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रैट माइनर की पत्नी बोलीं- बच्चों को मारपीट कर घर से निकाला, DDA ने घर तोड़ने पर दिया ये जवाब, जानें

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 29, 2024, 10:59 PM IST

Rat Miner Wakeel Hassan: दिल्ली के रैट माइनर वकील हसन के मकान को डीडीए द्वारा गिराए जाने के बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने घर देने का आश्वासन दिया. लेकिन इस बीच वकील हसन की पत्नी ने डीडीए पर गंभीर लगाए हैं.

वकील हसन की पत्नी का डीडीए पर आरोप
वकील हसन की पत्नी का डीडीए पर आरोप

वकील हसन की पत्नी

नई दिल्लीःउत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने वालों में शामिल रैट माइनर वकील हसन के खजूरी खास स्थित मकान को गिराने के मामले में उनकी पत्नी ने डीडीए दस्ते पर गंभीर लगाया है. उन्होंने कहा कि डीडीए की टीम जब वहां पहुंची तो उस समय उनके नाबालिग बच्चे घर में थे. डीडीए की टीम ने बच्चों को मारपीट कर घर से निकाल दिया और फिर घर को जमीनदोंज कर दिया.

वकील हसन की पत्नी का कहना है कि पुलिस कर्मियों ने उनके पति वकील हसन और बेटा-बेटी को भी थाने ले जाकर बंद कर दिया. उनकी मदद के लिए पहुंचे मजदूरों को बाहर निकलने वाली टीम का हिस्सा रहे मुन्ना कुरैशी को भी पुलिस ने नहीं बख्शा, उन्हें भी थाने ले जाकर रखा. उन्होंने आरोप लगाया कि डीडीए ने सामान को भी निकालने नहीं दिया. बच्चों के स्कूल के कागजात तक को निकालने नहीं दिया और घर गिरा दिया.

''मेरे पति उत्तरकाशी के हीरो थे. 41 मजदूरों की जान बचाई थी. सब उस वक्त सम्मान दे रहे थे, लेकिन आज सम्मान के बदले घर को ही ले लिया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबका साथ सबका विश्वास की बात करते हैं, लेकिन मेरा विकास कहां है. एक टूटा फूटा घर था, वह भी खत्म हो गया. अब कहां जाएंगे, कहां रहेंगे समझ में नहीं आ रहा है.''

वकील हसन की पत्नी

रैट माइनर के घर तोड़ने को DDA ने ठहराया सही: रैट माइनर वकील हसन का मकान डीडीए द्वारा तोड़े जाने के बाद से दिल्ली में राजनीति शुरू हो गई है. एक तरफ जहां उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने रैट माइनर को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर देने का आश्वासन दिया है. वहीं, आम आदमी पार्टी ने एलजी के इस फैसले पर तंज कसते हुए दिल्ली के उन सभी लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर देने की मांग की. वहीं, अब इस पूरे मामले में डीडीए ने अपना पक्ष रखते हुए इस कार्रवाई को सही बताया है.

डीडीए के अधिकारियों की ओर से कहा गया है कि 2016 में कार्रवाई के दौरान खजूरी खास गांव में खसरा नंबर 247/1 से अतिक्रमण को हटाया था. इसके बाद वर्ष 2017 में निरीक्षण के दौरान पता चला कि वकील और गोयल नाम के व्यक्ति अतिक्रमण कर रहे हैं. इसकी पुलिस को सूचना दी गई थी. जून 2018 के लिए निर्धारित अतिक्रमण हटाओ कार्यक्रम शुरू कर दिया. अतिक्रमण हटाने पहुंची टीम को विरोध का सामना करना पड़ा था. अतिक्रमण की अनुमति देने के लिए दोषी अधिकारियों से इस मामले में स्पष्टीकरण भी मांगा गया था. 2022 में सितंबर व दिसंबर में फिर से अतिक्रमण हटाने की योजना बनाई गई. महिलाओं ने फिर अतिक्रमण हटाने के अभियान को विफल कर दिया था.

वकील हसन के परिवार को सूचित किया गया था: डीडीए का कहना है कि 28 फरवरी 2024 को फिर अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया गया. इसके लिए पुलिस से सहायता भी मांगी गई. इस कार्रवाई के दौरान रैट माइनर वकील हसन के परिवार को सूचित किया गया था. साथ ही उनसे अतिक्रमित क्षेत्र को खाली करने का अनुरोध भी किया गया था. वकील को अपना सामान हटाने का पर्याप्त समय भी दिया गया था. इसके बाद डीडीए द्वारा अवैध निर्माण को गिराने की कार्रवाई की गई.

सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाया इसकी जानकारी नहीं थी: डीडीए का कहना है कि कार्रवाई के दौरान अधिकारियों को उत्तराखंड की सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन में रैट माइनर वकील हसन के शामिल रहने या उनके योगदान की जानकारी नहीं थी. इस बात की जानकारी होने पर देर शाम डीडीए की ओर से वकील हसन और उनके परिवार के लिए आश्रय की वैकल्पिक व्यवस्था की गई. लेकिन, वकील हसन ने डीडीए द्वारा प्रस्तावित किसी भी राहत का लाभ लेने से इनकार कर दिया. इस विवाद को खत्म करने के लिए डीडीए के वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर पहुंचे, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला.

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डीडीए का कहना है कि अतिक्रमण हटाने के अभियान में कोई भेदभाव या किसी को टार्गेट नहीं किया गया था. अदालती आदेशों व कानून को बनाए रखने के लिए डीडीए अवैध निर्माण को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है. बता दें कि उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल निर्माण के दौरान 12 नवंबर को दीपावली की सुबह मलबा आ गया था. 16 दिन तक 41 मजदूर इस मलबे के कारण टनल में फंसे रहे थे. इन मजदूरों को निकालने में रैट माइनर्स वकील हसन की टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

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