अहमदाबाद: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के तहत सत्ता के गलियारों को भ्रष्ट तत्वों से मुक्त कर दिया गया है और यही कारण है कि कुछ लोग परेशान हैं क्योंकि उनका मानना है कि कानून उन्हें कभी नहीं पकड़ पाएगा.
गुजरात विश्वविद्यालय के 72वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे दिन गए जब काम केवल भ्रष्टाचार या संरक्षण के माध्यम से होता था. उन्होंने कहा, 'हमारे सत्ता गलियारों को भ्रष्ट तत्वों से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया है. परिणामस्वरूप, कुछ लोग परेशान हैं. उन्हें लग रहा था कि उनके अच्छे दिन कभी खत्म नहीं होंगे. उन्हें लगा कि कानून उन्हें कभी नहीं पकड़ पाएगा.' धनखड़ ने कहा कि ऐसे लोगों को यह गलतफहमी थी कि वे कानून से ऊपर हैं, लेकिन आज उनकी गलतफहमी दूर हो गई है.
भारत को दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने वाली नीतियों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की सराहना करते हुए धनखड़ ने कहा कि 1990 के दशक में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण देश को अपना सोना गिरवी रखना पड़ा था.
उन्होंने कहा, 'कुछ लोगों ने मुझसे कहा कि आप उपराष्ट्रपति हैं और आपको खुद को राजनीति से अलग करने की जरूरत है. मैं सहमत हूं. मैं राजनीति में हितधारक नहीं हूं. लेकिन मैं राष्ट्रवाद में, शासन में एक हितधारक हूं. मैं इस सच्चाई से कैसे पीछे हट सकता हूं कि भारतीय होना ही मेरी पहचान है? मेरा देश महान है और मैं अपने देश की प्रगति देखकर आश्चर्यचकित हूं.'
कार्यक्रम में धनखड़ ने कहा कि उद्योग जगत के नेताओं को शैक्षणिक संस्थानों में अनुसंधान और विकास गतिविधियों को वित्त पोषित करना चाहिए.
उन्होंने सवाल किया, 'अब समय आ गया है कि हमारे उद्योग अनुसंधान और विकास के लिए संस्थानों को अपने हाथों में लें. 2009 में, केंद्र ने एक विदेशी विश्वविद्यालय को 50 लाख अमेरिकी डॉलर उपलब्ध कराए. मैं ग्रह पर कहीं भी दान देने के खिलाफ नहीं हूं. लेकिन अपने ही देश में क्यों नहीं? एक उद्योगपति द्वारा एक बार (एक विदेशी संस्था को) पांच करोड़ अमेरिकी डॉलर का दान दिया गया था. मैं इसके खिलाफ नहीं हूं. लेकिन, हमारे देश में क्यों नहीं.'