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CAA आदिवासियों के अधिकारों को कमजोर नहीं करेगा: अमित शाह

By ANI

Published : Mar 14, 2024, 10:33 AM IST

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिक (संशोधन) अधिनियम (CAA) को लेकर साफ किया कि नये कानून से आदिवासियों के अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. साथ ही इसे उत्तर-पूर्वी राज्यों में लागू नहीं किया जाएगा.

CAA will not dilute the rights of Tribals says Union Home Minister Amit Shah (photo IANS)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि सीएए आदिवासियों के अधिकारों को कमजोर नहीं करेगा (फोटो आईएएनएस)

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि नागरिक (संशोधन) अधिनियम उत्तर-पूर्वी राज्यों में लागू नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यहां इनर लाइन परमिट (आईएलपी) का प्रावधान है. संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा में यह क्षेत्र भी शामिल हैं. केंद्रीय गृह मंत्री ने यह भी कहा कि सीएए के लागू होने से आदिवासियों की संरचना और अधिकार कमजोर नहीं होंगे.

न्यूज एजेंसी के साथ एक साक्षात्कार में अमित शाह से पूछा गया कि क्या सीएए असम में लागू किया जाएगा और क्या राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और सीएए के बीच कोई संबंध है. एनआरसी का सीएए से कोई लेना-देना नहीं है. सीएए असम और देश के अन्य हिस्सों में लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा, 'उत्तर पूर्व के जिन राज्यों में लोगों को दो तरह के विशेष अधिकार दिए गए हैं, केवल उन्हीं इलाकों में सीएए लागू नहीं किया जाएगा.

इसमें वे क्षेत्र शामिल हैं जहां इनर लाइन परमिट (आईएलपी) का प्रावधान है और वे क्षेत्र जिन्हें संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत विशेष दर्जा दिया गया है.' यह पूछे जाने पर कि क्या सीएए जनजातीय क्षेत्रों की संरचना को बदल देगा, शाह ने कहा, 'जरा भी नहीं. सीएए जनजातीय क्षेत्रों की संरचना और अधिकारों को नहीं बदलेगा या कमजोर नहीं करेगा.'

हमने एक्ट में ही प्रावधान किया है कि जहां भी इनर लाइन परमिट है और जो भी क्षेत्र 6वीं अनुसूची के क्षेत्रों में शामिल हैं, वहां सीएए लागू नहीं होगा. उन क्षेत्रों के पते वाले आवेदन ऐप पर अपलोड नहीं किए जाएंगे. शाह ने कहा, 'हमने इसे ऐप से ही बाहर कर दिया है.' सीएए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसियों को नागरिकता देने का प्रावधान करता है.

केंद्र सरकार द्वारा सीएए नियमों को अधिसूचित करने के एक दिन बाद, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने घोषणा की कि अगर एक भी व्यक्ति, जिसने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के लिए आवेदन नहीं किया है, तो वह अपने पद से इस्तीफा देने वाले पहले व्यक्ति होंगे. भाजपा नेता की टिप्पणी असम में छिटपुट विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर आई है, जिसमें ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू करने के लिए केंद्र की आलोचना की है.

इस कानून का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना है.' एजेंसी से बात करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के कार्यान्वयन के मुखर आलोचकों की भी आलोचना की और कहा कि राज्यों के पास सीएए को अस्वीकार करने की कोई शक्ति नहीं है क्योंकि इस कानून का प्रयोग करने का अधिकार केवल संघ के पास है.

सरकार और राज्यों के साथ नहीं.' अमित शाह ने कहा, 'राज्यों के पास सीएए को लागू करने से इनकार करने की शक्ति नहीं है. इस कानून को बनाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है, राज्यों के पास नहीं.' केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने से कुछ दिन पहले 11 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के कार्यान्वयन के लिए नियमों को अधिसूचित किया. नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए और 2019 में संसद द्वारा पारित सीएए का उद्देश्य बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत पहुंचे हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों सहित सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है.

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