नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 1 अप्रैल को तमिलनाडु के मंत्री और डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन की उस याचिका पर सुनवाई की. जिसमें स्टालिन ने सनातन धर्म को खत्म करने वाले बयान पर अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को क्लब करने की मांग की थी. बता दें, इस मामले में स्टालिन के खिलाफ कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र में एफआईआर दर्ज हैं.
कोर्ट में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने सुनवाई के दौरान उदयनिधि स्टालिन से कहा कि वे अपनी बराबरी मीडिया से नहीं कर सकते. कोर्ट ने मांग में बदलाव करने और इसे दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 406 के तहत दायर करने का निर्देश भी दिया, साथ ही कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 6 मई को होगी.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने उदयनिधि स्टालिन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी से कहा कि आप देखिए, कुछ मामलों में संज्ञान लिया गया है और समन जारी किया गया है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से रिट क्षेत्राधिकार के तहत न्यायिक कार्यवाही में दखल नहीं दिया जा सकता है.
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आखिरकार, आपने स्वेच्छा से बयान दिया है, और जिन मामलों का आपने हवाला दिया है. वे समाचार मीडिया के लोग थे जो टीआरपी पाने के लिए अपने मालिकों के आदेश के अनुसार काम कर रहे थे. आप अपनी तुलना मीडिया से नहीं कर सकते.