2024
चुनावी रैली की तस्वीर (Photo credit ANI)

हैदराबाद: लोकसभा चुनाव को लेकर देश भर में सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है. भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव के मद्देनजर हैदराबाद पर पूरा जोर लगा दिया है. बीजेपी ने यहां से के माधवी लता को उम्मीदवार बनाया है. माधवी इस सीट पर एआईएमआईएम के मुखिया असदद्दुीन ओवैसी को कड़ी टक्कर देंगी. वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने माधवी लता के समर्थन में हैदराबाद में चुनाव प्रचार किया. शाह ने इस दौरान AIMIM पार्टी के अध्यक्ष ओवैसी को इशारों-इशारों में रजाकारों का प्रतिनिधि करार दिया.अमित शाह ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले 40 सालों से संसद में 'रजाकार के प्रतिनिधि' बैठे हैं. उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि, अब समय आ गया है कि भाजपा उम्मीदवार के. माधवी लता को प्रचंड बहुमत से चुनकर इस सीट को रजाकारों से मुक्त किया जाए. वहीं पीएम मोदी ने तेलंगाना में एक रैली के दौरान रजाकार का जिक्र किया था. उन्होंने रजाकारों के अत्याचार का भी जिक्र किया. अब यहां यह जानना जरूरी हो जाता है कि, आखिर ये रजाकार कौन थे और उन्होंने ऐसा क्या किया था, जिसको लेकर चुनावी सभाओं में बीजेपी के बड़े नेता इनका जिक्र कर रहे हैं.

कौन थे रजाकार?
रजाकार का अर्थ है मिलिशिया यानी की आम लोगों की सेना. इसे इस मकसद से तैयार किया गया था, ताकि जरूरत पड़ने पर हथियार उठा सके. पंडित नेहरू और सरदार पटेल को यह बिल्कुल मंजूर नहीं था कि हैदराबाद को अलग से देश बनाया जाए. जब 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ, कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद को छोड़कर 562 रियासतों में से 559 रियासतें भारतीय संघ में शामिल हो चुकी थी. देश के समक्ष उस समय सबसे अधिक टेंशन हैदराबाद रियासत को लेकर थी. उस दौरान हैदराबाद में समरकंद से आए असाफ जहां परिवार का राज था.

कब निजाम कहलाए?
इतिहासकारों के मुताबिक औरंगजेब का शासन खत्म होने के बाद जब इनका राज आया तो ये निजाम कहलाए. कहा जाता है कि, सन 1911 में जब आसफ जहां मुजफ्फर उल मुल्क सर मीर उस्मान अली खान ने हैदराबाद की सत्ता संभाली थी उस वक्त वह सबसे धनी व्यक्ति हुआ करते थे. उस समय हैदराबाद की 85 प्रतिशत हिंदू आबादी भारत के साथ शामिल होना चाहती थी. हालांकि, निजाम उस्मान की ख्वाहिश थी कि हैदराबाद एक अलग देश घोषित किया जाए. जिसके लिए उस्मान ने पहले से ही तैयारी कर रखी थी. उसने एक सेना तैयार कर रखी थी जिसे रजाकार कहा गया. इतिहास में इस बात का जिक्र है कि, हैदराबाद को पहले आजाद रहने का आश्वासन दिया गया था. बाद में माउंट बेटन ने उस्मान अली खां के सामने मुकर गए और साफ मना कर दिया कि हैदराबाद अलग देश नहीं बन सकता है. वह इसलिए क्योंकि सांप्रदायिक तनाव काफी बढ़ गए थे.

क्या था ऑपरेशन पोलो?
जानकारी के मुताबिक, रजाकारों का अत्याचार सभी लोगों ने झेला. मुसलमान भी इससे अछूता नहीं रहे. 27 अगस्त 1948 को हुए खौफनाक घटना को भैरनपल्ली नरसंहार के नाम से जाना जाता है. वहीं, हैदराबाद को भारत में विलय करने के लिए 1948 में भारतीय सेना ने कमान संभाली. जिसे ऑपरेशन पोलो का नाम दिया गया. 12 सितंबर 1948 में सेना ने रजाकारों के खिलाफ एक्शन शुरू कर दिया. ऐसा कहा जाता है कि, इस ऑपरेशन के दौरान सेना को यह पता लग चुका था कि, निजाम और रजाकार खोखले थे. वे सिर्फ बेकसूर लोगों पर अपनी रौब जमाया करते थे. जब आर्मी ने हमला किया उस वक्त उनकी हालत खराब हो गई. 17 सितंबर 1948 को निजाम के प्रधानमंत्री मील लायक अली ने यह ऐलान कर दिया कि हैदराबाद की 1 करोड़ 60 लाख जनता बदलाव को स्वीकार करती है. जिसका मतलब था कि हैदराबाद का भारत में विलय हो चुका था. इसके बाद निजाम के सबसे बड़े समर्थक में से एक कासिम रजवी और लायक अहमद को गिरफ्तार कर लिया गया. जानकारी के मुताबिक पांच दिनों तक चली कार्रवाई में हजारों की संख्या में रजाकार मारे गए. जानकारी के मुताबिक इस कार्रवाई में हैदराबाद स्टेट के कई जवान भी मारे गए. वहीं भारतीय सेना ने भी अपने कई जवान खो दिए.

ये भी पढ़ें:महा मुकाबला: मुंबई की तीन सीटों पर शिवसेना VS शिवसेना! जानें बाकी 3 सीटों पर किससे है टक्कर

Last Updated : May 2, 2024, 9:43 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details