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'वन नेशन वन इलेक्शन' देश और लोकतंत्र की जरूरत है: बीजेपी

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 14, 2024, 7:57 PM IST

One Nation One Election, केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए CAA पर जहां अभी विपक्षी पार्टियां आगबबूला हैं और मोदी सरकार का पुरजोर विरोध कर रही है. अब एक और मुद्दा वन नेशन वन इलेक्शन का फिर से उठ रहा है, जिसे लेकर बीजेपी सरकार एक बार फिर विपक्षियों के निशाने पर हैं. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना ने बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह से बात की...

BJP spokesperson RP Singh
बीजेपी प्रवक्ता आरपी सिंह

बीजेपी प्रवक्ता आरपी सिंह से बातचीत

नई दिल्ली: एक के बाद एक मुद्दे आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर चुनावी एजेंडा सेट कर रहे हैं. यूसीसी, CAA और अब वन नेशन वन इलेक्शन, विपक्षी पार्टियों के निशाने पर है मोदी सरकार और सत्ताधारी पार्टी का कहना है कि ये वो मुद्दे हैं, जिन्हें पार्टी ने पहले ही संकल्प पत्र में जनता से वादा किया था. यदि देखा जाए तो तमाम मुद्दों को लेकर जिस तरह विपक्षी हमलावर हैं, उससे कहीं न कहीं एक लाइन सी खींचती नजर आ रही है.

ये रेखा सत्ताधारी पार्टी और विपक्षी पार्टियों के वोटों का ध्रुवीकरण करने में भी सहायक है. क्या वन नेशन वन इलेक्शन की रिपोर्ट पर सरकार अमली जामा पहनाएगी? इन तमाम मुद्दों पर बीजेपी की क्या राय है. इसके बारे में बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि 'बात जहां तक वन नेशन वन इलेक्शन की है, ये जरूरत है, हमारे लोकतंत्र की जरूरत है. इससे तमाम पैसे और समय की बरबादी कम होगी. इस पैसे का सरकार सदुपयोग करेगी. दूसरे देशों में भी ऐसा होता है और ये सरकार का एक बढ़िया कदम है.

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि बार-बार चुनाव होने से देश के काम की गति रुकती है. कभी किसी राज्य में तो कभी किसी राज्य में चुनाव होता रहता है, जिससे विकास की गति में अवरोध आ जाते है और ये वन नेशन वन इलेक्शन देश के हित में है.

इस सवाल पर की विपक्ष का कहना है कि बीजेपी चुनावी एजेंडे सेट कर रही है, उन्होंने कहा कि ये तो हमारे संकल्प पत्र में था और इसके लिए अभी कमिटी ने रिपोर्ट ही सौंपी है. इसके रिकमेंडेशन पर अभी जनता की राय ली जाएगी. इसके बाद उसके आधार पर ही प्रस्ताव तैयार होगा और लागू होगा. इसमें चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है. ये देश के लिए एक अच्छा मुद्दा है.

इस सवाल पर कि वोटों का ध्रुवीकरण हो रहा है, पहले राम मंदिर फिर यूसीसी, CAA और CAA पर तो ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और असदुद्दीन ओवैसी, समाजवादी पार्टी सभी ने मोर्चा खोल दिया है और लागू नहीं होने देने की बात कह रहे हैं, उन्होंने कहा कि केजरीवाल को ये नहीं दिखता कि किस तरह पाकिस्तान में बेअदबी की जाती है, सिखों की हालत क्या थी. मुख्य ग्रंथि की बेटी को अगवा कर लिया गया था. मैं खुद वहां गुरुग्रंथ साहिब को लेने गया था.

उन्होंने कहा कि इसमें कैसा एजेंडा, केजरीवाल इन हिंदू सिखों के विरोध में क्यों हैं. इस सवाल पर की सभी पार्टियां आरोप लगा रही हैं कि लगातार बीजेपी दूसरी पार्टियों के नेताओं को तोड़कर भाजपा ज्वाइन करवा रही है, इस पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता का कहना है कि वो अपनी पार्टी संभाल नहीं पा रहे तो भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं. उनकी पार्टियों से भी प्रियंका चतुर्वेदी, सुष्मिता देव, पीसी चाको, सबने कांग्रेस छोड़कर दूसरी पार्टियों का दामन थामा है.

इस सवाल पर कि अभी तक भाजपा के उम्मीदवारों की सूची में 25 प्रतिशत नाम हैं और कई पुराने नाम काट दिए गए हैं, क्या बीजेपी नई सोच और नए विजन के साथ काम कर रही. उन्होंने कहा हमारी पार्टी में ऐसा नहीं कि किसी को ले लिया गया और किसी को निकाल दिया गया. कोई सरकार में होता है, तो कोई संगठन के लिए का करता है, मगर जुड़े सभी लोग पार्टी से ही रहते हैं. ऐसा नहीं कि किसी के आने से किसी को बाहर निकाला जा रहा है. सभी सरकार और पार्टी की दिशा पर ही काम कर रहे है और यही हमारी पार्टी की सोच और विशेषता है.

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